Nikay Chunav Aligarh 2022 : अलीगढ़ की नगर पंचायत जलाली में सबसे अधिक निर्दलीय बने चेयरमैन, ये रही वजह
Nikay chunav Aligarh 2022 निकाय चुनाव निकट हैं। तिराहे चौराहे और खेतों तक चुनानी चर्चा होने लगी हैं। पिछले चुनाव के वादे। विकास कार्य और क्षेत्र की समस्याएं भी इन चर्चाओं में शामिल रहती हैं। राजनीतिक दल जीत की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
अलीगढ़, अमित वाष्र्णेय। Nikay chunav Aligarh 2022 निकाय चुनाव निकट हैं। तिराहे, चौराहे और खेतों तक चुनानी चर्चा होने लगी हैं। पिछले चुनाव के वादे। विकास कार्य और क्षेत्र की समस्याएं भी इन चर्चाओं में शामिल रहती हैं। राजनीतिक दल जीत की संभावनाएं तलाश रहे हैं। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने का सभी को इंतजार है। लेकिन, उम्मीदों के सहारे दावेदार वार्डों में लोगों से संपर्क करने लगे हैं। आजादी के बाद से अब तक नगर पंचायत जलाली में 15 चेयरमैन चुने गए, जिनमें एक नामित, नौ निर्दलीय रहे। दो बार बसपा और दो बार सपा और एक बार भाजपा का इस पद पर कब्जा रहा।
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अंग्रेजी शासन में बनी सहकारी समिति
अंग्रेजी शासन में 1861 में कस्बे को सहकारी समिति बनाया गया था। 1947 में लाला ज्योति प्रसाद को पहली बार नामित चेयरमैन बनाया गया। इसी के साथ कस्बे में नगरीय प्रशासन की शुरुआत हुई। 1951 में नगर का पहला चुनाव हुआ, जिसमें सुखराम कुशवाह ने मूलचंद अग्रवाल को हराया। इसके ढाई साल बाद मूलचंद ने पिटीशन दायर किया। तब ढाई साल के लिए मूलचंद को चेयरमैन बनाया था। 1957 में जमुना प्रसाद ने नेत्रपाल को हराकर चेयरमैन पद हासिल किया। इनका कार्यकाल पूरा होने के बाद कस्बे में दो बार सुपर शासन रहा।
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11 साल तक प्रशासन के पास जिम्मेदारी
1964 के चुनाव में विलायत हुसैन ने चिरंजीलाल पिप्पल को हराकर कुर्सी पर कब्जा किया। इसके बाद 1971 में जैनुद्दीन पहलवान को हराकर जितेंद्र कुमार अग्रवाल नगर के चेयरमैन बने। उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद 11 साल तक प्रशासन के पास जिम्मेदारी रही। 1987 में चुनाव हुए। जितेंद्र कुमार अग्रवाल ने अपने प्रतिद्वंदी खुर्शीद अली को हराकर फिर से चेयरमैन पद हासिल किया। चुनाव हारने के बाद खुर्शीद अली ने 1990 में पिटीसन दायर किया। एक साल के लिए खुर्शीद अली को नगर अध्यक्ष बनाया गया। 1991 का चुनाव बहुत ही दिलचस्प रहा।
जितेंद्र ने जीत की हैट्रिक बनाई
जितेंद्र कुमार अग्रवाल ने जीत की हैट्रिक बनाकर भाजपा के रामस्वरूप बोहरे को हराया। 1994 सभासदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इसके चलते ढाई साल तक सुपर शासन रहा। 1996 में चेयरमैन पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया। तब बसपा के राजेंद्र सिंह ने निर्दलीय फूलचंद को हराया। 2001 में सीट अनुसूचित जाति के लिए ही आरक्षित थी। इस चुनाव में राजेंद्र सिंह की जीत हुई। इसके बाद एससी के लिए चेयरमैन पद आरक्षित हुआ। 2006 में चुनाव हुआ। फूल चंद की पत्नी कृष्णा देवी ने राजेंद्र सिंह को मात देकर कस्बे की अध्यक्ष पद पर कब्जा किया।
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एससी महिला के लिए आरक्षित
2012 में यह पद एससी महिला के लिए आरक्षित किया गया, जिसमें कृष्णा देवी ने निर्दलीय सुषमा देवी को हराया। ढाई साल बाद कृष्णा देवी को 17 जून 2014 में शासन द्वारा गबन के मामले में बर्खास्त किया गया। तब प्रशासन के पास जिम्मेदारी आ गई। 2016 में चुनाव हुआ निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमारी ने कुसमा देवी को हराया। 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रोरन सिंह बघेल ने निर्दलीय सलमा बेगम को हराया। रोरन सिंह चेयरमैन बने। चुनाव निकट है। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने का सभी को इंतजार है।
भाजपा, बसपा व सपा को मिल चुका है मौका, कांग्रेस खाली
- 15 चेयरमैन अब तक बने हैं नगर पंचायत के
- 01 नामित चेयरमैन रहे
- 9 बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने की जीत हासिल
- 02 चेयरमैन सपा के प्रत्याशियों की हुई जीत
- 01 बार भाजपा का कब्जा रहा चेयरमैन पद पर
- 02 बार बसपा प्रत्याशी चेयरमैन बने
- 13 वार्ड नगर पंचायत में
- 17266 कुल मतदाता हैं
- 9184 पुरुष मतदाता हैं
- 8062 महिला मतदाता हैं
अब तक चुने गए चेयरमैन
- 1947 ज्योति प्रसाद, नामित
- 1951 सुखराम कुशवाह,निर्दलीय
- 1954 मूलचंद अग्रवाल, निर्दलीय
- 1957 - जमुना प्रसाद ,निर्दलीय
- 1964 - विलायत हुसैन,निर्दलीय
- 1971 - जितेंद्र कुमार अग्रवाल ,निर्दलीय
- 1987 जितेंद्र कुमार अग्रवाल ,निर्दलीय
- 1990 - खुर्शीद अली ,निर्दलीय
- 1991 - जितेंद्र कुमार अग्रवाल,निर्दलीय
- 1996 - राजेंद्र सिंह ,बसपा
- 2001 - राजेंद्र सिंह,बसपा
- 2006 - कृष्णा देवी,सपा
- 2012 - कृष्णा देवी,सपा
- 2016 - राजकुमारी ,निर्दलीय
- 2017 - रोरन सिंह बघेल ,भाजपा
आरक्षण पर नजर
- 1947 ,सामान्य
- 1951 ,सामान्य
- 1957, सामान्य
- 1964, सामान्य
- 1971 ,सामान्य
- 1987 ,सामान्य
- 1990 ,सामान्य
- 1991, सामान्य
- 1996 ,एससी पुरुष
- 2001,एससी पुरुष
- 2006 ,एससी
- 2012 ,एससी महिला
- 2016 ,एससी महिला
- 2017,ओबीसी
कस्बे का इस बार युवा चेयरमैन होना चाहिए जो युवा सोच और नई दिशा के साथ जलाली का विकास कर सके।
- शंकरपाल बौहरे
कस्बे के लोग नए चेयरमैन चुनने को बहुत उत्साहित है।इस बार युवा चेयरमैन चुनना है।जिससे कस्बे को विकास की नई ऊर्जा मिल सके।
- दशरथ पाली