अलीगढ़ में सीट बेल्ट पर टूट रहे कायदे-कानून
यातायात नियमों का पालन कराने के लिए भले ही तमाम वादे दावे किए जा रहे हों मगर धरातल पर हकीकत कुछ और है। खुद सरकारी वाहन इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
अलीगढ़ (लोकेश शर्मा)। यातायात नियमों का पालन कराने के लिए भले ही तमाम वादे, दावे किए जा रहे हों, मगर धरातल पर हकीकत कुछ और है। खुद सरकारी वाहन इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट में सीट बेल्ट न लगाने पर कार्रवाई का प्रावधान है। जब सीट बेल्ट ही न हो तो ड्राइवर क्या करें? हैरानी की बात है कि रोडवेज बसों में सीट बेल्ट ही नहीं हैं।
कंपनियां कर रहीं अनदेखी
प्राइवेट बस, पुलिस जीप, ट्रक, क्रेन, लोडर वाहनों से भी गायब हैं। इस ओर न परिवहन विभाग ध्यान दे रहा, न ही यातायात पुलिस। वाहन बनाने वाली कंपनियां भी इसकी अनदेखी कर रही हैं, जबकि 1992 के बाद सभी चार पहिया या इससे बड़े वाहनों में वाहन चालक व साइड की सीट पर बेल्ट लगाना अनिवार्य है। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को याद ही नहीं कि उन्होंने कभी बस चालकों के खिलाफ इस मामले में चालान किया हो।
दिखावटी फस्र्ट एड बॉक्स
रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स तो है, लेकिन खाली हैं। ऐसे में कई बार हादसे के बाद यात्रियों को प्राथमिक उपचार की सुविधा भी नहीं मिल पाती। वहीं, टूटी कमानियों के कारण बसों के आए दिन ब्रेक डाउन हो रहे हैं।
कंडक्टर पर नहीं होता डीएल
परिवहन निगम के अधिकांश बस कंडक्टर के पास डइविंग लाइसेंस (डीएल) ही नहीं है। इनके पास डीएल की जगह पर सीएल यानी कंडक्टर लाइसेंस हैं, जिससे वह बस नहीं चला सकते हैं। इनका कहना हैं कि उन्हें तो केवल टिकट बनाना होता है। डीएल की क्या जरूरत है, जबकि इनके पास भी डीएल होना चाहिए।
होगी कार्रवाई
एसपी ट्रैफिक अजीजुल हक का कहना है कि बस हो या ट्रक, सीट बेल्ट होना जरूरी है। ऐसे चालकों के खिलाफ एमवी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
चालकों को करेंगे जागरूक
आरएम जेड ए नुमानी का कहना है कि बसों में सीट बेल्ट का ध्यान रखा जाएगा। चालकों को भी जागरूक करेंगे कि वे सीट बेल्ट लगाएं।