Kargil Vijay Diwas::अलीगढ़ के तीन सपूतों की रही बड़ी भूमिका, इनका अर्पण...बना त्याग और समर्पण
26 जुलाई इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। इस दिन देश के रणबांकुरों ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराया था।
अलीगढ़ [जेएनएन]: 26 जुलाई इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। इस दिन देश के रणबांकुरों ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराया था। पूरे देश में जीत का जश्न मनाया गया था। हमारी माटी के तीन सपूतों ने भी हंसते-हंसते प्राण उत्सर्ग किए थे। छोटी बल्लभ के नरेश फौजदार, राजगांव के राजवीर ङ्क्षसह और वास खेमा के प्रेमपाल ने माटी को चूमकर सारे तीज-त्योहार और उत्सव हम सभी को अर्पण कर दिए थे। आज भी इन शहीदों के परिवार उनकी वीरता पर गर्व महसूस करते हैैं...
प्रतिदिन जलाते हैं दीपक
गौंडा के गांव छोटी बल्लभ निवासी नरेश फौजदार के माता-पिता व पत्नी रोज उनके चित्र के सामने दीपक जलाते हैं। नरेश के पिता राजेंद्र ङ्क्षसह व मां रूपवती देवी ने बताया कि कोई ऐसा दिन नहीं, जब बेटे को याद न करते हों। बेटे की तस्वीर के सामने दीपक जलाने के बाद ही भोजन करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आज भी वह हमारे आसपास है। राजेंद्र और रूपवती ने बताया कि बेटे की याद में पूरी ङ्क्षजदगी गुजार दी, हर पल उसकी याद आती है। नरेश की पत्नी कल्पना ने बताया कि कारगिल चोटी पर सौरभ कालिया के साथ सबसे पहले चढ़े थे। उन्होंने ही बताया था कि पाक सैनिक घुसपैठ कर रहे हैं। पाक सैनिकों ने इन्हें पकड़ लिया था, इनके शरीर को अंग-भंग कर दिया था। बहुत यातनाएं दी थीं। कल्पना ने कहा कि उनकी बहादुरी पर गर्व है।
बच्चे नहीं जा सके सेना में
अतरौली के गांव राजगांव के शहीद सूबेदार राजवीर ङ्क्षसह की पत्नी रामवती ने कहा कि पति के शहीद होने के बाद उन पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी। बेटे दिनेश कुमार व लोकेश कुमार को संभालना था। मैंने निर्णय लिया कि बच्चों को कोई कमी नहीं होने दूंगी। बच्चों को पढ़ाया और फौज के काबिल बनाया। तमाम कोशिशों के बाद भी बेटे फौज में नहीं जा सके, जिसका मलाल रहता है। रामवती ने कहा कि पति ने जिस वीरता के साथ पाकिस्तान की सेना से लड़े, ये मेरे लिए गौरव की बात है। अपने एक साथी को बचाने में शहीद हो गए। पति के नाम से गांव में कालेज, रोड, अस्पताल, प्रवेश द्वार आदि हैं, जिन्हें देखकर गर्व होता है। रामवती को मलाल भी है कि शहीद होने के बाद सरकार के तमाम नुमाइंदे आए, मगर अब तो कारगिल दिवस पर भी कोई नहीं आता है।
प्रतिदिन खिलाते हैं भोजन
गोरई के गांव वास खेमा निवासी शिव ङ्क्षसह व मां वीरमती देवी बेटे प्रेमपाल ङ्क्षसह की याद में आज भी आंखें भर आती हैं। वीरमती तो जब तक बेटे की प्रतिमा को भोजन नहीं करातीं, तब तक खुद नहीं करती हैं। शहीद के छोटे भाई महावीर ङ्क्षसह बताते हैं कि जब भारत-पाक के बीच में युद्ध चल रहा था, उसी समय भाई की शादी की तैयारी चल रही थी। घर में खुशी का माहौल था, मगर आशंका के बादल छाए हुए थे। पांच जुलाई को भाई के शहीद होने की सूचना आ गई। खुशियां काफूर हो गईं। आठ जुलाई को पार्थिव शरीर आया तो पूरे गांव में सैलाब उमड़ पड़ा। मां वीरमती देवी ने कहा कि प्रेमपाल आज भी ङ्क्षजदा है। उसके लिए दोनों समय का भोजन प्रतिदिन प्रतिमा को खिलाती हैं। फिर उसे बुलाती हैं और चारपाई पर बगल में बिस्तर लगाकर लेटने को कहती हैं। पिता शिव ङ्क्षसह और माता वीरमती ने कहा कि जब प्रेमपाल की याद आती है तो उसकी प्रतिमा से लिपटकर रो लेते हैं। दिल हल्का हो जाता है। वीरमती कहती हैं कि उनके तीन पौत्र हैं, उनकी इच्छा है कि ये फौज में जाकर देश की सेवा करें।
सिकंदराराऊ में शहीद स्मारकपर अंकित हैं शहीदों के नाम
कारगिल युद्ध के समय सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों ने राष्ट्ररक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर देश, समाज और परिवार को गौरवान्वित किया। उस समय मैं हाथरस में प्रभारी निरीक्षक के पद पर नियुक्त था। शहीद सैनिकों के अंतिम संस्कार में हजारों लोगों की भीड़ आती थी। हाथरस के प्रत्येक सैनिक के अंतिम संस्कार में भी उपस्थित रहा। तभी मेरे मन में अमर शहीदों की स्मृति जीवंत करने का संकल्प आया। तभी थाना सिकंदराराऊ परिसर में शहीद स्मारक का निर्माण ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर से कराया गया। पत्थर पर आगरा मंडल के हाथरस, मथुरा,अलीगढ़, मैनपुरी, फीरोजाबाद, एटा व आगरा के शहीद हुए 35 अमर सैनिकों के नाम अंकित कराए गए। सभी अमर सपूतों को मेरी श्रद्धांजलि।
विद्यार्णव शर्मा, सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक
शहीदों को किया सैल्यूट
कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य मेें शनिवार को बाबूलाल जैन इंटर कॉलेज के एनसीसी कैडेट््स ने वीर शहीदों को सैल्यूट किया। सीनियर कैडेट हर्षित राठौर, सीनियर कमांडेंट अमन सारस्वत, कन्हैया, अमन वाष्र्णेय आदि ने सलामी दी। प्रधानाचार्य अंबुज जैन ने कहा कि देश की आन-बान-शान के लिए कुर्बान होने वाले वीर सैनिकों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।