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पुलवामा आंतकी हमला : साहब, सीने में धधक रही आग

पुलवामा आतंकी हमला और शहादत....हिला देने वाली घटना के बाद शहर सामान्य नजर नहीं आया। मायूसी के साथ दिन की शुरूआत हुई, फिर गुस्सा बढ़ता गया।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 06:44 PM (IST)
पुलवामा आंतकी हमला : साहब, सीने में धधक रही आग
पुलवामा आंतकी हमला : साहब, सीने में धधक रही आग

अलीगढ़ (राजनारायण सिंह)। भरी हुई आंखें, तमतमाया चेहरा और माथे पर सिलवटें, लगभग हर शहरी की शुक्रवार को यही तस्वीर थी। पुलवामा आतंकी हमला और शहादत....हिला देने वाली घटना के बाद शहर सामान्य नजर नहीं आया। मायूसी के साथ दिन की शुरूआत हुई, फिर गुस्सा बढ़ता गया। 

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आंखे डबडबा गईं

दोपहर  2.35 बजे भी फिजा में खामोशी थी। शहर मानो लग रहा था कि थक गया है। इस बीच एटा-क्वार्सी बाइपास से होते हुए सूर्य विहार कॉलोनी में दो बुजुर्गों पर नजर टिक गई। आतंकी हमले की बात आते ही 75 वर्ष के थान सिंह मिश्रा की आंखें डबडबा गईं। फिर सीने के अंदर दफन हुए दर्द को सामने उड़ेल दिया। कहा, शहीदों की शहादत ने गुरुवार रात सोने नहीं दिया। साहब, सीने में धधक रही आग ने भूख को मार दिया। कसम खाकर कह रहा हूं, सीमा पर भेज दो आतंकियों को मजा चखा दूंगा।

... एक गोली तो कम कर दूंगा

75 साल की उम्र में रवानी कहां से आएगी? अरे, कम से कम सीना सामने कर दुश्मन की एक गोली तो कम कर दूंगा। इसके बाद गुस्से में मुठ्ठी भींच ली। इनके बगल में बैठे 70 साल के एसआर भारद्वाज का खून भी उबाल ले रहा था। 'मिश्राजी के साथ सीमा पर जाकर जान दे दूंगा। मगर, जवानों की शहादत अब नहीं देखी जाती है' कहते हुए उनकी आंखें छलक पड़ी।

आतंकियों को जिंदा दफन कर देना चाहिए

 यहां से आगे मिले आठवीं के छात्र अमन कुमार सिंह और सातवीं के राहुल भारद्वाज के चेहरे पर तनाव नजर आया। अमन बोले, मैं स्कूल से आने के बाद खेलने नहीं गया। मन अच्छा नहीं लग रहा। आतंकियों को जिंदा दफन कर देना चाहिए। आगे नौरंगाबाद से जीटी रोड पर पहुंचे तो हवा बदली थी। चाय की दुकान से लेकर बैठकी के हर जगह पर आतंकी हमले की चर्चा थी। आदित्य गारमेंट पर वर्षा उपाध्याय से बातें शुरू हुईं। बोलीं, भइया तिरंगे में लिपटे जवानों के पार्थिव शरीर को देख दिल रो पड़ा। अचलताल खामोश के आगोश में लिपटा था। जाम में फंसे दुबे पड़ाव पर दो बाइक सवार आपस में बातचीत कर रहे थे। एक इंच भी यदि लंबाई छोटी हो तो सेना में नहीं लेते, मगर जवानों के शव के चिथड़े उड़ गए, उनके परिवार वालों को भी इंकार कर देना चाहिए। ट्रैफिक खुला तो मीनाक्षी पुल से सेंटर प्वाइंट की ओर बढ़ चले। रामघाट रोड पर राष्ट्र रक्षा फाउंडेशन के कार्यकर्ता 'पाकिस्तान होश में आओ, भारत से मत टकराओ' के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। शहर का दिल सेंटर प्वाइंट पर मायूसी थी।

मोदी को करारा जवाब देना चाहिए

 दिनभर जाम में उलझे अङ्क्षहसा फाउंडेशन से सरपट निकल सकते थे। एक दुकान पर खड़ी छात्रा शिवानी गुप्ता सिंध से बात की तो गुस्सा कम नजर नहीं आया। बोलीं, पीएम मोदी को करारा जवाब देना चाहिए। शाम ढलते ही मस्ती में डूबा सेंटर प्वाइंट कुछ तल्ख था। शुक्रवार की फिजा में ये पंक्तियां तैर रही थीं-'मोहब्बतें-ए-मुल्क की सच्ची निशानी दे गए, कश्मीर में सैनिक अपनी जवानी दे गए'..


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