Municipal Corporation Aligarh : बंद इमारतों में अब भी धूल फांक रहीं मशीन, उपकरण
नगर निगम की बंद इमारतों में करोड़ों रुपये के खरीदे गए संसाधन अब भी धूल फांक रहे हैं। जबकि नए साल में नई व्यवस्थाएं करने के दावे किए गए थे। कूड़ा प्रबंधन के लिए जिन उपकरणों की खरीद बड़े पैमाने की हुई थी उनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा।
अलीगढ़, जेएनएन। नगर निगम की बंद इमारतों में करोड़ों रुपये के खरीदे गए संसाधन अब भी धूल फांक रहे हैं। जबकि, नए साल में नई व्यवस्थाएं करने के दावे किए गए थे। कूड़ा प्रबंधन के लिए जिन उपकरणों की खरीद बड़े पैमाने की हुई थी, उनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। मशीन, उपकरण और वाहनों का भी पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इनकी खरीद को लेकर आरोप लग चुके हैं, लेकिन अधिकारियों पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा। यहां तक आरोप लगे थे कि चहेते ठेकेदारों को टेंडर दिलाकर खेल किया गया है।
लाखों खर्च, फिर भी शहर गंदा
शहर में प्रतिदिन निकलने वाले 450 मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण के लिए निगम प्रतिमाह करीब तीन करोड़ रुपये खर्च करता है। यही नहीं, ई-टेंडर के जरिए समय-समय पर उपकरण भी खरीदे जाते हैं। बीते साल ही 2.25 करोड़ के कर्वड साइकिल रिक्शा, 75 लाख की हाथगाड़ी व अन्य उपकरणों की खरीद फरोख्त हुई थी। लेकिन पूरी तरह से इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। कुछ कवर्ड साइकिल रिक्शे कर्मचारियों को दिए गए थे। लेकिन इन रिक्शों का ऊपर का हिस्सा काटकर कबाड़ में बेच दिया गया। सवा करोड़ के खरीदे गए कूड़ेदान आधे ही लग सके हैं। सारसौल स्थित वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन भी सूना पड़ा है। यहां खड़ी सवा दो करोड़ की फिक्सड कांपैक्टर मशीन का कुछ खास उपयोग नहीं हो रहा। योजना थी कि मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर मेें कूड़े की छंटाई कर गीला कूड़ा वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन भेजा जाए। यहां कांपैक्टर के जरिए बेहिसाब कूड़े को छोटे भाग में कर एटूजेड प्लांट ले जाने की योजना बनी थी। अभी तक तो एमअारएफ सेंटर पूरे नहीं बन सके हैं। यही नहीं, 107 आटो टिपर वाहनों में मात्र 50 ही संचालित हैं। पार्षद, विधायक भी इसकी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन इन वाहनों को सड़क पर नहीं निकाला जा सका। सवाल भी जब इनसे काम ही नहीं था तो खरीदे ही क्यों गए।