बहुत दर्द देती है एएमयू जेएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी
एटा के जैथरा निवासी प्रेमपाल सिंह (55) कैंसर से पीडि़त हैं। इधर-उधर इलाज कराने के बाद परिजन शनिवार को उन्हें जेएन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे तो भर्ती करने से मना कर दिया गया।
By Edited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 10:20 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 10:59 AM (IST)
अलीगढ़ (जेएनएन)। एटा के जैथरा निवासी प्रेमपाल सिंह (55) कैंसर से पीडि़त हैं। इधर-उधर इलाज कराने के बाद परिजन शनिवार को उन्हें जेएन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे तो भर्ती करने से मना कर दिया गया। शनिवार को दैनिक जागरण ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर पड़ताल की तो ऐसे कई मरीज मिले, जिन्हें भर्ती नहीं किया गया। मेडिकल कालेज की इमर्जेंसी हर रोज ऐसे ही मरीजों को दर्द देती है।
ये हैं हालात
मेडिकल कॉलेज में नई बिल्डिंग में ओपीडी, इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर शुरू हुए काफी दिन हो चुके हैं, लेकिन बाहर से आने वाले मरीजों को राहत नहीं मिल रही। इमरजेंसी जूनियर व रेजीडेंट डॉक्टरों के हवाले है। सीनियर व कंसल्टेंट के स्थान पर ये ही इलाज करते हैं। फोन ही सीनियर से परामर्श लेते रहते हैं। मेडिकल कॉलेज में 2500-3000 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। 200-250 मरीज इमरजेंसी में आते हैं। इसमें बदायूं, एटा, कासगंज, संभल तक के मरीज होते हैं। वे सस्ते इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पर निर्भर हैं।
गंभीर मरीज को लेकर लौटना पड़ा
इगलास के कांका निवासी नौ साल के बच्चे सौरव को चोट लगने से ब्रेन हेमरेज हो गया था। अन्य डाक्टरों से इलाज कराने के बाद पिता उसे ओपीडी में लेकर पहुंचे। ओपीडी में नंबर 117 था। पिता अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, तभी सौरव कोतेज दर्द उठा। पिता उसे लेकर इमरजेंसी पहुंचे तो डॉक्टरों ने कह दिया कि यहां इलाज नहीं होगा। हारकर लौटना पड़ा।
मरीज को नहीं मिलीं दवाएं
शाहजमाल हड्डी गोदाम निवासी 50 वर्षीय गुलशन के फेफड़े सिकुड़ गए हैं। उन्होंने जिला अस्पताल में इलाज कराया। फायदा न होने पर मेडिकल कॉलेज पहुंचीं। यहां डॉक्टरों ने ऐसी दवा लिख दी कि वह मेडिकल ड्रग शॉप में नहीं मिली। उनके पति मजदूर हैं। इतना पैसा नहीं कि महंगा इलाज करा पाएं।
बदायूं से आए थे, मायूस लौटे
बदायूं के इस्लामनगर निवासी इकराम के शरीर में इन्फेक्शन है। आसपास के अस्पतालों से इलाज कराया। फायदा नहीं हुआ तो शनिवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उन्हें भर्ती नहीं किया गया।
किसी मरीज को दिक्कत है तो उनसे मिले
जेएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एम हारिस का कहना है कि इमरजेंसी में सीनियर व कंसलटेंट नहीं बैठते हैं। उन्हें कॉल पर बुलाया जाता है और परामर्श देते हैं। किसी मरीज को भर्ती कराने व अन्य दिक्कत है तो इमरजेंसी में सीएमओ ऑफिस में मिल सकता है।
ये हैं हालात
मेडिकल कॉलेज में नई बिल्डिंग में ओपीडी, इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर शुरू हुए काफी दिन हो चुके हैं, लेकिन बाहर से आने वाले मरीजों को राहत नहीं मिल रही। इमरजेंसी जूनियर व रेजीडेंट डॉक्टरों के हवाले है। सीनियर व कंसल्टेंट के स्थान पर ये ही इलाज करते हैं। फोन ही सीनियर से परामर्श लेते रहते हैं। मेडिकल कॉलेज में 2500-3000 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। 200-250 मरीज इमरजेंसी में आते हैं। इसमें बदायूं, एटा, कासगंज, संभल तक के मरीज होते हैं। वे सस्ते इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पर निर्भर हैं।
गंभीर मरीज को लेकर लौटना पड़ा
इगलास के कांका निवासी नौ साल के बच्चे सौरव को चोट लगने से ब्रेन हेमरेज हो गया था। अन्य डाक्टरों से इलाज कराने के बाद पिता उसे ओपीडी में लेकर पहुंचे। ओपीडी में नंबर 117 था। पिता अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, तभी सौरव कोतेज दर्द उठा। पिता उसे लेकर इमरजेंसी पहुंचे तो डॉक्टरों ने कह दिया कि यहां इलाज नहीं होगा। हारकर लौटना पड़ा।
मरीज को नहीं मिलीं दवाएं
शाहजमाल हड्डी गोदाम निवासी 50 वर्षीय गुलशन के फेफड़े सिकुड़ गए हैं। उन्होंने जिला अस्पताल में इलाज कराया। फायदा न होने पर मेडिकल कॉलेज पहुंचीं। यहां डॉक्टरों ने ऐसी दवा लिख दी कि वह मेडिकल ड्रग शॉप में नहीं मिली। उनके पति मजदूर हैं। इतना पैसा नहीं कि महंगा इलाज करा पाएं।
बदायूं से आए थे, मायूस लौटे
बदायूं के इस्लामनगर निवासी इकराम के शरीर में इन्फेक्शन है। आसपास के अस्पतालों से इलाज कराया। फायदा नहीं हुआ तो शनिवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उन्हें भर्ती नहीं किया गया।
किसी मरीज को दिक्कत है तो उनसे मिले
जेएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एम हारिस का कहना है कि इमरजेंसी में सीनियर व कंसलटेंट नहीं बैठते हैं। उन्हें कॉल पर बुलाया जाता है और परामर्श देते हैं। किसी मरीज को भर्ती कराने व अन्य दिक्कत है तो इमरजेंसी में सीएमओ ऑफिस में मिल सकता है।
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