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लाकडाउन में फंस गया ताला कारोबारियों का पैसा, जानिए कैसे

पिछले डेढ़ साल से कारोबारी कोरोना संकट से जूझ रहे हैं। महामारी की दूसरी लहर ने तो व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है।लाकडाउन में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक ताला-हार्डवेयर कारोबारियों को पैसा फंस गया है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 03:26 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 03:26 PM (IST)
लाकडाउन में फंस गया ताला कारोबारियों का पैसा, जानिए कैसे
पिछले डेढ़ साल से कारोबारी कोरोना संकट से जूझ रहे हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। पिछले डेढ़ साल से कारोबारी कोरोना संकट से जूझ रहे हैं। महामारी की दूसरी लहर ने तो व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है।लाकडाउन में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक ताला-हार्डवेयर कारोबारियों को पैसा फंस गया है। ना तो उन्हें नए माल के आर्डर मिल रहे हैं। ना ही पुराना भुगतान किया जा रहा है। सबसे खस्ता हाल ट्रेडर्स का है। उसने तो जीएसटी अदा कर दी है। माल न बिकने के चलता व्यापारी अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। इस कर व्यवस्था में जबतक खरीदार रिटर्न दाखिल नहीं करते तब तक बिकवाल अपनी जीएसटी रिफंड का दावा नहीं कर सकते।

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यह है कारोबारियों की पीड़ा

ताला कारोबारी अनूप गुप्ता का कहना है कि उनका महाराष्ट्र व केरल में माल जाता है। चार दिन पहले ही वह टूर से वापस आए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सप्ताह में पांच दिन ही कारोबार होता है। सुबह 10 से शाम चार बजे तक बाजार खुलते हैं। इसके बाद कोविड की पाबंदियां लग जाती हैं। महाराष्ट्र के अमरावती जिले में उनके माल की सप्लाई है। वे पैड लाक ही सप्लाई करते हैं। जब वे टूर पर गए तो मालूम हुआ कि कस्बा की गुरुनानक लाक हाउस फर्म के मालिक पुरुषोत्तम दास व उनके इकलौता बेटा सुमित का कोरोना के चलते निधन हो गया। इन पर आठ लाख रुपये के माल के पैसों की देनदारी थी। इस घटना की जानकारी के बाद वे चले आए। इसी तरह उनकी आठ पार्टियों के यहां कोविड से निधन हो गए हैं। इनसे पैसा भी नहीं मंग सकते।

अन्नु सिंधि की सप्लाई पंजाब व विहार में है। वे पिछले डेढ साल से व्यवसायिक टूर पर नहीं गए। वे सिर्फ मोबाइल व वर्चुअल मीट कर कारोबारियों से आर्डर व वकाया भुगतान का तकादा करते हैं। रेसपोंस नहीं आ रहा। कारोबारी कहते हैं कि लाकडाउन से बाजार रफ्तार नहीं पकड़ रहे। माल रखा हुआ है। बिकेगा तभी तो भुगतान किया जाएगा। ऐसी व्यथा अलीगढ़ के 500 से अधिक ट्रेडर्स व एजेंट की है।


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