अब एक टीके से निमोनिया का खतरा खत्म, विषाणुओं से लडऩे की क्षमता भी Aligarh News
न्यूमोकोकल नामक एक टीका ही इस बीमारी को मात दे देगा। सूबे के 18 जिलों में चले रहे पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे नतीजे आने के बाद सरकार इसे पूरे सूबे में लांच कर रही है।
By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 08:19 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 09:24 AM (IST)
अलीगढ़ (जेएनएन)। बच्चों में निमोनिया को लेकर माता-पिता की चिंता अब खत्म होने वाली है। 'न्यूमोकोकल' नामक एक टीका ही इस बीमारी को मात दे देगा। सूबे के 18 जिलों में चले रहे पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे नतीजे आने के बाद सरकार इसे पूरे सूबे में लांच कर रही है। संभवत: सितंबर या अक्टूबर में इसे नियमित टीकाकरण में शामिल कर यिा जाएगा। राहत की बात ये है कि बाजार में करीब 3500 रुपये में बिकने वाला यह टीका सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगेगा।
जानलेवा बीमारी
निमोनिया श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है। इसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है। पांच साल से छोटे बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। वजह, दोनों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 18-20 फीसद मामलों में बच्चों-वृद्धों की मृत्यु की प्रमुख वजह निमोनिया ही है।
कारगर है न्यूमोकोकल
निमोनिया ज्यादातर न्यूमोकोकल नामक बैक्टीरिया, वायरस या फंगल के हमले से होता है। मौसम बदलने, सर्दी लगने, फेफड़ों पर चोट, खसरा व चिकनपॉक्स, टीबी, एचआइवी पॉजिटिव, एड्स, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोगियों को निमोनिया होने की आशका ज्यादा होती है। इस टीके में निमोनिया के लिए जिम्मेदार विषाणुओं व अन्य बीमारियों से लडऩे की क्षमता है। इसका पूरा नाम 'न्यूमोकोकल कांज्युगेट वैक्सीन' (पीसीवी) है।
निमोनिया के लक्षण
- उल्टी, दस्त, तेज बुखार,
- खांसी के साथ हरे या भूरे रंग का बलगम।
- कभी-कभी खांसी में हल्का खून।
- सांस लेने में दिक्कत, दिल की धड़कन बढऩा।
- पसलियां चलना, दांत किटकिटाना।
- भूख न लगना, होंठों का नीला पडऩा।
- कमजोरी, बेहोशी छाना।
विषाणुओं से लडऩे की है क्षमता
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.दुर्गेश कुमार ने बताया कि 'न्यूमोकोकलÓ वैक्सीन का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है। अब प्रत्येक जिले में इसे लागू किया जा रहा है। यह वैक्सीन डेढ़ माह, साढ़े तीन माह व नौ माह पर लगाई जाती है। वर्तमान में पेंटावेलेंट टीके में निमोनिया के वाहक कुछ ही जीवाणुओं से लडऩे की क्षमता है।
जानलेवा बीमारी
निमोनिया श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है। इसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है। पांच साल से छोटे बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। वजह, दोनों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 18-20 फीसद मामलों में बच्चों-वृद्धों की मृत्यु की प्रमुख वजह निमोनिया ही है।
कारगर है न्यूमोकोकल
निमोनिया ज्यादातर न्यूमोकोकल नामक बैक्टीरिया, वायरस या फंगल के हमले से होता है। मौसम बदलने, सर्दी लगने, फेफड़ों पर चोट, खसरा व चिकनपॉक्स, टीबी, एचआइवी पॉजिटिव, एड्स, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोगियों को निमोनिया होने की आशका ज्यादा होती है। इस टीके में निमोनिया के लिए जिम्मेदार विषाणुओं व अन्य बीमारियों से लडऩे की क्षमता है। इसका पूरा नाम 'न्यूमोकोकल कांज्युगेट वैक्सीन' (पीसीवी) है।
निमोनिया के लक्षण
- उल्टी, दस्त, तेज बुखार,
- खांसी के साथ हरे या भूरे रंग का बलगम।
- कभी-कभी खांसी में हल्का खून।
- सांस लेने में दिक्कत, दिल की धड़कन बढऩा।
- पसलियां चलना, दांत किटकिटाना।
- भूख न लगना, होंठों का नीला पडऩा।
- कमजोरी, बेहोशी छाना।
विषाणुओं से लडऩे की है क्षमता
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.दुर्गेश कुमार ने बताया कि 'न्यूमोकोकलÓ वैक्सीन का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है। अब प्रत्येक जिले में इसे लागू किया जा रहा है। यह वैक्सीन डेढ़ माह, साढ़े तीन माह व नौ माह पर लगाई जाती है। वर्तमान में पेंटावेलेंट टीके में निमोनिया के वाहक कुछ ही जीवाणुओं से लडऩे की क्षमता है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें