This is how Iglas is : आठ साल से महिला डाक्टर नहीं, एक डाक्टर के भरोसे अस्पताल Aligarh news
तमाम दावों व कवायदों के बावजूद ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का चेहरा बदल नहीं रहा। इगलास तहसील में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर कंक्रीट का भवन तो खड़ा कर दिया मगर पर्याप्त स्टाफ के अभाव में चिकित्सा सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
योगेश कौशिक, इगलास । तमाम दावों व कवायदों के बावजूद ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का चेहरा बदल नहीं रहा। इगलास तहसील में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर कंक्रीट का भवन तो खड़ा कर दिया, मगर पर्याप्त स्टाफ के अभाव में चिकित्सा सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पा रही हैं। आपदा काल में तो स्वास्थ्य सेवाओं पर अव्यवस्थाओं का ग्रहण ही लग गया। आठ साल से महिला डाक्टर नहीं है। प्रसव कराने की जिम्मेदारी नर्स निभा रही है। वहीं, पूरा अस्पताल मात्र एक डाक्टर के भरोसे हैं। इनकी भी कभी-कभी अन्य स्थानों पर ड्यूटी लगा दी जाती है। ऐसे हालात में ग्रामीण मरीज इलाज के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं। सरकारी अस्पताल में डाक्टर व दवा न मिलने के कारण मरीजों को मेडिकल स्टोर या फिर झोलाछापों से इलाज कराना पड़ रहा है। अधिकारियों से बात करें तो कोविड की दुहाई दी जाती है, अब ग्रामीण इलाज कराएं तो कहां?
डाक्टर हैं न पूरा स्टाफ
इगलास सीएचसी के दो शानदार भवन है। डाक्टर व स्टाफ के लिए आवास बने हैं। एक अस्पताल में 30 बेड की सुविधा हैैं, लेकिन मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता। दूसरे भवन में 50 बेड हैैं। यहां प्रसुताओं को ही भर्ती किया जाता है। बैठने के लिए कुर्सी, मेज की व्यवस्था है।
स्टाफ पर नजर
- 12 डाक्टरों के पद हैैं स्वीकृत
- 2 डाक्टर ही हैैं तैनात। इनमें से एक अधीक्षक हैैं, जो प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैैं।
- 01 ही डाक्टर इलाज की जिम्मेदारी संभालते हैैं
- 05 फार्मसिस्ट और 04 चार नर्स हैं।
- 8 वार्ड ब्वाय होने चाहिए, लेकिन एक ही तैनात है।
- 01 सफाई कर्मचारी संविदा पर है, स्थाई कोई नहीं है।
गंदगी के ढेर
सीएचसी में प्रवेश करते ही सफाई व्यवस्था की हकीकत आप जान जाएंगे। जगह-जगह गंदगी के ढेर नजर आएंगे। जानवर घूमते दिखेंगे। भवन के अंदर ही बाइक स्टैंड जैसा नजारा होता है। शौचालयों की सफाई नहीं होती। कुछ शौचालयों पर ताला लगा रहता है।
अस्पताल का हाल
- दवा काउंटर के बाहर ही कुत्ता काटे का इंजेक्शन न होने का बोर्ड लगा हुआ है। -कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को जांच व उपचार नहीं मिल पा रहा।
- कोरोना के चलते सीएचसी पर ओपीडी बंद सी ही हैं।
- इमरजेंसी में ज्यादातर कोतवाली से चालान के बाद मेडिकल कराने व हादसे में घायल हुए लोग ही पहुंच रहे हैं।
- रात के समय इलाज नहीं मिल पाता।
टीकाकरण की सुविधा
- 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा है।
- 18 से अधिक और 45 से अधिक आयु वालों के टीकाकरण के लिए अलग -अलग बूथ बनाए गए हैं।
- प्रत्येक दिन कोरोना की एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच की जा रही हैैं। रिपोर्ट समय से मिल रही हैैं।
ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे
सीएचसी से जुड़े 27 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। सभी केंद्रों पर एएनएम की तैनाती है। वे एंटीजन किट से कोरोना की जांच कर रही हैैं। निगरानी समितियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे भी किया जा रहै। कोविड लक्षणों वालों को अब तक 2200 किट दी जा चुकी हैैं।
ग्रामीणों के बोल
सरकारी अस्पताल में इलाज की खास सुविधा नहीं है। कभी डाक्टर नहीं होते तो कभी दवा। कोरोना काल में तमाम बीमारियों का इलाज कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
- अनिल बंसल, ग्रामीण।
सीएचसी पर व्यवस्थाओं को अभाव है। वहां सफाई भी नहीं रहती। कोविड के अलावा अन्य मरीजों को नहीं देखा जा रहा। समय से इलाज नहीं मिले तो मरीज की दिक्कतें बढ़ जाती हैैं।
रिजवान सिद्दीकी, इगलास
इनका कहना है
कुछ लोग झोलाछाप डाक्टर से व स्वयं इलाज करते हैं। यह गलत है। इलाज के लिए सीएचसी पर व्यवस्था है। टीका लगवाने में किसी प्रकार का जोखिम नहीं है, यह आम टीके की तरह है। वैक्सीन जरूर लगवाएं।
- प्रभात कुमार, स्वास्थ्य चिकित्साधिकारी
इमरजेंसी के साथ ओपीडी बहाल कर दी गई है। डाक्टर व स्टाफ की कमी है, जिसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी है। महिला डाक्टर की विशेष आवश्यकता है। अस्पताल के दोनों भवनों के लिए सिर्फ एक सफाई कर्मचारी है, इसलिए उचित ढंग से सफाई नहीं हो पाती। दवा की कमी नहीं है।
- डा. कुलदीप राजपुरी, अधीक्षक सीएचसी, इगलास