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Aligarh Smart City : कराह रहा विकास की अधूरी बुनियाद पर टिका शहर, फाइलों में कैद योजनाएं

Aligarh Smart City अलीगढ़ को स्‍मार्ट सिटी कहना अब बेमानी सा लगने लगा है। बीते दिनों बरसात के चलते हुए जलभराव ने सारी योजनाओं को धता बता दिया है। अलीगढ़ और जोफरी ड्रेन का विस्‍तारीकरण फाइलों में कैद है।

By JagranEdited By: Anil KushwahaPublished: Mon, 26 Sep 2022 12:28 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 12:34 PM (IST)
Aligarh Smart City : कराह रहा विकास की अधूरी बुनियाद पर टिका शहर, फाइलों में कैद योजनाएं
शहर को smart City कहना अब बेमानी सा लगता है।

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । Aligarh Smart City : शहर को smart City कहना अब बेमानी सा लगता है। योजनाओं का पुलिंदा लेकर घूमने वाले महकमे जलभराव की विकराल होती समस्या का निदान नहीं कर पा रहे हैं। विकास की अधूरी बुनियाद पर टिका शहर कराह रहा है। जिन नालों के भरोसे जलनिकासी के रास्ते तलाशे गए थे, वे अधूरे पड़े हैं। पुराने नालों का चौड़ीकरण न हो सका। इगलास रोड पर sewage treatment plant (एसटीपी) अधूरा पड़ा है। मुंह फाड़े नालों में कूड़ा बहाना आम बात हो गई है। अलीगढ़ और जोफरी ड्रेन का विस्तारीकरण फाइलों में कैद है। इन योजनाओं का क्रियान्वयन न होने से drainage system चौपट हो चुका है।

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दायरे तक सीमित स्‍मार्ट सिटी परियोजनाएं

शहर में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर जिम्मेदार महकमे कुछ करते नहीं दिख रहे। 998 करोड़ की स्मार्ट सिटी परियोजनाएं एक दायरे तक सीमित हैं। इस बजट की आधी धनराशि भी ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने में लगा दी जाती तो शहर का ये हाल न होता। 80 प्रतिशत क्षेत्र सीवर नेटवर्क से जुड़ा ही नहीं है। जो 20 प्रतिशत है, वह जीर्ण-शीर्ण है। 40 प्रतिशत नाले कब्जाए हुए हैं। यहां से पानी निकले भी तो कैसे? बाजार, मंडियों से कूड़ा इन्हीं में बहा दिया जाता है, जो निकासी अवरुद्ध करता है। जल संचय की प्रमुख स्रोत छह पोखरों का अस्तित्व ही मिट गया है। जो 15 बची हैं, वे भी आधी-अधूरी और गंदगी से अटी पड़ी हैं। इनमें घरों से निकले पानी को समाने की क्षमता भी नहीं है। तीन साल पूर्व गूलर रोड पोखर को कब्जा मुक्त कराकर खोदाई कराई गई थी। इससे उस क्षेत्र में जलभराव की विकराल समस्या उत्पन्न नहीं हुई। मानसून में यहां नाव निकल आती थी।

विकसित न हो सके ड्रेन

शहर की सीमा में 12.976 किमी पर फैला Aligarh Drain निकासी का प्रमुख स्रोत है। इसी से joffrey drain (12.976 किमी) व Mathura- Iglas Road Drain (4.724 किमी) जुड़े हैं, जो शहर के 29 संपर्क नालों का पानी अलीगढ़ ड्रेन तक पहुंचाते हैं। अलीगढ़ ड्रेन के जरिये पानी करबन नदी में गिरता है। ड्रेन विकसित न होने से जलनिकासी अवरुद्ध रहती है। इनकी सफाई में औपचारिकता निभाई जाती है। पटरियां कच्ची होने अक्सर कटान होता है। जंगलगढ़ी में तीन साल से नाला अधूरा पड़ा है। ये बन जाए तो शाहजमाल क्षेत्र में काफी हद तक जलभराव से निजात मिल सकती है। छर्रा अड्डा पर भूमिगत पुलिया दस साल से बंद है। इसे खोलने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।

कालोनियों में नहीं एसटीपी

ओजोन सिटी को छोड़ दें तो किसी कालोनी, अपार्टमेंट में एसटीपी प्लांट नहीं है। जबकि, ये अनिवार्य है। नियमानुसार कालोनियों में सड़क, एसटीपी, ड्रेनेज, लाइट, पार्क सहित अन्य सभी जन सुविधाएं विकसित करने के बाद ही प्लाट बेचे जाते हैं। बिल्डर ऐसा न करके किसान से सीधे जमीन खरीदकर कालोनी विकसित कर लेते है। न एडीए के अधिकारी इसे देखते हैं, न नगर निगम के। कालोनियों से निकला सीवर नालों में बहा दिया जाता है।

अलीगढ़ ड्रेन तक बने खुला नाला

नगर निगम के Former Chief Engineer Kulbhushan का कहना है कि क्वार्सी चौराहे पर पुलिया बनाई जाए। क्वार्सी से आगे अलीगढ़ ड्रेन तक खुला नाला बनने से जलभराव का काफी हद तक निदान हो सकता है। अलीगढ़ ड्रेन की रामघाट रोड पर पुलिया भी बननी चाहिए। रामघाट रोड से जीटी रोड तक सिंधौली नाले की सफाई होनी चाहिए। जीटी रोड पर नाले से अतिक्रमण हटाना आवश्यक है। निचले इलाकों में पोखरों को कब्जा मुक्त कराकर इनकी क्षमता बढ़ाई जाए।

इनका कहना है

जलभराव की समस्या से शहर को निजात दिलाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। क्वार्सी चौराहे पर निर्माण चल रहा है। नालों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की जा रही है।

- अमित आसेरी, नगर आयुक्त


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