कक्ष निरीक्षक बढ़ाने की जरूरत मगर यहां ताे 2500 शिक्षक करेंगे बहिष्कार, जानिए मामला Aligarh news
जिनके कंधों पर बोर्ड परीक्षा जैसे बड़े आयोेजन को सफलता पूर्वक कराने की जिम्मेदारी हो वही अगर जिम्मेदारी से पीछे हट जाएं तो आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ना लाजमी है। यही हाल इस समय माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी हो रही है।
अलीगढ़, जेएनएन : जिनके कंधों पर बोर्ड परीक्षा जैसे बड़े आयोेजन को सफलता पूर्वक कराने की जिम्मेदारी हो वही अगर जिम्मेदारी से पीछे हट जाएं तो आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ना लाजमी है। यही हाल इस समय माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी हो रही है। क्योंकि एक ओर कोरोना काल के चलते परीक्षार्थियों को दूर-दूर बैठाने के चलते कक्ष संख्याएं बढ़ानी हैं तो उनमें कक्ष निरीक्षक की संख्या भी बढ़ेगी। मगर दूसरी ओर कक्ष निरीक्षक बनने वाले जिले के करीब 2500 शिक्षक इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का मन बना चुके हैं। उनको न शासन का डर है और ही विभाग का खौफ, क्योंकि ये वित्तविहीन कालेजों के शिक्षक हैं।
165 परीक्षा केंद्रोंं पर होंगी परीक्षाएं
दरअसल, यूपी बोर्ड परीक्षाएं 24 अप्रैल से जिले में शुरू होंगी। इसके लिए जिले मेें 165 परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया है। पिछले साल 157 परीक्षा केंद्र जिले मेें बनाए गए थे। इस बार केंद्रों की संख्या मेें आठ केंद्रों का इजाफा हुआ है। वहीं विद्यार्थियों की संख्या में पिछले साल की तुलना मेें थोड़ी गिरावट भी आई है। बावजूद इसके कक्ष निरीक्षक ज्यादा संख्या में लगाए जाएंगे। क्योंकि विद्यार्थियों को दूर-दूर बैठाने से ज्यादा कमरे उपयोग में लिए जाएंगे। इसलिए हर कक्ष मेें दो कक्ष निरीक्षक की तैनाती के साथ इनकी संख्या भी बढ़ेगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बेसिक शिक्षा विभाग से हर वर्ष की तरह इस बार भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के लिए सूची मांगी है। मगर माध्यमिक शिक्षा विभाग के वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों ने कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी से दूर रहने का ऐलान भी कर दिया है।
राहत पैकेज न मिलने से नाराज शिक्षक
जिले मेें करीब 2500 वित्तविहीन शिक्षक कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी पर लगाए जाते हैं। परीक्षा केंद्रों मेें भी 70 से 80 परीक्षा केंद्र वित्तविहीन कालेज ही हैं। उत्तरप्रदेश वित्तविहीन शिक्षक महासभा के प्रदेश महासचिव नीरज शर्मा ने बताया कि वित्तविहीन शिक्षकों को सरकार की ओर से कोरोना काल मेें कोई राहत पैकेज की घोषणा नहीं की गई। शिक्षकों को मानदेय भी नहीं दिया जा रहा है, मानदेय बढ़ाना तो दूर की बात है। राहत कोष से वित्तविहीन शिक्षकों को मदद देने के आश्वासन पर शिक्षक एमएलसी चुनाव में भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे और जीत भी गए। मगर अपना वादा अभी भी पूरा नहीं किया है। इसलिए वित्तविहीन शिक्षकों ने कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी से दूरी बनाने का फैसला किया है। इसके अलावा केंद्र व्यवस्थापक न बनने की रणनीति भी बनाई जा रही है। अगले हफ्ते होने वाली बैठक में ये भी निर्णय किया जाएगा कि वित्तविहीन कालेज जो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं उनके प्रधानाचार्य केंद्र व्यवस्थापक न बनें।