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जानिए कैसे सफाईकर्मी से करोड़पति बने यूपी के अलीगढ़ में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे आमिर

अलीगढ़ के एक मध्यमवर्गीय परिवार के आमिर कुतुब की पढ़ाई में रुचि शुरू से नहीं थी लेकिन किसी तरह इंजीनियरिंग की। फिर अपना बिजनेस करने के लिए ऑस्ट्रेलिया का रुख किया। वहां संघर्ष के दिनों में उन्होंने एयरपोर्ट पर सफाई करने का काम किया और अखबार भी बांटे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 01:37 PM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 11:42 AM (IST)
जानिए कैसे सफाईकर्मी से करोड़पति बने यूपी के अलीगढ़ में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे आमिर
आज आमिर एक मल्टीनेशनल डिजिटल फर्म के मालिक हैं, जिसका टर्नओवर 10 करोड़ रुपये है.. फोटो क्रेडिट :Facebook Account

अलीगढ़, जेएनएन। यह कहानी उस शख्स की है, जिसने अपना बिजनेस करने का सपना देखा था। पढ़ाई में रुचि नहीं थी, फिर भी किसी तरह इंजीनियरिंग की। स्टूडेंट वीजा पर ऑस्ट्रेलिया गए और अपने बिजनेस को स्थापित करने का प्रयास करने लगे। पैसों की जरूरत होने पर एयरपोर्ट पर सफाईकर्मी की जॉब की और फिर अखबार बांटने का भी काम किया। इन सबके बावजूद उन्होंने अपना सपना नहीं छोड़ा और फिर एक कंपनी स्थापित की। धीरे-धीरे काम बढ़ा और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इतना ही नहीं, उनकी कंपनी की मौजूदगी चार देशों में है। फर्श से अर्श तक का यह सफर तय किया है 31 वर्षीय आमिर कुतुब ने।

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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में मध्यमवर्गीय परिवार जन्मे आमिर कुतुब का शुरुआती जीवन एकदम सामान्य था। पिता सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हैं और मां गृहिणी। पिता चाहते थे कि बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने। इस वजह से इंटर के बाद आमिर ने बीटेक में प्रवेश ले लिया। शुरुआत से ही उन्हें पढ़ाई में रुचि नहीं रही। एक बार तो टीचर ने उनसे यहां तक कह दिया कि तुम जिंदगी में कुछ नहीं कर पाओगे।

नौकरियां कीं, लेकिन नहीं मिली संतुष्टि: इंजीनियरिंग करने के बाद आमिर को पहली जॉब ऑफर हुई, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। इसके बाद दिल्ली का रुख किया और यहां होंडा में कुछ समय तक कार्य किया। इन सबके बीच उन्हें अपना बिजनेस करने का सपना बार-बार याद आता रहा। उन्होंने नौकरी छोड़ी और फ्रीलांसिंग करने लगे। वह वेबसाइट डिजाइन करते थे। उनके कुछ क्लाइंट ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका में भी थे।

ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष के दिन : आमिर अपने काम को बढ़ाने की सोच रहे थे। इस दौरान उनके एक क्लाइंट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया आकर अपनी कंपनी क्यों नहीं शुरू करते? उन्होंने जब इस दिशा में प्रयास शुरू किया तो पता चला कि स्टूडेंट वीजा पर ही वह ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एमबीए में दाखिला लिया। जब पैसों की समस्या हुई तो वह नौकरी की तलाश में निकले। उन्होंने 150 से ज्यादा कंपनियों में संपर्क किया, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली।

वजह यह थी कि ऑस्ट्रेलिया में भारत के कार्य अनुभव को नहीं माना गया। फिर किसी तरह एयरपोर्ट पर उन्हें सफाईकर्मी की जॉब मिली। प्रति घंटा 20 डॉलर उन्हें मिलते थे। दिन की नौकरी थी, इसलिए उन्हें पढ़ाई करने और कंपनी सेटअप करने के लिए समय ही नहीं मिल रहा था। फिर उन्होंने देर रात तीन बजे से सुबह सात बजे तक अखबार डालने का काम शुरू किया। किसी तरह उन्हें एक गैराज मिल गया, जहां से उन्होंने अपना काम शुरू किया।

मिल गया मुकाम: एक दिन बस में आमिर को एक व्यक्ति मिला, जिसको उन्होंने अपने काम के बारे में बताया। आमिर ने उन्हें ऐसा सिस्टम तैयार करके दिया, जिससे उसके पांच हजार डॉलर हर माह बचने लगे। धीरे-धीरे उसने आमिर को कुछ क्लाइंट दिलवाए। आखिर आमिर की मेहनत रंग लाने लगी और वेबसाइट डिजाइनिंग का उनका काम चलने लगा। आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये हो गया है और उनकी कंपनी में 100 स्थायी और 300 अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं।


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