इलाज के इंतजार में इमरजेंसी के गेट पर ही मरीज की मौत
दुबे पड़ाव के राजेंद्र को कई दिनों से उल्टी-दस्त की थी शिकायत जिला अस्पताल की इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार तक नहीं मिला।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाए गए मरीज को मरीज को स्ट्रेचर पर लेने की बजाय इमरजेंसी के गेट के बाहर ही बैठा दिया गया। इलाज का इंतजार करते-करते उसकी मौत हो गई। पति के शव पर बिलखती पत्नी को देख हर कोई सरकारी सेवाओं को कोसता नजर आया। क्योंकि यह मरीज से ज्यादा संवेदनाओं और मानवता की मौत थी। डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। प्रबंधन ने इस संबंध में शिकायत मिलने से इंकार किया है।
दुबे पड़ाव स्थित धोबी वाली गली के राजेंद्र सिंह (45) को पिछले दिनों डायरिया हो गया। इधर-उधर से दवा और इलाज कराते रहे। आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे, जिससे उन्हें किसी निजी हॉस्पिटल में भर्ती करा सकें। शनिवार शाम करीब चार बजे अचानक उनका पेट फूल गया। पत्नी उन्हें लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंची। आरोप है कि वहां मौजूद स्टाफ ने पति को देखने की बजाय थोड़ी देर बाहर ही इंतजार करने को कहा। पति को इमरजेंसी के गेट की दीवार का सहारा देकर बैठा दिया। डॉक्टर व स्टाफ का इंतजार करते हुए आधा घंटे से अधिक समय बीत गया, मगर कोई देखने नहीं आया। अंतत: इलाज के इंतजार में राजेंद्र के जीवन की डोर टूट गई।
इलाज मिलता तो बच जाती जिदगी : स्वजन ने कहा कि राजेंद्र सिंह को समय से इलाज मिल जाता तो शायद उनकी जिदगी बच जाती। न तो डॉक्टर-स्टाफ ने स्वयं इलाज शुरू किया और न उन्हें रेफर ही किया। यह भी नहीं देखा कि उनकी तबीयत बहुत खराब है। उन्हें प्राथमिक उपचार तक नहीं दिया गया।
..
मैं जनपद से बाहर था। मेरे संज्ञान में अभी ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। इस तरह किसी को बिना इलाज के इमरजेंसी से बाहर नहीं भेजा जाता। यदि ऐसा हुआ है तो जांच कराऊंगा। स्वजन मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. रामकिशन, सीएमएस