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एएमयू में आरक्षण की मांग का मुद्दा संसद में फिर गूंजा Aligarh News

सांसद सतीश कुमार गौतम ने संसद में शून्यकाल के दौरान एएमयू में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर जोरदारी से उठाया। सांसद ने कहा कि एएमयू में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण नहीं मिल रहा है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 07:59 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 03:08 PM (IST)
एएमयू में आरक्षण की मांग का मुद्दा संसद में फिर गूंजा Aligarh News
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आरक्षण है तो एएमयू में भी व्यवस्था लागू हो।

अलीगढ़ जेएनएन : सांसद सतीश कुमार गौतम ने संसद में शून्यकाल के दौरान एएमयू में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर जोरदारी से उठाया। सांसद ने कहा कि एएमयू में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण नहीं मिल रहा है। इससे इन छात्रों को अच्छे विवि में पढऩे का मौका नहीं मिल पा रहा है। उनके अधिकारों का हनन हो रहा है, जबकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आरक्षण है तो उसी तर्ज पर एएमयू में भी व्यवस्था लागू हो। निगरानी समिति भी बनाने की मांग की। 

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देश भर में गूंजा आरक्षणर का मुद़दा

सांसद गौतम एएमयू के मामले को लेकर हमेशा से मुखर रहे हैं। एएमयू में यूनियन हाल में जिन्ना की तस्वीर हटाने को लेकर भी उन्होंने पहल की थी। यह मामला भी पूरे देश में गूंजा था। हालांकि, तस्वीर अभी भी नहीं हटाई गई। अब बुधवार को सांसद ने सदन में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि एएमयू में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग को आरक्षण न दिए जाने से उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। वह देश के अच्छे विश्वविद्यालयों में शुमार एएमयू में पढऩे से वंचित रह रहे हैं। साथ ही इस समाज के लोगों को एएमयू में नौकरी भी नहीं मिल पा रही है। सांसद ने कहा कि धीरे-धीरे एक ही मानसिकता के लोग यहां बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार आरक्षण लागू करे। 

ऐसे तो हिंदू डॉक्टर होंगे नहीं

सांसद ने जेएन मेडिकल कॉलेज में ङ्क्षहदू डॉक्टरों की लगातार कम होती संख्या पर भी ङ्क्षचता जताई। सदन में कहा कि यदि ऐसा ही रहा तो 2022 तक मेडिकल कॉलेज में ङ्क्षहदू डॉक्टरों की संख्या गिनी-चुनी रह जाएगी। उन्होंने नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगाए। कहा, ङ्क्षहदू डॉक्टरों को कोई न कोई कमी बताकर उन्हें मौका नहीं दिया जाता है, जिससे उनकी संख्या कम होती जा रही है। 

धर्म के आधार पर भेदभाव नहींं होता

आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट के फैसले से पहले कुछ नहीं किया जा सकता। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर धर्म के आधार पर भेदभाव नहींं किया जाता। सलेक्शन कमेटी डॉक्टरों का चयन करती है। 

प्रो. शाफे किदवई, प्रवक्ता एएमयू 


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