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बौनेर की रश्मि शर्मा ने पति की मौत के बाद महिलाओं को रोजगार से जोड़ा aligarh news

अचार-मसाले बनाने का प्रशिक्षण लिया। खुद को रोजगार से जोड़ा। अब वे 20 महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 01:13 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 03:47 PM (IST)
बौनेर की रश्मि शर्मा ने पति की मौत के बाद महिलाओं को रोजगार से जोड़ा aligarh news
बौनेर की रश्मि शर्मा ने पति की मौत के बाद महिलाओं को रोजगार से जोड़ा aligarh news

राज नारायण सिंह, अलीगढ़ । इरादे फौलादी होते हैं तो पहाड़-सी मुश्किलें भी सामने नहीं टिकतीं। धनीपुर ब्लॉक के गांव बौनेर निवासी रश्मि शर्मा ने भी हौसले से मुश्किलों को मात देकर उम्मीदों को उड़ान दी है। 11 साल पहले पति की मौत हो गई तो उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, मगर वो टूटी नहीं। अचार-मसाले बनाने का प्रशिक्षण लिया। खुद को रोजगार से जोड़ा। अब वे 20 महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।

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किया संघर्ष

35 वर्षीय रश्मि 12वीं तक पढ़ी हैं। सुशील शर्मा से शादी हुई। 11 साल पहले हादसे में पति की मौत हो गई। बड़ा बेटा करन उस समय चार साल का था। बेटी जाह्नवी दो साल व उससे छोटा बेटा सागर छह माह का था। रश्मि के जीवन में अंधेरा छा गया। बच्चों को देखकर उन्होंने संघर्ष किया।

गांव में खोली परचूनी की दुकान

गांव में परचूनी की दुकान खोली और बच्चों को प्राइमरी स्कूल में दाखिला करा दिया। जैसे-तैसे जिंदगी कटने लगी। तीन साल पहले केनरा बैंक स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) से अचार व सब्जी मसाले बनाने की एक माह की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद गांव में महिलाओं का समूह बनाया।

दिक्कतें आईं, पर हारी नहीं

महिलाओं के साथ आम, मिर्च, नीबू का अचार बनाना शुरू किया। रश्मि बताती हैं कि शुुरुआत में दिक्कतें आईं। लोग अचार नहीं खरीदते थे। उन्होंने उन्हें समझाया कि घर का बना शुद्ध अचार है। धीरे-धीरे लोगों को अचार पसंद आने लगा। गांव की पैंठ, होटल-ढाबों पर भी सप्लाई होने लगी। इससे हिम्मत बढ़ गई और मसालों का काम भी शुरू कर दिया।

200 तक कमा लेती हैं महिलाएं

रश्मि बताती हैं कि अचार व मसालों से समूह की हर महिला रोज 100 से 200 रुपये कमा लेती हैं। वे बाजार से साबुत मसाले लाकर घर पर पिसवाती हैं। उनके मसालों को भी दुकानदार हाथों-हाथ ले रहे हैं।

जीवन में आया बदलाव

इससे रश्मि की जिंदगी में बदलाव आने लगा है। बच्चों का इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला करा दिया है। समूह से जुड़ी महिलाओं की भी मदद की जा रही है।

सब मिलकर करते हैं काम

पंकज शर्मा का कहना है कि दीदी के साथ मैं भी जुड़ी हूं। अचार बनाती हूं। गांव में रहकर 100-200 रुपये मिल जाते हैं। हम सब मिलकर काम को और आगे बढ़ाएंगे। सुधा देवी ने बताया कि दीदी के साथ हम लोगों ने मसाले का भी काम शुरू कर दिया है। जिन स्थानों पर अचार जाता था, वहां मसाले जा रहे हैं। इससे और महिलाएं जुड़ गई हैं। प्रशिक्षण केंद्र के डायरेक्टर अजय रावत का कहना है कि हमारे यहां से ट्रेनिंग लेकर रश्मि अचार-मसाले बना रही हैं। इसके जरिये अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। यह अच्छी बात है।


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