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Lockdown 2: कैनवास रंगीन बनाकर रुला गई अनमोल, छोटी उम्र में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान Hathras News

25 साल की छोटी सी उम्र में अनगिनत पुरस्कार हासिल कर सिकंदराराऊ का नाम रोशन कर गई अनमोल। उनके निधन की खबर से कस्बा में शोक की लहर दौड़ गई।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 05:55 PM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 05:55 PM (IST)
Lockdown 2: कैनवास रंगीन बनाकर रुला गई अनमोल, छोटी उम्र में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान Hathras News
Lockdown 2: कैनवास रंगीन बनाकर रुला गई अनमोल, छोटी उम्र में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान Hathras News

हाथरस[जेएनएन]:पेंटिंग के क्षेत्र में अपने हुनर से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली दिव्यांग पेंटर अनमोल वाष्र्णेय अब नहीं रहीं। 25 साल की छोटी सी उम्र में अनगिनत पुरस्कार हासिल कर सिकंदराराऊ का नाम रोशन कर गई अनमोल। उनके निधन की खबर से कस्बा में शोक की लहर दौड़ गई। लोगों ने उनके घर पहुंचकर शोक संवेदना प्रकट की। अनमोल की असामयिक मृत्यु होने से हर किसी की आंखें नम थी।

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दिव्यांग के बावजूद था जज्बा

गुरुवार की रात अनमोल के पेट में गैस बनने के कारण दर्द हुआ था। जिसकी दवा लेने के बाद वह सो गईं गई। तड़के 4:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वह दिव्यांग जरूर थीं, लेकिन जज्बा, जिद और जुनून सक्षम लोगों से कहीं ज्यादा था। 48 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद अपने हुनर को हथियार बनाकर समाज में अलग पहचान बनाई। अनमोल ने पेंटिंग बनाने की दुनिया में तहलका मचा दिया था। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी पेंटिंग्स प्रदर्शनी में शामिल की गईं। लंदन की प्रदर्शनी में भी उनकी पेंटिंग को जगह मिली थी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग बनाई पहचान

मोहल्ला नौरंगाबाद पश्चिमी निवासी शिक्षक संजय वाष्र्णेय की पुत्री अनमोल वाष्र्णेय दिव्यांग होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती थी और खाना खाने के लिए भी उन्हें सहारा लेना पड़ता था। बावजूद अनमोल ने पेंटिंग के साथ अपनी शिक्षा को भी जारी रखा और उन्होंने एमएससी किया तथा बीटीसी की ट्रेनिंग पूरी की। उनके लिए यह सब कर पाना एक सपने जैसा था। वह जन्म से दिव्यांग नहीं थीं। चौथी कक्षा में पढऩे के दौरान गठिया बाय रोग हुआ, जिसके बाद हाथ पैर ने  काम करना कम कर दिया था और दिव्यांग हो गईं। शुरुआत में अनमोल अखबार और मैगजीन में बड़े-बड़े आर्टिस्ट की पेंटिंग्स देखतीं थीं और उन्हें बनाने की कोशिश करती थीं। धीरे-धीरे उनकी पेंटिंग्स बनाने की कला विकसित होती गई और उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली। घर में बाकी लोगों के साथ साथ उन्हें  छोटी बहन लविका वाष्र्णेय का भी अच्छा साथ मिला। जिनको वह अक्सर अपने साथ ले जाती थीं। छोटी बहन के अलावा एक भाई भी है। बीएससी के बाद एमएससी की पढ़ाई 2018 में पूरी की। वहीं डाइट से बीटीसी का कोर्स पूरा किया तो दूरस्थ शिक्षा से बीए उर्दू और बीए योगा भी किया।

लड़ जातीं थीं दिव्यांगों के हक के लिए

अनमोल दिव्यांग संगठन की जिला अध्यक्ष थी। उन्होंने दिव्यांगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया था। वह अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत रहती थीं। उन्हें अपने दिव्यांग होने का कोई दुख नहीं था।

कई पुरस्कार पाकर बढ़ाया गौरव

अनमोल ने तीन दर्जन से अधिक पुरस्कार अर्जित कर पूरे देश में ख्याति प्राप्त की। उन्हें 2019 में पेंटर ऑफ द ईयर अवार्ड दिया गया था। प्रसिद्ध चंडीगढ़ आरजीएफ ट्रॉफी, गांधी आर्ट गैलरी द्वारा पुरस्कृत किया गया था। उनकी दो पेंटिंग्स लंदन की प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए गई। इसके अलावा सुपर अचीवर अवार्ड 2018, दिव्यांग रत्न सम्मान, चौधरी आर्ट ट्रस्ट अवार्ड, आरजेएफ इंटरनेशनल अवॉर्ड, कोबरा आर्ट जोन 2018 सिल्वर मेडल, नटराज आर्ट जौन गोल्ड मेडल ,चंडीगढ़ आर्ट फेयर, मास्टर क्लास, इंटरनेशनल पेंटिंग सिंपोजियम, पेंट फॉर लव वर्ल्ड, बिगेस्ट पेंटिंग वर्कशॉप, कलाकार फाउंडेशन गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड, रास रंग गोल्ड मेडल 2016 ,एकेडमी ऑफ यूनिवर्स पुरस्कार जैसे हीरे उनके ताज में जड़े जा चुके थे और न जाने कितने अवार्ड अभी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।


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