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एडीए से फाइलें लापता, मौके से जमीन, ऐसे हुआ पर्दाफाश Aligarh News

(एडीए) में उपाध्यक्ष (वीसी) के रूप में डॉ. ज्ञानेश्वर त्रिपाठी के चार्ज संभालते ही कर्मचारियों की कार्यगुजारी की पोल खुलने लगी है। प्राधिकरण दफ्तर से तमाम संपत्तियों के दस्तावेज गा

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 08:47 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 01:35 PM (IST)
एडीए से फाइलें लापता, मौके से जमीन, ऐसे हुआ पर्दाफाश Aligarh News
एडीए से फाइलें लापता, मौके से जमीन, ऐसे हुआ पर्दाफाश Aligarh News

अलीगढ़ (सुरजीत पुंढीर)। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (एडीए) में उपाध्यक्ष (वीसी) के रूप में डॉ. ज्ञानेश्वर त्रिपाठी के चार्ज संभालते ही कर्मचारियों की कार्यगुजारी की पोल खुलने लगी है। प्राधिकरण दफ्तर से तमाम संपत्तियों के दस्तावेज गायब हैं। मौके पर जमीन नहीं मिल रही है। करोड़ों के प्लॉट व फ्लैट गायब हैं। वीसी ने प्राधिकरण की सभी योजनाओं की संपत्तियों का सर्वे शुरू करा दिया है। रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई होगी।

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10 साल पहले की हकीकत
 एडीए ने 2010 से पहले स्वर्ण जयंती नगर, स्वर्ण जयंती नगर विस्तार योजना, बरौला जाफराबाद, शांति निकेतन समेत कई प्रोजेक्ट शुरू किए थे। इनमें प्लॉट व आवासों का आवंटन किया गया था। इनमें अधिकांश प्लॉट व आवास तो तत्काल बिक गए थे। इन पर लोगों ने कब्जा लेकर निर्माण भी शुरू कर दिया, लेकिन कुछ संपत्तियों का आवंटन रह गया था।

आवंटन पर नहीं मिला कब्जा
प्राधिकरण ने बाकी प्लॉट व आवासों का आवंटन शुरू कर दिया था। लोगों ने किस्तों के हिसाब से रकम भी जमा करनी शुरू कर दी थी। इनमें दर्जनों लोग ऐसे हैं, जिन्हें अब तक कब्जा नहीं मिला। इनमें से कई प्लॉट मौके पर नहीं हैं। कुछ प्लॉटों की अब तक बिक्री भी नहीं हुई। इन पर भी लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसकी कई बार जांच हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

वीसी ने दिखाई सख्ती
डॉ. ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने वीसी का चार्ज संभालते ही योजनाओं का रिकॉर्ड मांगा, लेकिन कोई भी अफसर संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। वीसी ने सख्त रुख दिखाते हुए सभी संपत्तियों के दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। इसमें सभी संपत्तियों का भौतिक सत्यापन करना है। इसके बाद रिपोर्ट देनी है।

फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं
एडीए के उपाध्यक्ष डॉ.ज्ञानेश्वर त्रिपाठी का कहना है कि प्राधिकरण की योजनाओं में संपत्तियों का सर्वे कराया जा रहा है। दस्तावेजों की भी जांच होगी। कोई भी अंतर मिलता है तो फिर कार्रवाई होगी। फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं होगा।


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