Lumpy Virus से हाथरस में मची खलबली, संक्रमित मवेशी मिलने से किसान परेशान
Lumpy Virus हाथरस के सादाबाद ब्लाक में लंपी वायरस ने दस्तक दे दी है। एक ही गांव में नौ मवेशी संक्रमित होने की खबर के बाद पशुपालन विभाग की टीम दौड़ पड़ी। टीम में शामिल पशु डाक्टरों ने बीमार पशुओं का उपचार किया है।
हाथरस, जागरण संवाददाता: हाथरस में सासनी (Sasni) के बाद अब सादाबाद (Sadabad) ब्लाक में भी लंपी स्किन बीमारी (Lumpy skin disease) ने दस्तक दे दी है। ब्लाक क्षेत्र के गांव नगला देवा में नौ मवेशी संक्रमित होने की खबर के बाद पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) की टीम गांव के लिए दौड़ पड़ी और उपचार किया।
सासनी के गांव मोहरिया में दो मवेशी संक्रमित मिले हैं। पशु पालन विभाग ने सतर्कता बरतने हुए इन गांव से पांच किलोमीटर तक मवेशियों का टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है। आसपास के जनपदों में लंपी के लगातार केस सामने आने के बाद विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। कई राज्यों के पशुओं में लंपी स्किन डिजीज वायरस तेजी से फैल रहा है।
उत्तर प्रदेश के भी कई जनपदों में बीमारी फैलने से मौत हो चुकी है। इसलिए शासन ने हाथरस समेत सभी जनपदों को अलर्ट कर दिया है। इस बीमारी से निपटने के निर्देश दिए गए हैं। बीते 24 अगस्त को सासनी के गांव जिरौली में लंपी स्किन डिजीज वायरस फैलने की खबर मिली तो मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. सुशील कुमार एवं टीम में शामिल डा. सौरभ अन्य पशु चिकित्सकों की टीम गांव पहुंची। जहां पशुओं में बीमारी को लेकर जानकारी ली। सभी पशु अलग-अलग परिवारों के थे। जांच में 18 पशुओं में लंपी स्किन बीमारी के लक्षण पाए गए।
एक ही गांव के नौ मवेशी संक्रमित
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. सुशील कुमार ने बताया कि सादाबाद ब्लाक के गांव नगला देवा में नौ मवेशी संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा सासनी ब्लाक के गांव मोहरिया में दो केस संक्रमित मिले हैं। दोनों जगह पशु पालन विभाग की टीम को भेजा गया है।
चेकअप और टीकाकरण के लिए अभियान
टीम में शामिल पशु डाक्टरों ने बीमार पशुओं का उपचार किया है। लगातार निगरानी और चेकअप किया जाएगा। इन गांव के आसपास पांच किलोमीटर तक पशुओं को टीकाकरण कराने को टीमों को लगा दिया गया है। उन्होंने बताया कि हाथरस जनपद में 60 हजार डोज मिलीं और 42,300 डोज लगाई जा चुकी हैं।
लंपी बायरस के लक्षण
तेज बुखार आना, आंख एवं नाक से पानी गिरना,पशुओं के पैरों में सूजन आना,पूरे शरीर में चकत्ते व गांठ होना, गाय का दूध कम हो जाना,पशुओं में वजन घटना व कमजोरी इस तरह फैलती है बीमारी, रोग के विषाणु बीमार पशु की लार, दूध व स्पर्म में भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
ऐसे करें उपचार
पशु चिकित्सक के परामर्श से लक्षणात्मक उपचार किया जा सकता है। बुखार की स्थिति में ज्वरनाशक दवा का उपयोग करें। सूजन एवं चर्म रोग की स्थिति में तीन से पांच दिन तक एंटीबाइटिक दवा दें। घावों को मक्खियों से बचाने के लिए नीम की पत्ती, लहसुन का लेप करें।