भूमाफिया पर 'नरमी' से कटघरे में हरदुआगंज पुलिस
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : हरदुआगंज में फर्जी तरीके से भूमि बेचने व कब्जाने के खेल में शा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : हरदुआगंज में फर्जी तरीके से भूमि बेचने व कब्जाने के खेल में शामिल माफिया पर कार्रवाई करने के बजाय 'नरमी' दिखाने पर पुलिस भी कटघरे में आ गई है। पुलिस ने ढाई महीने पहले ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज हुई शिकायत पर बिना कार्रवाई किए ही निस्तारित दिखा दिया। ऐसा तब हुआ, जबकि लेखपाल ने इसी शिकायत पर जमीन कब्जाने की शातिर खिलाड़ी हुमा चौधरी समेत चार लोगों के खिलाफ एफआइआर कराने की आख्या दी थी। बड़ा सवाल है कि इस रिपोर्ट पर पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? 20 दिन बाद हुमा की तहरीर पर उसके दो विरोधियों पर क्यों रिपोर्ट लिख ली गई? यही वो हुमा है, जिसने हरदुआगंज थाने की जमीन बेचने की शिकायत थानेदार से की थी।
हरदुआगंज व आसपास की जमीन नवाब छतारी व उनके फूफा नवाब त्योरी की है। इनके गुजरने के बाद भूमाफिया कब्जा करके बेचने में मस्त है। 'दैनिक जागरण' ने इनकी पोल खोली तो कई चेहरे बेनकाब हो गए। इसी कड़ी में पुलिस की चौंकाने वाली 'रहमदिली' सामने आई है। इसके साक्ष्य मिले 12 फरवरी को आई एक शिकायत से। यह शिकायत हरदुआगंज निवासी मोहम्मद अशरफ ने ऑनलाइन पोर्टल पर हरदुआगंज पुलिस से की थी। उन्होंने कई लोगों पर अवैध रूप से भूमि बेचने की बात कही। हरदुआगंज इंस्पेक्टर ने एसआइ हरेंद्र सिंह को जांच दी। उन्होंने 19 फरवरी को एसएसपी को पत्र लिखकर कहा कि शिकायत के निस्तारण के लिए राजस्व विभाग की रिपोर्ट अनिवार्य है। एसएसपी ने एसडीएम कोल के जरिये लेखपाल को शिकायत भेज दी। लेखपाल निर्दोष कुमार शर्मा ने पांच मार्च को दी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा कि जाली दस्तावेजों और फर्जी बैनामों के जरिये हुमा चौधरी, उनकी मां नुसरत कवि, जमील उर्फ आंकड़ा और साजिद जमीन हड़प रहे हैं। ये आए दिन झूठी व फर्जी शिकायतें भी करते हैं। सरकारी जमीनों के फर्जी बैनामे भी कर चुके हैं। यह जांच आख्या थानेदार को मिल गई, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखाई गई। पोर्टल पर यही आख्या अपलोड करके शिकायत निस्तारित भी दिखा दी गई। इस मामले में थानेदार विनोद सिंह गजब का तर्क देते हैं। कहते हैं, 'जिस वक्त शिकायत का निस्तारण किया गया, उस समय तक लेखपाल की आख्या नहीं आई थी।' सवाल उठता है कि आख्या नहीं आई थी तो निस्तारण कैसे हो गया? सीएम को समयबद्ध रिपोर्ट देने की हड़बड़ी में फर्जी रिपोर्ट क्यों दी गई? गंभीर सवाल उस निगरानी तंत्र पर भी है, जो ऐसी गड़बड़ियों को कभी पकड़ ही नहीं पाता है।
जिस पर लिखनी थी रिपोर्ट, उसकी तहरीर पर मुकदमा दर्ज
पुलिस ने हुमा समेत चार पर मुकदमा दर्ज न करके भरपूर रहम दिखाया, लेकिन हुमा की तहरीर आते ही उसके साथियों साजिद व जमील उर्फ आंकड़ा पर फौरन रिपोर्ट लिख ली। चर्चा है कि हुमा ने खुद को बचाने के लिए पुलिस की मिलीभगत से ही यह दांव चला है। तभी, इस मामले में किसी आरोपी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई।
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इनसर्ट पुलिस ने थाने में लिखवाई हुमा से तहरीर: लेखपाल
लेखपाल निर्दोष कुमार शर्मा ने हुमा चौधरी की पुलिस से साठगांठ का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हुमा सभी दस्तावेजों में उर्दू में ही हस्ताक्षर करती आई हैं। हरदुआगंज थाने में जो तहरीर दी, उसमें ¨हदी में हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि यह तहरीर पुलिस ने ही मनचाहे तरीके से लिखवाई है। लेखपाल ने कहा कि मैंने हुमा समेत चारों को दोषी मानते हुए आख्या दी थी। उस पर कुछ नहीं किया गया।
------------- जमीनी विवादों में मुकदमे के लिए राजस्व विभाग की रिपोर्ट अनिवार्य होती है। इसी कारण रिपोर्ट मांगी गई थी। शिकायत निस्तारित होने तक लेखपाल की रिपोर्ट नहीं मिल पाई थी। उन पर अब कार्रवाई की जा सकती है।
विनोद सिंह, एसओ हरदुआगंज
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मुख्यमंत्री पोर्टल पर गलत सूचनाएं देने का प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं है। इसकी कोई शिकायत भी नहीं मिली है। इसे दिखवाएंगे। गड़बड़ी मिलने पर थानेदार से भी जवाब तलब करेंगे।
राजेश कुमार पांडेय, एसएसपी
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