शहर में दौड़ रहीं ई-बसों में करें आरामदायक सफर, ई-पेेमेंट की मिलेगी सुविधा
कम दूरी का सफर तय करने के लिए प्राइवेट बस आटो ई-रिक्शा में धक्का खाने वाले यात्रियों को ई-बसों (इलक्ट्रिक बस) का सफर भा रहा है। सर्द हवाएं अंदर बैठे यात्रियों को परेशान नहीं करतीं। गेट भी तभी खुलते हैं जब स्टाप आ जाए।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कम दूरी का सफर तय करने के लिए प्राइवेट बस, आटो, ई-रिक्शा में धक्का खाने वाले यात्रियों को ई-बसों (इलक्ट्रिक बस) का सफर भा रहा है। सर्द हवाएं अंदर बैठे यात्रियों को परेशान नहीं करतीं। गेट भी तभी खुलते हैं, जब स्टाप आ जाए। आरामदायक सीटों पर बैठे यात्री खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, खासकर महिलाएं। इन बसों में ई-पेमेंट की सुविधा भी है। यात्रियों के पास पैसे नहीं हैं तो मोबाइल के जरिए क्यूआर कोड को स्कैन कर टिकट का पेमेंट कर सकते हैं। मंगलवार को शहर के दो रूटों पर पांच ई-बसें दौड़ीं।
अलीगढ़ को मिलीं 15 बसें
पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत 15 ई-बसें मिली हैं। ये बसें पांच रूटों पर संचालित की जाएंगी। 10 बसें और मिलनी हैं। चालक और परिचालकों की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के जरिए निजी कंपनी द्वारा की गई है। दो शिफ्टों में इनकी ड्यूटी निर्धारित की है। फिलहाल ट्रायल के तौर पर दो रूटों पर पांच बसें चलाई गई हैं। पहला रूट खेरेश्वरधाम चौराहे से नादा पुल, सूतमिल, तहसील तिराहा, रसलगंज, गांधीपार्क बस अड्डा, दुबे पड़ाव, एटा चुंगी चौराहा, धनीपुर मंडी, बौनेर तिराहा तक है। दूसरा रूट हरदुआगंज चौराहा से महरावल तक तय है। किराया पांच रुपये से 25 रुपये तक है। यात्रियों को ई-पास मशीन से टिकट दी जाती है। यात्री टिकट खरीदने के लिए ई-पेमेंट भी कर सकते हैं।
बसों में सीसीटीवी
ई-बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिन्हें इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आइसीसीसी) से कनेक्ट किया जाएगा। जीपीएस सिस्टम के जरिए परिवहन अधिकारी बसों का मूवमेंट देख सकेंगे।
इनका कहना है
वाकई ई-बसें सुविधाजनक हैं। आटो में क्षमता से ज्यादा सवारियां भर ली जाती हैं, काफी परेशानी होती है। ई-बसों में सफर आरामदायक है।
दीपक, पड़ाव दुबे
....
ई-बस की सुविधा मिलने से अन्य वाहनों में धक्के खाने से बच गए। काफी परेशानी होती थी। अब इसी बस में सफर करेंगे।
रामप्रकाश, सारसौल
....
महिलाओं के लिए ये बसें काफी सुविधाजनक हैं। साफ-सुथरी रहती हैं। बस स्टाप पर ही गेट खुलता है। बीच रास्ते में कोई नहीं चढ़ सकता।
योगिता, तकीपुर