गाजियाबाद, हापुड़ व कानपुर के लोगों को अलीगढ़ में बांट दिए जमीन के पट्टे Aligarh News
ये तो भ्रष्टाचार की इंतिहा थी। 29 साल पहले करोड़ों रुपये की 700 बीघा सरकारी कृषि भूमि को ही पट्टïों के रूप में आवंटित कर दिया गया था।
अलीगढ़ सुरजीत पुंढीर: ये तो भ्रष्टाचार की इंतिहा थी। 29 साल पहले करोड़ों रुपये की 700 बीघा सरकारी कृषि भूमि को ही पट्टïों के रूप में आवंटित कर दिया गया था, वो भी गाजियाबाद, कानपुर व हापुड़ के लोगों के नाम। गांव की जिन बेटियों की शादी हो चुकी थी, उन्हेंं भी पट्टे दे दिए गए थे। अब आकर मामला खुला तो डीएम ने पट्टïे निरस्त कर जमीन को ग्राम समाज में दर्ज करा दिया है।
मामला डीएम कोर्ट में आया
जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर गांव बराकला में 1991 में पंचायत ने ऊसर व बंजर जमीन का कृषि आवंटन किया था। इसमें 46 लोगों को 700 बीघा से अधिक जमीन आवंटित की गई। आवंटन सूची में 58 लोगों के नाम और जोड़ दिए गए। आवंटियों की संख्या 104 हो गई। 1992 में तहसील से भी इस सूची को स्वीकृति दे दी गई। इसी आधार पर आवंटियों ने कब्जा ले लिया। कुछ दिनों पहले मामला डीएम कोर्ट में आया।
तहसील की जांच में पर्दाफाश
डीएम ने तहसील की टीम से जांच कराई तो पता चला कि तत्कालीन भूमि प्रबंधन समिति ने पिछली तारीखें दिखाकर फर्जी आवंटन किए। अधिकतर आवंटी अपात्र थे। तमाम लोग दूसरी पंचायतों के थे। गांव के रिश्तेदार व एक ही परिवार के कई-कई लोगों को पट्टे दिए गए। सार्वजिनक बैठक तक नहीं हुई। डीएम ने रिपोर्ट पर कारण बताओ नोटिस जारी कर आवंटियों से जवाब मांगा, लेकिन किसी ने नहीं भेजा। डीएम ने सभी पट्टïे निरस्त कर दिए।
104 लोगों के नाम हैं दर्ज
निरस्तीकरण वाले गाटाओं की जमीन पर 104 नाम दर्ज हैं। इसमें प्रमुख रूप से कानपुर से भगवान सिंह, तुलसी प्रसाद, रामबाबू, हापुड़ के गांव की बेटी ममता देवी, गाजियाबाद से सचिन व मीरा देवी, हाथरस के भगवान सिंह, निनामई के थान ङ्क्षसह, विजय ङ्क्षसह व प्रेमपाल ङ्क्षसह आदि शामिल हैं।
डीएम ने की सख्त कार्रवाई
700 बीघा जमीन का आवंटन निरस्त होना अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है। बराकला के प्रधान मुकेश पुंढीर का कहना है कि इस जमीन पर अब सरकारी प्रोजेक्ट लगा सकेंगे। इससे गांव ही नहीं, आसपास का विकास भी होगा। प्रशासन के फैसले से पूरा गांव खुश है।
हाथरस 1997 में बना जिला, कागज पहले ही बन गए
डीएम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आवंटियों से जमीन से जुड़े साक्ष्य मांगे। एक आवंटी ने कुछ कागज दिए। इन कागजों में उसका पता माहेश्वरी सुहाग भंडार सिकंदराराऊ हाथरस के नाम दर्ज था। कागजों की जांच में पता चला कि हाथरस 1997 में जिला बना था, जबकि आवंटी ने कागजों में 1991 के आवंटन में ही हाथरस को जिला दिखा दिया।
फर्जी आवंटन का अस्तित्व में रहना अनुचित है। बराकला के आवंटन को निरस्त कर दिया है। अब तहसीलदार कोल को खतौनी में ग्राम पंचायत का नाम दर्ज किराने के निर्देश दिए गए हैं। फर्जी आवंटन में शामिल लोगों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज होगी।
चंद्रभूषण ङ्क्षसह, डीएम