मुसीबत में घिरने लगी संकट में याद आने वाली खाकी, एक ही दिन में तीन हत्याएं, सरेआम लूट Aligarh News
कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले कुख्यात विकास दुबे को तलाश में सूबे की पुलिस लगी हुई है। हर जिले में इनामी भी खोजे जा रहे हैं।
अलीगढ़ [सुमित शर्मा]: कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले कुख्यात विकास दुबे को तलाश में सूबे की पुलिस लगी हुई है। हर जिले में इनामी भी खोजे जा रहे हैं। इसके बाद भी बदमाशों को पुलिस का खौफ नहीं हैं। दिनदहाड़े घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। सोमवार को अलीगढ़ में एक बाद हुई हुईं तीन हत्याओं ने दहशत फैला दी। अतरौली में पुलिस पर हुए हमले ने तो अफसरों को भी हिला कर रख दिया। सोमवार को जिले के अतरौली क्षेत्र में पुलिस पर हमला हुआ।
आठ घंटे बाद पुलिस दबिश देने पहुंची गांव
लापरवाही ऐसी कि रात में सिपाही के चौकी इंचार्ज को जानकारी देने के बाद भी कोई ध्यान ना दिया गया। सुबह फिर हमलावर चौकी पर पहुंच गए। हाथ में रॉड थी। अगर सिपाही सामने होता? तो अनहोनी हो सकती थी। फिर इसका जिम्मेदार कौन होता? सिर्फ यही नहीं, आठ घंटे बाद पुलिस दबिश देने गांव पहुंची, तब आरोपित भाग चुके थे। दह तो तब हो गई? कि उच्चाधिकारियों को फिर भी नहीं बताया गया। आखिर ये चूक छिपाने का फायदा किसे हो रहा था? जिले में सोमवार को तीन हत्याएं भी हुईं। पहली क्वार्सी क्षेत्र में प्रेम प्रसंग। दूसरी चंडौस में घरेलू विवाद। तीसरी पिसावा में भाजपा नेता को गोलियों से भून डाला। तीनों घटनाओं में बदमाशों ने खुद ही ''''न्यायÓ क्यों कर दिया। क्या पुलिस की जरूरत नहीं समझी गई? इसका काला सच ये है कि आज की पुलिसिया प्रणाली आम आदमी को थानों की ओर जाने से पहले बार-बार सोचने को मजबूर करती है। एक एफआइआर लिखवाने के लिए पीडि़त को पापड़ बेलने पड़ते हैं।
पुलिस खोया हुआ विश्वास वापस लाए
पुलिसवाला अपनी वर्दी को रौब जताने का बड़ा माध्यम समझता है। गरीबों और बेबस लोगों का शोषण का हक समझा जाता है। यही कारण है कि अपराधी बेखौफ पुलिस स्टेशन में घुसते हैं और आम लोग हमेशा ही पुलिस से हिचकिचाते हैं। अपराधों का सिलसिला यहीं नहीं थमा, जवां में पेड़ लगाने के मामूली विवाद में दो लोगों पर गोली चलाई गईं। दोनों गंभीर हैं। रामघाट रोड पर कार से शीशा तोड़कर 10 हजार रुपये पार कर दिए गए। शायद ही एक दिन में इतनी वारदातें हुई हों। इन घटनाओं का कारण जो भी रहा हो, मगर पुलिस अपनी हकीकत बयां कर रही है। वो ये कि अब पुलिस का खौफ खत्म हो गया है। इसे सुधारने के लिए लोगों में खोया हुआ विश्वास लाना होगा। सख्त कार्रवाई करनी होगी।