अलीगढ़ में इलाज के अभाव में चल बसा कैंसर से पीडि़त मनोज
समाजसेवी व सरकार ने भी नहीं की मदद।
अलीगढ़ : यह दुखद कहानी एक बेबस और गरीब परिवार की है। शहर के गूलर रोड का 28 साल का मनोज रविवार की देर रात जिंदगी की जंग हार गया। वह मेडिकल कॉलेज के कैंसर डिपार्टमेंट के बेड नंबर 1432 पर भर्ती था और ब्लड कैंसर से पीड़ित था। गरीब परिवार रुपयों के अभाव में इलाज नहीं करा पाया। सरकार की ओर से भी उसे कोई मदद नहीं मिली। सरकार की तमाम योजनाएं खोखली साबित हुई।
हारा परिवार : मनोज की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। पिता मूलचंद ने बताया कि इलाज के लिए एक दिन छोड़कर 1600 रुपये का एक इंजेक्शन व अन्य दवाएं खरीद पाना संभव नहीं हो पा रहा था। बेलदारी कर बेटे का इलाज कराएं या परिवार चलाएं। इलाज के अभाव में रविवार की देर रात मनोज ने जेएन मेडिकल में अंतिम सांस ली।
दो साल पहले : मानिक चौक पर कपड़ा सिलाई की दुकान पर कारीगरी करने वाले मनोज की पीठ में ढाई साल पहले फोड़ा हो गया। महीनों तक इलाज कराया, मगर लाभ नहीं हुआ। दो साल पहले मेडिकल कॉलेज और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जांच कराई तो ब्लड कैंसर का पता चला।
चला गया सहारा : पिता मूलचंद ने बताया कि तीन बहनों व दो छोटे भाइयों के लिए मनोज हाथ बंटाता था। उसकी जिंदगी बचाने के लिए मां भी रोड़ियां तोड़ने को मजबूर हो गई थी। भाई-बहनों ने भी खुद को मेहनत की भट्ठी में झोंक दिया था, मगर इतना करने के बाद भी इलाज का खर्च नहीं उठा पाए। उनका सहारा हमेशा के लिए छोड़कर चला गया। किसी ने नहीं दिया सहारा : मनोज की मां भगवान देवी ने बताया कि इलाज के लिए जितना कर सकते थे, उतना किया। गरीबी और कैंसर दोनों से लड़ाई लड़ी। रविवार की देर रात मनोज की तबीयत बिगड़ती चली गई और वह हमेशा के लिए चला गया। इलाज के लिए किसी भी समाजसेवी ने सहयोग नहीं किया।