आस्था संग आर्थिक उत्थान का भी संकल्प है निर्जला एकादशी
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि दुनिया में सबसे श्रेष्ठ हमारी संस्कृति है। यह निराशा से निकालकर उम्मीदों की ओर ले जाती है
अलीगढ़ (जेएनएन)। आस्था और अनंत पुण्य का व्रत निर्जला एकादशी पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा। महिलाएं सुबह से व्रत रखेंगी। साल में एक बार पडऩे वाले इस व्रत का हमारी संस्कृति में धार्मिक और आर्थिक दोनों तरह से महत्व है। व्रत के दिन मिट्टी के घड़े और हाथ का पंखा (बेना) आदि दान-पुण्य की परंपरा है। आचार्यों ने श्रद्धालुओं से इन चीजों की अधिक से अधिक दान-पुण्य की अपील की है, जिससे व्रत का फल मिले व साथ ही घड़ों की बिक्री से कुम्हार आदि की मदद भी हो सके।
यह है महत्व
ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी पर्व के रूप में मनाई जाती है। तथास्तु ज्योतिष संस्थान के प्रमुख आचार्य लवकुश शास्त्री ने बताया कि निर्जला एकादशी भीमसेनी ग्यारस के नाम से भी जानी जाती है। इस बार यह पर्व दो जून को है। खास बात है कि महिला-पुरुष दोनों यह व्रत रख सकते हैं। हालांकि, महिलाओं की संख्या अधिक रहती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिससे अनंत कोटि फल की प्राप्ति होती है। सभी 26 एकादशी में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे फलदायी माना गया।
दान कर पुण्य की करें प्राप्ति
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि दुनिया में सबसे श्रेष्ठ हमारी संस्कृति है। यह निराशा से निकालकर उम्मीदों की ओर ले जाती है। इस समय बाजार का चक्र थमा हुआ है, ऐसे में हम व्रत के दिन कुम्हार और पंखे बेचने वालों को कुछ मदद कर सकते हैं। सभी कुम्हार के यहां से मिट्टी के घड़े और बाजार से पंखे खरीद कर दान-पुण्य करें। घड़े में मीठा जल भरकर रखें। साथ ही तरबूज, खरबूज आम आदि फलों का दान भी करें।
फेसबुक पर करेंगे अपील
आचार्य लवकुश शास्त्री ने कहा कि वह सोमवार को सुबह 10 बजे फेसबुक पर यजमानों और आमजन से मिट्टी के घड़े और पंखे दान की अपील करेंगे। कहा कि निर्जला व्रत के बारे में जिन्हें भी अधिक जानकारी चाहिए वे फेसबुक से लवकुश शास्त्री की आइडी से जुड़ सकते हैं।
इन स्थानों पर करें खरीदारी
एटा चुंगी, मीनाक्षी पुल के नीचे, घुडिय़ाबाग आदि पर घड़ा बेचते हैं। बाजार में सुदामापुरी, रामघाट रोड, दुबे पड़ाव, सासनीगेट, सारसौल, रघुवीरपुरी, खैर रोड आदि जगहों पर भी घड़ा और पंखे मिल सकते हैं।
दो जून को है व्रत
आचार्य लवकुश शास्त्री ने बताया कि निर्जला एकादशी एक जून दोपहर 2. 57 बजे से आरंभ होगी। दो जून दोपहर 12.04 बजे रहेगी। उदया तिथि दो जून को मिल रही है। इसलिए मंगलवार को व्रत फलदायी है।
बढ़-चढ़कर करेंगे दान-पुण्य
रामनगर की कुसुम का कहना है कि मैं कई वर्ष से व्रत रख रही हूं। व्रत के दिन घड़ा और पंखा आदि दान करती हूं। सोमवार को बाजार से खरीदारी करूंगी। रावण टीला की शशि ने बताया कि व्रत के दिन बच्चों के साथ दान-पुण्य करती हूं, जिससे उनके अंदर भी हमारी संस्कृति का प्रभाव पड़े। सुबह से ही बिना जल ग्रहण किए व्रत का संकल्प लेती हूं। जाहरवीर नगर की पुष्पा देवी ने बताया कि यह व्रत हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। कई वर्षों से व्रत रख रही हूं। दान-पुण्य कर भगवान विष्णु से सुख-समृद्धि की कामना करती हूं। आनंद विहार के शीतल ने बताया कि चूंकि व्रत वाले दिन घर से निकलना मुश्किल होगा इसलिए सोमवार को ही जरूरी सामान खरीदारी करूंगी। यह व्रत जरूरतमंदों के आर्थिक उन्नयन का आधार भी है।