राफिया निकहत ने बाग में बोया शिक्षा का बीज बना ज्ञान का वटवृक्ष aligarh news
उनके जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आठवीं पास होने के बाद वे बच्चों को नौवीं में दाखिला भी दिलाती हैं। उनकी फीस खुद जमा कराती हैं।
गौरव दुबे, अलीगढ़। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि किसी शिक्षक ने बाग में बैठकर विद्यार्थियों में शिक्षा रूपी बीज बोया और अब वो बीज ज्ञान रूपी वटवृक्ष बनकर उभर रहा है। मगर कल्पना से परे इस कारनामे को अलीगढ़ में बेसिक शिक्षा परिषद की शिक्षिका राफिया निकहत ने अपनी मेहनत, जज्बे व कर्तव्यनिष्ठा से सच साबित कर मिसाल पेश की है। उनके जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आठवीं पास होने के बाद वे बच्चों को नौवीं में दाखिला भी दिलाती हैं। उनकी फीस खुद जमा कराती हैं।
परीक्षा का नहीं था प्रावधान
शासन से स्कूल में विद्यार्थियों की मासिक परीक्षा कराने का कोई प्रावधान नहीं है। मगर राफिया अपनी जेब से 10 हजार रुपये लगाकर कॉपियां मंगाती हैं और उन परीक्षा कराती हैं। उनकी लगन व मेहनत का ही नतीजा है कि 2018 के उत्कृष्ट राज्य शिक्षक सम्मान के लिए उनका नाम सूची में शामिल हुआ। राफिया 1994 में हाजीपुर फतेह खान धनीपुर में बतौर सहायक अध्यापिका नियुक्त हुईं। 2003 में प्राथमिक विद्यालय रजानगर लोधा ब्लॉक में प्रधानाध्यापिका बनीं। यहां आकर उन्होंने स्कूल व बच्चों की दशा व दिशा दोनों बदलकर रख दीं।
बाग में बैठाकर पढ़ाई
राफिया बताती हैं कि जब वो रजानगर आईं तो वहां स्कूल स्वीकृत हो चुका था, बिल्डिंग बन रही थी। इसलिए ज्यादा बच्चे भी नहीं थे। क्षेत्र में अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों का स्कूल में नामांकन कराया। एक साल तक 135 बच्चों को पास के ही बाग में बैठाकर पढ़ाया। अब उनके स्कूल में 515 बच्चे नामांकित हैं।
आधुनिकता से लैस स्कूल
निकहत ने बताया कि स्कूल में सात कक्षाएं हैं, सभी में खुद प्रयास कर सीसी टीवी कैमरे लगवाए। चार टेबलेट व एक लैपटॉप की व्यवस्था भी की। दो स्मार्ट क्लास बनाईं व अब ई-लाइब्रेरी बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय भी बनवाए।
पहले सिखाया फिर बढ़ाया
विद्यार्थियों को पढ़ाकर कक्षा आठ पास कराने तक ही राफिया सीमित नहीं हैं। जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को वो नौवीं में दाखिला भी दिलाती हैं। बताया कि, समरीन व फरहीन को टीकाराम कन्या इंटर कॉलेज व शानू व कामरान को नौरंगीलाल राजकीय इंटर कॉलेज में दाखिला दिलाया। फीस भरने में अभिभावक सक्षम नहीं थे तो उन्होंने खुद बच्चों की फीस भरी।
बेटियों व पर्यावरण पर विशेष जोर
राफिया हर साल 50 छात्राओं का कैंप लगवाती हैं। इसमें उनको आर्ट-क्राफ्ट, मेहंदी, डांस, योगा सिखाया जाता है। स्कूल के बच्चों को शैक्षिक भ्रमण पर भी खुद के खर्च पर ले जाती हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने बच्चों से ही 1000 सीड्स बॉल बनवाईं। इनको सुखाकर स्कूल में मिट्टी के नीचे दबा दिया।
बायोमीट्रिक से बच्चों की उपस्थिति
रजानगर के सरकारी स्कूल में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बायोमीट्रिक मशीन पर लगती है। जिले में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमीट्रिक से लगना नहीं शुरू हो सकी लेकिन राफिया ने बच्चों के लिए अपने प्रयासों से ये व्यवस्था कर दी।