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स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं रमजान, ऐसे मिलेगा लाभ जानिए आप भी Aligarh News

डाक्टर साराह आलम (सलाहकार एशियाई अस्पताल फरीदाबाद) ने कहा कि रमजान के दौरान लगभग 150 मिलियन लोग रोजा रखते हैं और हाल के शोध से पता चला है कि आंतरिक उपवास लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 04:39 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 04:39 PM (IST)
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं रमजान, ऐसे मिलेगा लाभ जानिए आप भी  Aligarh News
आंतरिक उपवास लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के राजीव गांधी सेंटर फार डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी एवं मेडिसिन विभाग ने संयुक्त रूप से रमजान के दौरान मधुमेह प्रबंधन पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए डाक्टर साराह आलम (सलाहकार, एशियाई अस्पताल, फरीदाबाद) ने कहा कि रमजान के दौरान लगभग 150 मिलियन लोग रोजा रखते हैं और हाल के शोध से पता चला है कि आंतरिक उपवास लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि उपवास मधुमेह रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है, इस लिए उन्हें डाक्टर से परामर्श के बाद ही उपवास रखना चाहिए।

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ऐसे रोगी उपवास से बचें

राजीव गांधी सेंटर फार डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी (फैकल्टी ऑफ मेडिसिन) के निदेशक डाक्टर हामिद अशरफ ने कहा कि उपवास का मधुमेह वाले लोगों पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है। जिन लोगों को उच्च मधुमेह है और जिनमें अक्सर रक्त शर्करा कम होता है, या जो गर्भवती हैं, और जिन्हें गुर्दे की गंभीर बीमारी है, उन्हें उपवास रखने से बचना चाहिए।

ऐसे मरीज रख  सकते हैं  उपवास

डाक्टर हामिद अशरफ ने कहा कि जिनका ब्लड शुगर नियंत्रण में है और जिनके रक्त में शर्करा का स्तर अचानक नहीं गिरता है और जो एक ही समय में कई बीमारियों से पीड़ित नहीं हैं, वे उपवास रख सकते हैं। राजीव गांधी सेंटर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जमाल अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि मधुमेह से पीड़ित लोगों को रमजान के कम से कम एक महीने पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि उन्हें रमजान के दौरान अपनी दवा बदलनी या कम करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को इफ्तार और सहरी के दौरान संयम से भोजन करना चाहिए। उन्हें शर्करा वाले पेय, तले हुए खाद्य पदार्थ और उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। इसके अलावा उपवास के दौरान रक्त शर्करा की जांच की जानी चाहिए। इससे रोजा नहीं टूटता।

इससे पूर्व मेडीसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शादाब ए खान ने कहा कि रोजे की स्थिति में मधुमेह को नियंत्रित रखना हर डाक्टर के लिये एक चुनोती होती है। अतः इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन चिकित्सकों के लिये विशेष रूप से लाभप्रद है। फैकल्टी आफ मेडिसिन के डीन प्रोफेसर राकेश भार्गव, जेएन मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल और सीएमएस प्रोफेसर शाहिद सिद्दीकी, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक और अलीगढ़ के प्रमुख चिकित्सक भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।अंत में डाक्टर हामिद अशरफ ने आभार व्यक्त किया। मेडीसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डाक्टर एम ओवैस अशरफ ने कार्यक्रम कर संचालन किया।


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