राम लक्ष्मण धनुष-बाण लेकर तैयार लेेेेेकिन दशानन लापता Aligarh news
यह कलियुग में ही संभव है। विजयादशमी पर अलीगढ़ के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में राम-लक्ष्मण के स्वरूप सज-धजकर धनुष-बाण के साथ युद्ध को तैयार बैठे थे। इसी बीच खबर मिली कि दहन स्थल से दशानन के पुतले का अपहरण (गायब ) हो गया।
सुरजीत पुंढीर, जेएनएन : यह कलियुग में ही संभव है। विजयादशमी पर अलीगढ़ के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में राम-लक्ष्मण के स्वरूप सज-धजकर धनुष-बाण के साथ युद्ध को तैयार बैठे थे। इसी बीच खबर मिली कि दहन स्थल से दशानन के पुतले का अपहरण (गायब ) हो गया। लोग हैरान थे कि आखिर दशानन को कोई कैसे चुरा सकता है? कारीगर के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं कि राम के स्वरूप तैयार बैठे हैं। अब वह दूसरा पुतला कहां से लाएगा। मामला जनप्रतनिधियों व पुलिस प्रशासन तक पहुंचा तो जांच-पड़ताल कराई गई। कुछ देर की खोजबीन के बाद पता चला कि मैदान के पीछे पुतले का ढांचा पड़ा है। पुलिस व रामलीला कमेटी से जुड़े उसे लेकर रामलीला मैदान में आए। पुतला तैयार कराकर दहन कराया। सवाल ये उठता है कि पुतले को गायब किया किसने? कहीं इसके पीछे कमेटी व पुलिस के बीच का विवाद तो नहीं था या फिर कमेटी की आपसी राजनीति।
कुर्सी का मामला है
राजनीति हो या अफसरशाही। कुर्सी हर किसी को प्यारी होती है। पांच दिन पहले मंडल की सबसे बड़ी बैठक के एक नजारे को देख लीजिए। यहां के मंच पर चारों जिलों के बड़े साहब व मंडल के बड़े साहब के बैठने के लिए ही कुर्सियां डाली गई थीं। छोटे साहब मंच पर पहुंचे तो अपने लिए कुर्सी न देखकर बिफर गए। कर्मियों को खूब खरी-खोटी सुनाई। साहब की नाराजगी देख तुरंत एक और कुर्सी की व्यवस्था की गई। बड़े साहब मंच पर पहुंचे तो उन्होंने छोटे साहब से बैठक में शामिल होने से मना कर सारी ख्वाहिशों पर पानी फेर दिया। छोटे साहब मिमियाए भी, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। वे मुंह लटकाकर बैठक से बाहर तो आ गए, लेकिन अब उन्हेंं कुर्सी जाने का डर सता रहा हैं। उन्हेंं भय है कि कहीं बड़े साहब उनके लिए आवंटित कार्यों को छीनकर समकक्ष दूसरे साथी को न सौंप दें।
कमीशन के चश्मे में स्मार्ट शहर
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावे किताबी हैं...। स्मार्ट सिटी की व्यवस्था पर कवि अदम गोंडवीजी की ये लाइन बिल्कुल सटीक बैठती हैं। एक हजार करोड़ रुपये के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में विकास कार्यों का रंग भले ही गुलाबी बताया जा रहा हो, लेकिन हकीकत अलग ही है। शहर में ट्रैफिक लाइट व कैमरों के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है। सड़कें उखड़ी पड़ी हैं। शहर का दिल सेंटर प्वॉइंट सुंदरीकरण के नाम पर दो साल से जख्मी पड़ा है। पेयजल लाइन के लिए खोदी गई सड़कों पर कंकड़ फैले हैं। अचलताल सुंदरीकरण की राह ताक रहा है। अतिक्रमण से रास्ते सिकुड़े पड़े हैं। हर काम की डीपीआर जरूर लंबी-चौड़ी बन रही है। एक रुपये के सामान को भी तीन-चार रुपये में खरीदा जाता है। इसी औने-पौने की खरीद में मिले कमीशन के चश्मे से ही शहर स्मार्ट दिख रहा है।
जब भेदिया ने खोला राज
2022 चुनावी साल के नजदीक आते ही सूबे के मुखिया ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सीएम की ओर से मंडल व जिले के बड़े साहब को अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं। जिले के बड़े साहब जहां अपने कार्यालय में खुद नजर रखे हुए हैं, वहीं मंडल के बड़े साहब ने निगरानी के लिए भेदियों का सहारा लिया है। सबसे अधिक नजर वे इन दिनों शहरी विकास से जुड़े दोनों विभागों पर रखे हैं। हर विभाग में एक-दो भेदिया लगा रखे हैैं, जो हाकिमों की कारगुजारी की हर छोटी-बड़ी जानकारी बड़े साहब तक पहुंचा रहे हैं। पिछले दिनों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में महंगी डीपीआर का राज भी भेदिया ने ही खोला था। इससे अब संबंधित विभाग के अफसरों में अफरा-तफरा मची है। इसके पीछे बड़े साहब का मकसद बेतरतीब सरकारी कामकाज को पटरी पर लाना है।