अलीगढ़ में प्रधान ने अपने सास, ससुर, पति, देवरानी को बनाया मनरेगा मजदूर aligarh news
रदेश सरकार हर साल मनरेगा के कामों का सोशल ऑडिट कराती है। फिलहाल वित्तीय वर्ष 2018-19 के काम का इगलास अतरौली व बिजौली ब्लॉक में सोशल ऑडिट चल रहा है।
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । इन दिनों जिले में एक कहावत-'अंधा बांटे रेबड़ी, अपन-अपन को देय सही साबित हो रही है। अतरौली के गांव हैवतपुर के बाद इगलास के गांव जारौठ में भी मनरेगा के काम में घोटाला सामने आया है। यहां की प्रधान ने अपने पति, सास, ससुर, देवर व देवरानी के जॉब कार्ड बनाकर फर्जी भुगतान किया है। सोशल ऑडिट टीम ने इसकी पुष्टि की है। टीम का दावा है कि प्रधान रीना सिंह ने अपने परिवार को ही एक लाख से ज्यादा का भुगतान किया है। जबकि, गांव में दर्जनों लोग ऐसे हैं, जो गरीब हैं लेकिन, उन्हें काम नहीं दिया।
तीन ब्लॉक में ऑडिट
प्रदेश सरकार हर साल मनरेगा के कामों का सोशल ऑडिट कराती है। फिलहाल, वित्तीय वर्ष 2018-19 के काम का इगलास, अतरौली व बिजौली ब्लॉक में सोशल ऑडिट चल रहा है। इसमें टीम गांव जाती है। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में खुली बैठक में काम के हिसाब से लोगों के बयान होते हैं। तीन दिन में एक गांव का ऑडिट होता है। डीएम की ओर से अफसरों की ड्यूटी लगी है।
49 सक्रिय जॉब कार्ड
पिछले दिनों टीम इगलास ब्लॉक गांव जारौठ गई। 1427 की आबादी वाले गांव में 49 सक्रिय जॉब कार्ड हैं। पूरे साल में छह स्थानों पर मनरेगा के काम में 3188 मानव दिवस सृजित कर 6.22 लाख खर्च किए हैं। इनमें से 5.59 लाख का भुगतान हो चुका है। 62 हजार से पक्के निर्माण हुए हैं।
चौंकी टीम
जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान ने अपने परिवार के सात सदस्यों के नाम से जॉब कार्ड बना रखे हैं। इनसे बिना काम के ही भुगतान दिया है। पिछले साल जितना काम हुआ उसमें एक लाख से ज्यादा मजदूरी परिवार के सदस्यों को गई है। कुछ स्थानों पर तो पुराने कामों को ही नया दिखा दिया गया।
यह हैं प्रधान के परिजन
नाम प्रधान से रिश्ता रोजगार दिन भुगतान धनराशि
देवेंद्र सिंह प्रधान पति 44 7700
प्रेमवती प्रधान की सास 95 16625
चंद्रसेन प्रधान के ससुर 99 17325
प्रेमचंद प्रधान के देवर 91 15925
मालती देवी प्रधान की देवरानी 95 16625
बलवीर प्रधान के देवर 91 15925
मंजू देवी प्रधान की देवरानी 88 15400
यह है योजना
योजना का मकसद मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना है। गांवों में काम न होने के बाद भी मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। मजदूरों को दिक्कतें न हो, इसलिए काम करने के 15 दिन के भीतर भुगतान का प्रावधान है। 182 रुपये प्रतिदिन मजदूरी तय है। बीआरपी श्यौराज सिंह ने बताया कि जारौठ प्रधान ने पति, सास, ससुर, देवर, देवरानी के नाम से जॉब कार्ड बनाकर फर्जी भुगतान किया है। कई काम ऐसे हैं, जिनमें महज सुधार करके ही नए के हिसाब से भुगतान हुआ है। पात्र लोगों को काम नहीं दिया गया। टीए व सचिव भी बैठक में नहीं आए। प्रधान के पति देवेंद्र सिंह ने बताया कि मेरे परिवार के जितने भी कार्ड हैं, वे सभी लोग मजदूरी करने जाते हैं। फर्जी भुगतान के आरोप गलत हैं।