Move to Jagran APP

एएमयू में वेदर बैलून लांच करेगा इसरो, ये होंगे फायदे Aligarh News

देश-दुनिया में विख्यात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के नाम एक और उपलब्धि जुडऩे जा रही है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 11:03 AM (IST)
एएमयू में वेदर बैलून लांच करेगा इसरो, ये होंगे फायदे Aligarh News
एएमयू में वेदर बैलून लांच करेगा इसरो, ये होंगे फायदे Aligarh News

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : देश-दुनिया में विख्यात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के नाम एक और उपलब्धि जुडऩे जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग में नॉर्थ इंडिया का पहला वेदर बैलून लांच करने जा रहा है। 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होने वाला बैलून 100 किलोमीटर के दायरे में मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। दिल्ली- एनसीआर में मुसीबत बन चुकी धुंध (फॉग) के बारे में भी सटीक जानकारी मिल सकेगी। 

loksabha election banner

कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखेगा डाटा

सेंसरयुक्त विशालकाय बैलून में जीपीएस के साथ रेडियोसॉंड मीटर, ह्म्यूमिनिटी फायर, थर्मामीटर व विंडस्पीड मीटर लगाया जाएगा। बैलून को सेटेलाइट से कनेक्ट किया जाएगा। सेटेलाइट से डाटा लेकर बैलून एएमयू के भूगोल विभाग की छत पर लगने वाले एंटीना को भेजेगा। एंटीना से सारा डाटा कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखेगा। डाटा को ऑनलाइन किया जाएगा, ताकि सब इस्तेमाल कर सकें।

प्रदूषण की ऐसे मिलेगी जानकारी

एएमयू के भूगोल विभाग में चेयरमैन प्रो. अतीक अहमद के अनुसार बैलून को आसमान में 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर रखा जाएगा। वायु प्रदूषण का लेबल क्या है? आरएसपीएम (रेस्पाइरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) व एसपीएम (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) कितना है? आगे का मौसम कैसा रहेगा? यह सब जानकारी मिल सकेगी। इसरो देश में इस तरह के चार सेंटर बनाएगा। एएमयू में नार्थ इंडिया का पहला सेंटर होगा।

एएमयू का ऐसे हुआ चयन

प्रो. अतीक अहमद ने बताया कि अलीगढ़ के आसमान में एयर ट्रैफिक कम है। दिल्ली की तरह यहां हवाई जहाज ज्यादा नहीं उड़ते। इस कारण डाटा कलेक्ट करने में बैल्यून के सेंसर को दिक्कत नहीं होगी। 

हाइड्रोजन से उड़ेगा बैलून

बैलून लांच करने के साथ इसरो नए शोध को और अंजाम देगा। बैलून अक्सर हीलियम से उड़ाए जाते हैं। एएमयू में लांच होने वाला बैलून हाइड्रोजन से उड़ान भरेगा। प्रो. अतीक के अनुसार प्रोजेक्ट को सस्ता बनाने के लिए इसरो ऐसा करेगा। रेडियोसॉंड तकनीक महंगी है, इसलिए इसमें पिशॉर्टिसॉंड का इस्तेमाल होगा। इसरो की टीम इसी सप्ताह एएमयू आएगी। इस संबंध में पत्र भी मिल चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.