अलीगढ़ में जल संरक्षण के लिए जलपुरुष राजेंद्र ने गांव-गांव बेले पापड़ Aligarh News
जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 को बागपत जिले के डौला गांव में हुआ था। वे भारत के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता हैं।
अलीगढ़ (जेएनएन) : जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 को बागपत जिले के डौला गांव में हुआ था। वे भारत के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वालों में अग्रणी माने जाते हैं। उन्होंने 'तरुण भारत संघ ' (गैर सरकारी संगठन) के नाम से एक संस्था बनाई। उन्होंने हाईस्कूल पास करने के बाद भारतीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्विज्ञान में डिग्री हासिल की। यह संस्थान बागपत में था। उसके बाद राजेंद्र सिंह ने जनसेवा के भाव से गांव में प्रेक्टिस करने का इरादा किया। साथ ही उन्हें जयप्रकाश नारायण की पुकार पर राजनीति का जोश चढ़ा और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़ गए।
छोटे-छोटे बनवाने से हुई शुरुआत
कहा जाता है कि उन्होंने बारिश का पानी रोकने के लिए प्राचीन भारतीय प्रणाली अपना कर गांवों में छोटे-छोटे तालाब बनाने शुरू किए, जिससे उनमें बारिश का पानी भर सके। इसके साथ ही राजस्थान में पानी के संकट को समाप्त करने में लग गए। शुरुआती दौर में गांव के लोगों को अपनी इस मुहिम में शामिल करने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े।
'वाटरमैन ऑफ इंडिया'
आधुनिक दौर के बिजी शेड्यूल में उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर कुछ ऐसा कर दिया जो हम सबके लिए उदाहरण है। उन्हें 'वाटरमैन ऑफ इंडियाÓ तक कहा जाता है। उन्होंने दुनिया की बेहतरी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए राजस्थान जैसे राज्य को पानी के संकट से उबारकर अदम्य साहस का परिचय दिया।
2015 में उन्होंने स्टॉकहोम जल पुरस्कार जीता। यह पानी के लिए नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए 2011 का रेमन मैग्सेसेे पुरस्कार दिया गया था। राजेंद्र सिंह की जीवनी 'जोहड़Ó (जल यात्रा) के नाम से विख्यात है।
अलीगढ़ के कृष्णा इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य अजय भारद्वाज का कहना है कि बालपन में 'प्रेरक व्यक्तित्वÓ बच्चों को बहुत ही ज्यादा प्रेरित करते हैं। यह एक सही वक्त होता है जब युवा पीढ़ी अपने आदर्श का चुनाव करती है और उनके आदर्शों पर चलकर उन जैसा बनना चाहती है। राजेंद्र सिंह एक ऐसा ही जीवंत उदाहरण हैं। बच्चे उन जैसी कठिन डगर चुनकर स्वयं एक ऐसा आदर्श व्यक्तित्व बन सकते हैं। ऐसी प्रेरणा और आदर्श अपनाकर ही हमारी युवा पीढ़ी एक स्वस्थ समाज की स्थापना कर सकती है। ऐसे जुझारू व्यक्तित्व के धनी लोगों की जीवनी पढ़कर देश को बेहतर उन्नति के विकास के पथ पर अग्रसर कर सकेंगे।