पांच महीने शयन पर रहेंगे भगवान विष्णु, नहीं होंगे शुभ कार्य, जानिए विस्तार से Aligarh News
कोरोना वायरस के चलते इस बार सहालग में धूम-धड़ाका और बैंडबाजा का शोर कहीं नहीं रहा। अब 28 जून से सहालग थम जाएंगी।
अलीगढ़ [जेएनएन]: कोरोना वायरस के चलते इस बार सहालग में धूम-धड़ाका और बैंडबाजा का शोर कहीं नहीं रहा। अब 28 जून से सहालग थम जाएंगी। खास बात है कि इस बार भगवान विष्णु चार नहीं, बल्कि पांच महीने विश्राम करेंगे। इसलिए पांच महीने के लिए पूरी तरह से शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाएगी। 25 नवंबर से देव फिर जागेंगे, मगर सहालगें बहुत कम हैं। दिसंबर तक बमुश्किल 11 सहालग हैं। 2021 में ठंडी के दिनों में एक-दो ही सहालग हैं।
नहीं होंगे शुभ कार्य
स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिसैनी एकादशी और वंदना एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस बार आश्विन अधिक मास पड़ रहा है। देवशयनी एकादशी एक जुलाई को है। इसी के साथ शादी-ब्याह, गृह प्रवेश आदि कार्यक्रम पर रोक लग जाएगी। महाराज ने कहा कि सभी व्रतों में एकादशी व्रत का सबसे अधिक महत्व है। व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद से भगवान को ज्वर आ जाता है और उन्हें 15 दिनों तक एकांत में रखा जाता है, जहां केवल उनकेवैद्य और निजी सेवक ही उनके दर्शन कर सकते हैं।
चातुर्मास का है महत्व
चातुर्मास संन्यासियों द्वारा समाज को मार्गदर्शन करने का समय है। चातुर्मास में सत्य बोलने पर आध्यात्मिक प्रकाश की अनुभूति होती है। हमारे देश में भगवान विष्णु के समय से ही एकांतवास की परंपरा थी। ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। इस स्नान के बाद से भगवान को ज्वर आ जाता है और उन्हें 15 दिनों तक एकांत में रखा जाता है, जहां केवल उनकेवैद्य और निजी सेवक ही उनके दर्शन कर सकते हैं। अहम बात यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लोग डरे हुए हैं। धार्मिक आस्था पर लोग बेहद गंभीर हैं। ज्यादादर लोग घर में ही रहकर पूजापाठ कर रहे हैं।