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स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी के लक्षण बताने से डर रहे लोग, जानिए क्यों Aligarh News

एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसमें स्क्रीनिंग कर टीबी व कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है। टीमों के समक्ष परेशानी ये है कि टीबी के संदिग्ध मरीज भी सांस फूलने या खांसी आने की जानकारी छुपा रहे हैं।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 11:27 AM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 11:27 AM (IST)
स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी के लक्षण बताने से डर रहे लोग, जानिए क्यों Aligarh News
एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जा रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन। इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसमें घर-घर जाकर मरीजों की स्क्रीनिंग कर टीबी व कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है। टीमों के समक्ष परेशानी ये है कि टीबी के संदिग्ध मरीज भी सांस फूलने या खांसी आने की जानकारी छुपा रहे हैं। दरअसल, कोविड के लक्षण भी इससे मिलते जुलते हैं। उन्हें डर है कि विभागीय टीम कोविड का मरीज समझकर उन्हें अस्पताल में भर्ती न करा दें। 

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 टीबी हारेगा -देश जीतेगा अभियान 

 टीबी हारेगा -देश जीतेगा अभियान के तहत क्षय रोगियों के खोज का गति पकड़ रही है। जनपद अलीगढ़ में कार्यरत 403 टीमों के  सदस्यों द्वारा क्षय रोगियों को घर घर खोजने के अभियान में खांसी, सायं के समय बुखार का आने, खांसी के साथ खून का आने भूख न लगना एवं तेजी से वजन कम होना आदि लक्षण वाले लोगों की जानकारी प्राप्त की जा रही है। विगत तीन दिन में 2 लाख 87 हजार से अधिक व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की गई है। जिनमे से 602, लोगों की टीबी की जांच की जा चुकी है उनके बलगम की जांच और एक्सरे करने के बाद टीवी के अब तक 46 रोगी चिन्हित किए जा चुके हैं, जिन्हें उपचार पर रखा गया है। 

कार्यक्रम की समीक्षा 

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर और उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रोहित गोयल रोजाना एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान की समीक्षा कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर सर्वे कर रही है। चिह्नित मरीजों को तुरंत उपचार पर लिया जा रहा है। सभी को निक्षय योजना के तहत 500 रुपये प्रतिमाह इलाज की अवधि तक प्रदान किए जाएंगे। यह धनराशि मरीज को पोषण के िलिए दी जाती है, क्योंकि टीबी के मरीज इलाज की अवधि में काफी कमजोर हो जाते हैं। 

सही दिशा में चल रहा अभियान 

जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि कुछ लोग शुरू में टीम के घर पहुंचते ही सहयोग नहीं करते हैं, लेकिन जब उन्हें समझाया जाता है तो वे बाद में टीम को सहयोग करते हुए लक्षणों के बारे में सब कुछ सही बताने लगते हैं और सहयोग करते हैं। इस कारण अलीगढ़ में टीबी रोगी खोज अभियान पूरी तरह सही दिशा में चल रहा है ।


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