बारिश ने बिठाया 'भट्ठा', ऐसे हो रहा 36 करोड़ का नुकसान Aligarh News
बारिश ने भी सितम ढहाया। गेहूं की फसल करने वाले किसान भले ही मुस्करा रहे हों मगर जिले के भट्ठा स्वामियों पर यह बारिश कहर बनकर बरसी। इन दिनों ईंट थपाई का काम भी चल रहा है।
अलीगढ़ [जेएनएन] : पिछले दिनों सर्दी के साथ बारिश ने भी सितम ढहाया। गेहूं की फसल करने वाले किसान भले ही मुस्करा रहे हों, मगर जिले के भट्ठा स्वामियों पर यह बारिश कहर बनकर बरसी। इन दिनों ईंट थपाई का काम भी चल रहा है। जिले के 400 भट्ठा मालिकों की कच्ची ईंट मिट्टी के ढेर में बदल गई। एक-एक भट्ठा मालिक को 10 से 12 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है। कुल 36 करोड़ रुपया पानी हो गया है। वहीं, कच्ची ईंट न होने के चलते धधकते हुए भट्ठे ठंडे पड़ जाएंगे।
यह है मामला
बारिश के सीजन के बाद अक्टूबर से ईंट थपाई का काम शुरू होता है। नवंबर के आखिरी सप्ताह व दिसंबर के पहले सप्ताह में भट्ठों में पकाई का काम शुरू होता है। एक चक्र की कच्ची ईंट एडवांस पर तैयार होती है। इसका अधिकांश स्टॉक थपाई वाले स्थान पर ही होता है। पिछले सप्ताह रुक-रुक कर हुई बारिश ने कच्ची ईंट को मिट्टी के ढेर में बदल दिया।
नहीं होता जनरल इंश्योरेंस
भट्ठा का जनरल इंश्योरेंस नहीं होता। अंग्रेजों के जमाने के इस कानून को बदलने के लिए भट्ठा संगठनों ने प्रयास किए। मगर, इंश्योरेंस नहीं होता। भट्ठा मालिक अरविंद यादव का कहना है कि प्राकृतिक आपदा में इस कारोबार को शामिल किया गया है। इसलिए इसपर कोई भी बैंक फाइनेंस नहीं करती। इसलिए यह बीमा की श्रेणी से बाहर है।
ईंट के दामों में आया उछाल
बारिश के चलते कच्ची ईंट मिट्टी के ढेर में बदल गई। स्टॉक न होने से पकाई का काम पिछड़ जाएगा। बाजार में ईंट की कमी भी हो सकती है। ऑफ सीजन में पांच सौ से एक हजार रुपये प्रति हजार तक बढ़ जाती हैं। इस बार दाम कम होने की जगह पांच सौ रुपये तेज हो गई है। बिना भाड़े के फ्रेश ईंट 4500 की जगह 5000 रुपये तक बाजार में बिक रही है।
भट्ठा बंद करना होगा
ईंट निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष जनकपाल सिंह का कहना है कि मेरे पांच भट्ठे हैं। पहले चक्र की फुंकाई का काम पूरा हो गया। कच्ची ईंट का स्टॉक पानी में बह गया। अभी मौसम का सितम जारी है। नई ईंट थपाई में देर होगी। भट्ठा बंद करना होगा। एसोसिएशन के महामंत्री हेमेंद्र सिंह का कहना है कि ईंट भट्ठा मालिकों पर बारिश कहर बनकर टूटी है। एक-एक कारोबारी का 10 से 12 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है। बहुत से भट्ठा तो चालू ही नहीं हुए थे।
बारिश ने बर्बाद किया
मजदूर पुतुन देवी का कहना है कि बारिश होने से एक महीने से एक रुपये की भी मजदूरी नहीं की है। बारिश ने पाथी गई ईंटों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। मजदूर जत्तन सिंह का कहना है कि मौसम कुछ दिन ऐसा ही रहा तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। सभी परिवार के लोग पिछले एक माह से हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं।