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अलीगढ़ में पानी का कानून हो रहा 'पानी-पानी' Aligarh news

जिले में पानी का संकट किसी से छिपा नहीं है वहीं पानी बर्बादी के दृश्य भी आम हैं। सबसे अधिक बर्बादी पानी के कारोबार से हो रही है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 06:05 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 01:25 PM (IST)
अलीगढ़ में पानी का कानून हो रहा 'पानी-पानी' Aligarh news
अलीगढ़ में पानी का कानून हो रहा 'पानी-पानी' Aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)। जिले में पानी का संकट किसी से छिपा नहीं है, वहीं, पानी बर्बादी के दृश्य भी आम हैं। सबसे अधिक बर्बादी पानी के कारोबार से हो रही है। शहर में 150 आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) प्लांट चल रहे हैैं। इनके पंजीकरण का न तो खाद्य सुरक्षा अधिकारी के यहां ब्योरा है, न नगर निगम के पास। पांच लाख रुपये रोज का यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। इनमें लगे पंपसेट धरती की कोख को खाली कर रहे हैैं। इस आंकड़े में ब्रांडेड व नियमानुसार संचालित आरओ प्लांट व विभिन्न कंपनियों के ब्रांडेड बोतल के डिस्ट्रीब्यूटर का ब्योरा शामिल नहीं है। शहर में बिसलरी जैसी दर्जनभर कंपनियों की पानी की खपत अलग से है। शहर से लेकर देहात में यह कारोबार इंडस्ट्री का दर्जा लेता जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो जहां आरओ प्लांट लगे हैैं, वहां तेजी भूजल स्तर गिर रहा है। सबमर्सिबल के बढ़ती संख्या व आरओ प्लांटों की भरमार ने जल संरक्षण प्रेमियों की नींद उड़ा दी है।

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नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्ट प्लांट
शहर में 500 से लेकर पांच हजार लीटर प्रतिदिन वाटर प्योरीफाई की क्षमता वाले आरओ प्लांट लगे हैं। इनमें पानी शुद्ध  करने से आधे से अधिक पानी की बर्बादी होती है। नियमानुसार इस पानी का संचय होना चाहिए। मेट्रो शहर बनने की कतार में शामिल अलीगढ़ में नियम पुराने ही चल रहे हैं। नियमानुसार आरओ प्लांट के संचालन के लिए वाटर हार्वेस्ट सिस्टम की अनिवार्यता है। अधिकांश प्लांटों में यह सिस्टम लगे ही नहीं है।

आवासीय क्षेत्रों में प्लांट
शहर की तंग गलियों, पॉश कॉलोनियों में आरओ प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं। पानी की अधिकता के चलते बहुत से आवासीय क्षेत्रों में तो पड़ोसियों के हैंडपंप या सबमर्सिबल ही पानी छोड़ गए हैं। बहुत से प्लांट स्वच्छता के मानक पर भी खरे नहीं हैं।

दोषी बिजली विभाग भी
इस कारोबार में बिजली विभाग भी कम दोषी नहीं है। नियमानुसार बिजली विभाग कनेक्शन देता है, तब आवेदक से उसका व्यवसाय व भार पूछा जाता है। इस कारोबार पर नकेल कसने के लिए बिजली विभाग पंजीकरण व लाइसेंस की अनिवार्यता सख्ती से लागू करे।

झुक गया नगर निगम
छह माह पहले नगर निगम ने आरओ प्लांट से छह हजार रुपये प्रतिमाह लाइसेंस शुल्क वसूलने की कोशिश की। पानी माफिया सक्रिय हुए। सूत्रों की मानें तो अफसरों से सेटिंग चली और नगर निगम का अभियान सर्वे तक सिमटकर रह गया।

आरओ का दावा, पानी है सादा
प्लांट से 10 रुपये में मिलने वाली कैन (20 लीटर) ग्राहक को होम डिलीवरी में 25 रुपये तक में बेची जा रही है। गड़बड़ी करने वाले ट्रेडर्स सादा पानी में बर्फ डालकर सप्लाई कर देते हैं। विवाह समारोह, अन्य उत्सवों व दावतों में निगाह बचाकर यह खेल खूब चलता है।

ऐसे जांचें शुद्धता
पानी प्योरीफाई है या नहीं, इसकी जांच के लिए पानी को फ्रिज के फ्रीजर में रख दें। बर्फ जमने के बाद उसे जब आप देखेंगे तो प्योरीफाई वाटर की बर्फ सीसे की तरह चमकेगी। इसका टुकड़ा पारदर्शी होगा। अगर पानी दूषित है या बर्फ डालकर ठंडा किया गया है, उस बर्फ के टुकड़े में पीलापन होगा।

सीज किया गया था प्लांट
रामघाट रोड स्थित तालानगरी में बॉटलिक प्लांट हैैं। यहां एक प्लांट में एक लीटर, दो लीटर, 500 ग्राम की पैक्ड बोतल भी तैयार होती थीं। इसके संचालक ने किसी भी प्रकार का ब्रांड पंजीकृत नहीं कराया था। नियमानुसार पैक्ड बोतल पर आइएसआइ व आइओएस की कड़ी शर्त व ब्रांड घोषणा का टैग लगाना होता है। दो साल पहले इसे प्रशासन ने सीज किया था। नोएडा की एक नामचीन कंपनी की डुप्लीकेट बोतल भी उदयसिंह जैन रोड पर एक प्लांट में तैयार होती थीं। शिकायत पर 2007 में कानपुर की टीम ने कंपनी के अफसरों के साथ यहां छापा मारा था। तब से यह प्लांट ही खत्म हो गया।

नगर निगम की नहीं जिम्मेदारी
महाप्रबंधक जल एसके शर्मा ने बताया कि नगर निगम सीमा में पानी की बर्बादी कर रहे लोगों का सर्वे कराया जा रहा है। उन पर कार्रवाई होगी। रहा सवाल आरओ के पंजीकरण का। उसकी जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं है। अलीगढ़ आरओ प्लांट संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कहना है कि पहले नगर निगम लाइसेंस जारी करता था। अब खाद्य सुरक्षा विभाग करने लगा हैै। हम लाइसेंसधारक हैैं। जिन आरओ प्लांट संचालकों के यहां वाटर हार्वेस्ट सिस्टम नहीं हैै, वे लगवाएं। हम सहयोग को तैयार हैं।

नमूने भरे जाएंगे
अभिहित अधिकारी सर्वेश मिश्रा ने बताया कि एफडीए केवल पैकेज्ड पानी की इकाइयों को ही लाइसेंस देता है। कंटेनर या अन्य माध्यम से मिनरल वाटर बेच रहीं इकाइयां हमारे अधीन नहीं हैं। शहर में पैकेज्ड पानी की चार इकाइयां हैं। इनमें जल्द नमूने भरे जाएंगे।

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