सुप्रीम कोर्ट का आदेश, लैब पर एमडी पैथोलॉजिस्ट जरूरी
(-----जागरण विशेष------) चिंताजनक - जिले में 200 से ज्यादा पैथोलॉजी लैब, पैथोलॉजिस्ट मात्र 20 ह
विनोद भारती, अलीगढ़ : कोई भी पैथोलॉजी लैब बिना एमडी पैथोलॉजिस्ट या डीसीपी (डिप्लोमा इन क्लीनिकल पैथोलॉजी ) के बिना नहीं खुल सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ऐसा भी संभव नहीं होगा कि किसी पोस्ट ग्रेजुएट पैथोलॉजिस्ट के नाम पर कोई लैब खोल ले, पैथोलॉजिस्ट का मौके पर होना जरूरी होगा। इस आदेश से अफसरों पर झोलाछापों की लैबों पर कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ेगा।
हर साल नए सेंटर पंजीकृत : पूरे जिले में करीब 20 एमडी पैथोलॉजिस्ट हैं। जबकि, सीएमओ दफ्तर में करीब 175 पैथोलॉजी सेंटर पंजीकृत हैं। हर साल एक दर्जन से अधिक नए सेंटर पंजीकृत हो रहे हैं। दो दर्जन से अधिक लैब ऐसी भी हैं, जहां झोलाछाप ही जांच कर रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। एक ही पैथोलॉजिस्ट के दस्तावेजों से 10-15 तक लैब खुल गई हैं। पैथोलॉजिस्ट का इन लैबों पर जांच तो दूर भ्रमण करना तक संभव नहीं।
नर्सिग होम में भी लैब : बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल पर नजर डालें तो ज्यादातर अपने यहां लैब चला रहे हैं। जबकि, लैब के लिए अलग से पंजीकरण अनिवार्य है, जिसके लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट जरूरी है। इन हॉस्पिटल में नियम-कानूनों को ताक पर रखकर मरीजों को सीधे रिपोर्ट दी जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश : सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ (न्यायाधीश राजन गोगोई व न्यायाधीश आर बानूमति) ने एक दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 12 दिसंबर-2017 को अपने फैसले में लैब रिपोर्ट एमडी पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर से ही जारी करने के निर्देश दिए हैं। एमडी पैथोलॉजिस्ट के नाम पर तकनीशियन या अयोग्य व्यक्तियों के द्वारा चल रही लैबों को गैर कानूनी घोषित कर दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला मरीजों के हित में व स्वागतयोग्य है। किसी के जीवन से खेलने का अधिकार किसी को नहीं है।
डॉ. भरत वाष्र्णेय, एमडी पैथोलॉजिस्ट
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एमडी पैथोलॉजिस्ट के दस्तावेज देखकर ही लैब पंजीकृत की जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई प्रति या शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। जो भी दिशा-निर्देश होंगे, उनका पालन होगा।
डॉ. एमएल अग्रवाल, सीएमओ