अलीगढ़ में कई बार बदनाम हो चुकी है खाकी, फिर भी सुधार नहीं
हर बार कार्रवाई तो हुईं लेकिन निचले स्तर पर सुधार नहीं आया। वीडियो वायरल होने के इतर भी वसूली व रिश्वतखोरी की शिकायतें एसएसपी के पास आती रहती हैं। बीते दो-तीन महीनों में ही एसएसपी के आदेश पर ऐसे एक दर्जन मामलों में एफआइआर हो चुकी है।
अलीगढ़, जेएनएन। देहलीगेट क्षेत्र में पुलिस के रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होना कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार 'खाकी बदनाम हो चुकी है। हर बार कार्रवाई तो हुईं, लेकिन निचले स्तर पर सुधार नहीं आया। वीडियो वायरल होने के इतर भी वसूली व रिश्वतखोरी की शिकायतें एसएसपी के पास आती रहती हैं। बीते दो-तीन महीनों में ही एसएसपी के आदेश पर ऐसे एक दर्जन मामलों में एफआइआर हो चुकी है। बीते एक साल में वायरल हुईं इन पांच वीडियो ने पुलिस की खूब किरकिरी कराई।
28 नवंबर-2019 : गांधीपार्क क्षेत्र के बौनेर में पुलिसकर्मियों का टेंपो चालकों से रिश्वत लेने का वीडियो वायरल हुआ था। इसमें पुलिसकर्मी कहते दिख रहे थे कि हर माह एसएचओ को 50 हजार रुपये देने पड़ते हैं। तत्कालीन डीआइजी ने सिपाही को निलंबित किया था।
पांच फरवरी 2020 : मडराक थाने की आसना चौकी के सामने ट्रक चालकों से पुलिसकर्मी अवैध वसूली करते थे। इसका वीडियो वायरल हुआ तो तत्कालीन आसना चौकी प्रभारी रजत शर्मा को निलंबित किया गया, जबकि दारोगा समेत आठ पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया था।
28 मई 2020 : झगड़े व अवैध खनन को लेकर दारोगा राजकुमार ने गौंडा थाने में रिश्वत ली थी। आठ हजार की रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हुआ तो एसएसपी ने दारोगा को निलंबित किया। मुकदमा भी दर्ज किया गया।
16 अक्टूबर 2020 : चंडौस थाने के तीन दारोगाओं का खुर्जा के एक ढाबे पर खुलेआम शराब पीने का वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एसपी सिटी ने दारोगा ब्रह्मïशंकर, संजीव कुमार व जयकिशन को लाइनहाजिर किया था।
17 अक्टूबर 2020 : चंडौस थाने के हेड मोहर्रिर सुखवीर ने एक मामले में पांच आरोपितों के नाम हटाने को लेकर सांठगांठ की। उगाही की कोशिश की। बातचीत का वीडियो वायरल हुआ तो एसपी सिटी ने हेड मोहर्रिर को निलंबित कर दिया।