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नारी के संघर्ष, त्याग और समर्पण की कहानी है निवेदिका Aligarh news

बचपन में मन के भाव को कागजों पर उतारा नन्हें हाथों की इस दस्तक को सराहना मिली तो कविता और कहानियां निकल पड़ी। कवि सम्मेलनों से लेकर साहित्यिक मंचों तक अपनी कलम से नई कहानी गढ़ी। इसलिए आज पूनम शर्मा पूर्णिमा सुप्रसिद्ध कवियत्री और उपन्यासकार के रुप में चर्चित हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 03:43 PM (IST)
नारी के संघर्ष, त्याग और समर्पण की कहानी है निवेदिका   Aligarh news
नारियों के संघर्ष की कहानी है निवेदिका ।

अलीगढ़, जेएनएन : बचपन में मन के भाव को कागजों पर उतारा, नन्हें हाथों की इस दस्तक को सराहना मिली तो कविता और कहानियां निकल पड़ी। कवि सम्मेलनों से लेकर साहित्यिक मंचों तक अपनी कलम से नई कहानी गढ़ी। इसलिए आज पूनम शर्मा पूर्णिमा सुप्रसिद्ध कवियत्री और उपन्यासकार के रुप में चर्चित हैं। इनदिनों उनका उपन्यास निवेदिका काफी चर्चित हो रहा है। नारी विमर्श पर आधारित यह उपन्यास समाज के ईदगिर्द की सत्यतता को बयां करता है। उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी को समेटे हुए हकीकत से जुटी कहानी है। इसलिए निवेदिका का एक पेज पढ़ने के बाद लोग पूरा पढ़े बिना थमते नहीं हैं। 

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शिक्षिका हैं पूनम शर्मा

पूनम शर्मा पूर्णिमा आगरा रोड के विकास नगर एडीए कालोनी में रहती हैं। वह मैरिस रोड स्थित वुडवाइन स्कूल में हिंदी की शिक्षिका हैं। पति गोपाल वशिष्ठ अधिवक्ता हैं। पूनम का अभी हाल में निवेदिता उपन्यास प्रकाशित हुआ है। इसमें एक नारी के संघर्ष, त्याग और समर्पण की कहानी है। सामाजिक विसंगितयों को भी उभारा गया है। पूनम कहती हैं कि आज भी स्त्रियों को तमाम सामाजिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। पर्दे के सामने की कहानी कुछ और है, जबकि पर्दे के पीछे कुछ और है। उन्होंने निवेदिका में उन्हीं बातों को उतारा है। हालांकि, उनका यह उपन्यास हतोत्साहित नहीं करता। निंदा से परे है, नवजीवन का संचार करता है। करुणा और स्थिरता का भाव आया है तो बड़ी खूबसूरती से पूनम ने उसे बाहर निकालते हुए उत्साह भी दिखाया है। पूनम कहती हैं कि एक कवित्रयी और साहित्यकार होने के कारण उनका फर्ज बनता है कि वह आशाओं की ओर ले जाएं। संभावनाओं के पंख लगाएं, जिससे नारी पार निकलकर आ सकें, इसे लिखने का प्रयास किया है। तमाम लोगों की बधाईयां आ रही हैं। मुझे लग रहा है कि मेरी कलम ने कुछ अच्छा लिखा है।  

कागज की बातों से मुड़ गई जिंदगी 

पूनम बताती हैं कि वह 13 वर्ष की थीं, तभी कागज पर अपने मन की बातों को उतारा करतीं थीं। उस समय क्या लिख रही हैं, उन्हें खुद पता नहीं चलता था। बस लिखने का शौक था। कई बार तो लिखने के बाद उसे छिपा दिया करती थीं। मन में सवाल उठता था कि बात सही भी है या फिर यूं ही लिखे जा रही हूं। कहीं किसी ने देख लिया तो क्या कहेगा? इसलिए तमाम बार कागज पर लिखकर फेंक दिए होंगे। एक बार पिताजी सेवानिवृत्त मेजर दुर्गा प्रसाद भारद्वाज के हाथ में कागज का एक टुकड़ा पड़ गया। उन्होंने कहा, पूनम क्या तुमने लिखा है। वह थम गईं, सोचा डांट ना पड़ जाए, मगर शाबाशी की जो फुहार पूनम पर पड़ी उसने उन्हें बड़ी कवियत्री और लेखिका बना दिया। पूनम कहती हैं कि तभी से उनके अंदर लिखने का बीजारोपण हुआ और फिर उनकी कलम थमी नहीं। इसलिए उन्होंने गद्य और पद्य दोनों में लिखा। 

कहानी और कविताएं 

पूनम की तमाम कहानियां भी प्रकाशित हो चुकी हैं। लघु संस्मरण भी आ चुके हैं। निवेदिका उनका पहला उपन्यास है। दो और उपन्यास वह लिख रही हैं। ब्रज भाषा को वह अपनी कलम के माध्यम से सशक्त बना रही हैं। गजल, गीत, दोहे, छंद, पद, मल्हार, गारी आदि  विद्या पर वह लिख चुकी हैं। उन्होंने बताया कि गांव में आज भी शादी-ब्याह में गारी खूब चलती है। रामचरित मानस का जिक्र किया। कहा, दशरथजी जब बरात लेकर जनकपुरी पहुंचे थे तो जनकपुरी की महिलाओं ने गारी गीत सुनाया था, तभी से हमारे यहां गारी विधा प्रचलित है। शादी-ब्याह में आज भी महिलाएं इस परंपरा का निर्वहन करती हैं। 

मंचों पर गूंजी कविताएं  

पूनम शर्मा की अलीगढ़, दिल्ली, भरतपुर,  आगरा, फीरोजाबाद, बरेली आदि जगहों पर कविताएं गूंज चुकी हैं। वह कवि सम्मेलनों में मंचों पर गाती हैं। वह कहती हैं कि तमाम बड़े कवियों से उन्हें शाबाशी मिल चुकी है। 

फिर थमती नहीं कलम 

लिखने का कोई समय नहीं होता। जब दिमाग में कोई पंक्ति आ जाती है तो फिर एक हूक सी उठती है। फिर समय की परवाह नहीं रहती। रात को दो बजे भी लिखना शुरू कर देती हैं। किचन में गुनगुना शुरू कर देती हैं। जल्दी से कागज या फिर वाट्सएप पर उतारकर उसे रख लेती हैं, जिससे फुर्सत में उसे पूरा किया जा सके। पूनम शर्मा कहती हैं कि कवि और साहित्यकार विचारशील होते हैं, कब किस समय उनके मन में भाव आ जाए यह पता नहीं होता है। हालांकि, सामाजिक परिवेश को देखकर उनके मन में भाव खूब उत्पन्न होते हैं। 

मिल चुका है सम्मान 

 

पूनम शर्मा को श्रीनाथ द्वारा राजस्थान से ब्रजभाषा विभूषण की मानिध उपाधि से मिल चुकी है। कवि सम्मेलनों में भी उन्हें सम्मान मिल चुका है।


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