पाताल की कोख सुखाकर बुझा रहे प्यास, अधिकांश मिनरल वाटर प्लांट संचालकों के यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं Aligarh news
जिले में मिनरल वाटर प्लांट की भरमार है। गलियों से लेकर रामघाट रोड स्थित तालानगरी में प्लांट संचालित हैं। यह पाताल की कोख सुखा कर लोगों की प्यास बूझा रहे हैं। अधिकांश प्लांट में न तो रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम हैं न ही अन्य मानक पूरे हो रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । जिले में मिनरल वाटर प्लांट की भरमार है। गलियों से लेकर रामघाट रोड स्थित तालानगरी में प्लांट संचालित हैं। यह पाताल की कोख सुखा कर लोगों की प्यास बूझा रहे हैं। अधिकांश प्लांट में न तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हैं, न ही अन्य मानक पूरे हो रहे हैं। इस ओर से प्रशासन ने निगाह ही फेर ली हैं। जहां ये प्लांट लगे हैं, उस क्षेत्र का भूजल तेजी से गिर रहा है। शहर में इन प्लांटों पर नजर रखने का दायित्व नगर निगम का है, मगर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही है।
शुद्ध पानी के नाम पर हो रहा खेल
शुद्ध पेयजल के नाम पर खेल चल रहा है। पानी की बचत के लिए केंद्र व राज्य सरकार पूरी शक्ति के साथ जुटी हैं। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण की शहर व अपने क्षेत्र में 300 वर्गमीटर से अधिक भूखंड पर भवन निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की अनिवार्यता है। भवन के निर्माण के लिए नक्शा पास करते समय ही इस सिस्टम को शामिल किया जाता है। आरओ प्लांट संचालक एक लीटर पानी शुद्ध करने में 10 लीटर पानी बर्बाद करते हैं। इस पानी की बचत की जा सकती है। जिन प्लांटों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, वे इस पानी को फिर से जमीन में डालते हैं। जिनके यहां यह सिस्टम नहीं है, वे पानी को नाले-नालियों में बहा देते हैं। एक प्लांट पर पांच से 10 हजार लीटर तक पानी रोज बेचा जाता है। शादी-समारोह के सीजन में चार गुना तक बिक्री होती है।
इनका कहना है
हम किसी के कारोबार को उजाडऩे की बात नहीं कर रहे, मगर प्राकृतिक धरोहर को संजो भी सकते हैं। उन्हीं धरोहरों में से एक है पानी। आरओ प्लांट संचालकों को पानी की बचत के संसाधनों का प्रयोग करना चाहिए। प्रशासन रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम की अनिवार्यता करे।
दीपक पंडित, सामाजिक कार्यकर्ता
पानी की बचत करने के लिए जागरूकता की जरुरत है। जिसे दैनिक जागरण बखूबी निभा रहा है। शहर के आदश पुरुष पानी बचाने की जागरूकता के लिए आगे आएं। आरओ प्लांट संचालक पानी को शुद्ध करने पर निकलने वाले बाकी पानी को भी दोबारा से अन्य कामों में प्रयोग करना चाहिए। इस पानी का उपयोग बोतल साफ करने में भी कर सकते हैं।
निर्वेश गुप्ता, समाजसेवी