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टोक्यो पैरालिपिक में पदक जीतने पर प्रवीण का अलीगढ़ में स्वागत

गौतमबुद्धनगर के जेवर के गोविदगढ़ निवासी प्रवीण कुमार ने पैरालिपिक में 2.07 मीटर की हाई जंप में दूसरा स्थान पाकर सिल्वर मेडल जीता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 08:05 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:05 PM (IST)
टोक्यो पैरालिपिक में पदक जीतने पर प्रवीण का अलीगढ़ में स्वागत
टोक्यो पैरालिपिक में पदक जीतने पर प्रवीण का अलीगढ़ में स्वागत

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : टोक्यो पैरालिपिक में सिल्वर मेडल जीकर देश को गौरवान्वित करने वाले जेवर के लाल प्रवीण कुमार का शनिवार को टप्पल में स्वागत किया गया। गौतमबुद्धनगर के जेवर के गोविदगढ़ निवासी प्रवीण कुमार ने पैरालिपिक में 2.07 मीटर की हाई जंप में दूसरा स्थान पाकर सिल्वर मेडल जीता है।

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शनिवार को जट्टारी उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष व समाजसेवी प्रेमचंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में स्वामी सुरेंद्रानंद स्वामी, गुलशन फौजी, राहुल अग्रवाल, सुशील शर्मा, योगा स्पो‌र्ट्स डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशांत आर्य, उमेश कुमार बर्मन आदि की ओर से प्रवीण के गांव गोविदगढ़ स्थित आवास पर फूलमाला पहनाकर व राधा-कृष्ण की स्मृति भेंटकर स्वागत किया गया। प्रवीण कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, कोच व परिवारीजनों को दिया। कहा कि अब उनका अगला लक्ष्य अगले वर्ष एशियन गेम्स व वर्ष 2024 में आयोजित ओलिपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना है। प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि प्रवीण क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा व मार्गदर्शक बनेंगे। प्रशांत आर्य ने कहा कि भविष्य में आयोजित नेशनल गेम्स में प्रवीण को राष्ट्रीय स्तर पर योग रत्न द्वारा विभूषित किया जाएगा। प्रवीण कुमार के पिता अमरपाल सिंह किसान हैं व माता निर्दोष देवी गृहणी हैं। बड़े भाई सचिन कुमार यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। छोटी बहन अध्ययन कर रही हैं। प्रवीण कुमार ने अपनी तैयारी जेवर स्थित प्रज्ञान पब्लिक स्कूल में कक्षा नौवीं की शिक्षा के दौरान शुरू की थी। कोच सतपाल के नेतृत्व में प्रशिक्षण लिया। दिव्यांग होने के बाद भी प्रवीण ने टोक्यो पैरालिंपिक में पदक जीतकर देश, जिला, प्रदेश व देश का दुनियाभर में नाम रोशन किया है। वक्ताओं ने कहा कि प्रवीण से प्रेरणा लेकर दूसरे खिलाड़ी भी खेल के क्षेत्र में मेहनत करेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे। अगर मेहनत की जाए तो शारीरिक कमजोरी सफलता में कभी भी आड़े नहीं आती है।


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