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संरक्षित क्षेत्र में पनप रहे पौधे पर्यावरणीय चुनाैतियों का करेंगे सामना Aligarh News

पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना हरियाली ही कर सकती है। लेकिन इसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा। पौधारोपण अभियान के तहत गली मोहल्ले कालोनी और फुटपाथों पर जो पौधे लगाए थे वे देखरेख के अभाव में मुरझा गए।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 08:03 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 08:03 AM (IST)
संरक्षित क्षेत्र में पनप रहे पौधे पर्यावरणीय चुनाैतियों का करेंगे सामना  Aligarh News
पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना हरियाली ही कर सकती है।

अलीगढ़, जेएनएन। पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना हरियाली ही कर सकती है। लेकिन, इसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा। पौधारोपण अभियान के तहत गली, मोहल्ले, कालोनी और फुटपाथों पर जो पौधे लगाए थे, वे देखरेख के अभाव में मुरझा गए। लोगों से इतना तक नहीं हुआ कि सुबह-शाम इन पौधों में पानी दे दें, जानवरों से इन्हें बचा लें। वे सरकारी इंतजामों का इंतजार करते रहे। शहर में पिछले साल लगाए गए लाखों पौधे इसी अनदेखी का शिकार हुए हैं। हां, संरक्षित क्षेत्र में लगे पौधे जरूर पनप गए। ये संरक्षित क्षेत्र नगर निगम ने तैयार कराए थे। बन्नादेवी क्षेत्र का गांव एलमपुर इन्हीं क्षेत्रों में एक है। यहां औषधीय पौधे लहलहा रहे हैं।

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यह है योजना

नगर निगम ने सिटी फारेस्ट प्रोजेक्ट के तहत सघन पौधारोपण के लिए बीते साल कुछ स्थान चिह्नित किए थे। इनमें कयामपुर बाईपास, घुड़ियाबाग और एलमपुर भी था। कयामपुर बाईपास और एलमपुर में नगर निगम ने अपनी भूमि पर जापानी तकनीकी से सघन पौधारोपण कराया। दोनों ही स्थानों को बाउंड्रीवाल व तारबंदी कर संरक्षित किया गया। पौधों के लिए खाद, पानी की समुचित व्यवस्था की गई। देखभाल के लिए कर्मचारी तैनात किए। प्रयास सफल रहे। पौधे तेजी से बढ़ने लगे। सालभर में पौधे तीन से चार फुट ऊंचे हो गए हैं।

फलदार पौधे भी लगाए

 सहायक नगर आयुक्त राजबहादुर सिंह बताते हैं कि सिटी फारेस्ट के तहत सघन जंगल विकसित किए जाते हैं। पौधाराेपण के दौरान ध्यान रखना पड़ता है, पौधों के बीच का अंतर अधिक न हो। इससे पौधे जल्दी विकसित होते हैं। धूप जड़ों तक नहीं पहुंचती, इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। पौधे भी ऊपर की ओर बढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि औषधीय पौधों का उपयोग अधिक किया गया है। फलदार पौधे भी लगाए गए हैं। जंगल विकसित होने पर शहर में उत्पात मचा रहे बंदरों को यहां सुरक्षित और संरक्षित क्षेत्र मिल जाएगा। भोजन के लिए फलदार वृक्ष भी होंगे। प्रदूषण को कम करने में ये जंगल सहायक होंगे। कुछ अन्य स्थानों पर भी सिटी फारेस्ट विकसित करने की योजना नगर निगम द्वारा बनाई जा रही है।


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