Aligarh Municipal Corporation : 14 माह में एक भी अधिवेशन नहीं, मिल रही तारीख पर तारीख, जानिए मामला
जन समस्याओं से जुड़े मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन जिस अधिवेशन में इन्हें उठाना है उसका आयोजन नगर निगम नहीं करा पा रहा। 12 माह में छह सामान्य अधिवेशन कराने की व्यवस्था है। अफसरों की व्यस्तता देखिए 14 माह में एक सामान्य अधिवेशन नहीं करा पाए।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। जन समस्याओं से जुड़े मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन, जिस अधिवेशन में इन्हें उठाना है, उसका आयोजन नगर निगम नहीं करा पा रहा। 12 माह में छह सामान्य अधिवेशन कराने की व्यवस्था है। अफसरों की व्यस्तता देखिए, 14 माह में एक सामान्य अधिवेशन नहीं करा पाए। अब मन बनाया है तो तारीख पर तारीख दी जा रही हैं। बुधवार को यह अधिवेशन होना था, मगर संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होेने का हवाला देकर टाल दिया। नई तारीख 27 दिसंबर मिली है। पार्षद खपा हैं। पूछ रहे हैं कि निगम अफसर अधिवेशन से आखिर क्यों बच रहा है?
अधिवेशन में पार्षद उठाने हैं जनसमस्याओं के मुद्दे
नगर निगम के सामान्य अधिवेशन में पार्षद जन समस्याओं से जुड़े मुद्दे उठाते हैं। इन पर निगम अफसरों से बिंदुवार जवाब मांगा जाता है। अक्सर लंबी बहस छिड़ जाती है। अफसरों से नोकझोंक भी होती रही है। पिछले साल 24 सितंबर को सामान्य अधिवेशन हुआ था। इसके बाद यह अधिवेशन नहीं हो सका। कुछ दिन पहले ही मेयर मोहम्मद फुरकान ने अधिवेशन की तिथि 27 नवंबर तय की थी, फिर एक दिसंबर कर दी। मंगलवार को और आगे बढ़ा दी गई। उपसभापति व पार्षद डा. मुकेश शर्मा ने कहा कि पिछले पांच दिनों में कई बार तारीख आगे बढ़ाई गईं। मेयर से अधिवेशन के आयोजन की बात हुई तो उन्होंने 25 नवंबर की तिथि बता दी। फिर 27 नवंबर निर्धारित कर पत्र जारी कर दिया। फिर बताया गया कि इस दिन नगर आयुक्त दिल्ली में रहेंगे और अधिवेशन रद कर दिया। 29 नवंबर को अधिवेशन कराने की सहमति बनी थी। लेकिन, मेयर ने एक दिसंबर तय कर पत्र जारी कर दिया। अब शीतकालीन सत्र शुरू होने का हवाला देकर 27 दिसंबर को अधिवेशन कराने की बात कही जा रही है। उपसभापति ने कहा कि शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से ही शुरू हो गया था, तब एक दिसंबर को अधिवेशन क्यों तय किया गया।
तैयार किए प्रस्ताव
उपसभापति ने बताया कि पार्षदों ने प्रस्ताव बना लिए हैं, जो सदन में रखे जाने हैं। तमाम समस्याओं से अफसरों को अवगत कराना है, उनसे जवाब मांगना है। जिस तरह अधिवेशन को टाला जा रहा है, इससे लगता है कि शहर के मौजूदा हालातों पर अफसर जवाब देने में सक्षम नहीं हैं। साल में छह सामान्य अधिवेशन कराने की व्यवस्था भंग होती नजर आ रही है।
क्या कहते हैं पार्षद
सामान्य अधिवेशन अब तक हो जाना चाहिए था। तमाम मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा करनी है। समस्याओं का समाधान कराना है। निगम अफसर तारीख ही दिए जा रहे हैं।
विजय तोमर, पार्षद
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सामान्य अधिवेशन में पार्षद जन समस्याएं उठाते हैं, उनके निस्तारण पर चर्चा होती है। निगम अफसर अधिवेशन कराना नहीं चाहते। जनहित में यह कतई उचित नहीं है।
वीरेंद्र सिंह, पार्षद
इनका कहना है
कोरोना संकट के चलते सामान्य अधिवेशन नहीं हो पाया था। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है। नियमानुसार इस बीच अधिवेशन का आयोजन नहीं किया जा सकता।
विनय राय, सचिव सचिवालय, नगर निगम