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International Everest Day 2022: अलीगढ़ के जांबाजों ने लेह-लद्दाख के दुलर्भ मार्गो से नहीं मानी हार, हर खतरे पर पाई फतह

International Everest Day 2022 अलीगढ़ के जांबाजों ने लेह-लद्दाख के दुलर्भ मार्गो से हार नहीं मानी। जांबाज जुनून के चलते हर खतरे पर फतह पा ली। कंपकपा देने वाली बर्फीली हवा बारिश खराब रास्ते और घटती आक्सीजन। दुर्लभ और रोमांचकारी सफर जो दो पहियों पर बड़े सलीखे से जिया।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 02:28 PM (IST)
International Everest Day 2022: अलीगढ़ के जांबाजों ने लेह-लद्दाख के दुलर्भ मार्गो से नहीं मानी हार, हर खतरे पर पाई फतह
अलीगढ़ के जांबाजों ने लेह-लद्दाख के दुलर्भ मार्गो से हार नहीं मानी।

 अलीगढ़, जागरण संवाददाता। बाइक राइडिंग....किसी के लिए पैशन तो किसी के लिए एडवेंचर। कंपकपा देने वाली बर्फीली हवा, बारिश, खराब रास्ते और घटती आक्सीजन। टेंट में गुजरने वाली ढेर सारी रातें भीं। ऐसा दुर्लभ और रोमांचकारी सफर, जो दो पहियों पर बड़े सलीखे से जिया जाता है। इसमें लेह-लद्दाख का सफर सबसे प्रमुख होता है। और राइडर्स, जिन्हें हमेशा हेलमेट, ग्लव्स और राइडिंग गियर के साथ वे दुर्लभ मार्ग दिखते हैं। जहां मोटरसाइकिल से पहुंचना सपना होता है। कुछ बाइकर्स अनुभव न होने अथवा संसाधनों के अभाव में शहर की सड़कों या एक्सप्रेस-वे पर फर्राटा भरकर रह जाते हैं। कुछ सफर को कठिन मानकर कदम पीछे खींच लेते हैं, लेकिन शहर में कुछ ऐसे जुनूनी जाबांज हैं, जिन्होंने बार-बार ऐसा सफर तय किया। हर बार और ज्यादा रोमांच की चाहत का सपना, जिसे पूरा करके ही दम लेते हैं। इसके बाद फिर नया सपना देखते हैं। शहर को भी उनपर गर्व है। 29 मई को अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस है। इस मौके पर रोमांचकारी सफर तय करने वाले अलीगढ़ में के बाइक लवर्स पर प्रस्तुत है विनोद भारती की रिपोर्ट...

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50 वर्ष का आयु में साहसिक बाइक राइडिंग

स्वर्ण जयंती नगर के सिविल इंजीनियर योगेश कुमार शर्मा बाथरूम फिटिंग कारोबारी हैं। 54 वर्षीय योगेश को बचपन से ही एथेलेटिक्स ,हाकी,साइकिलिंग का शौक रहा। रुड़की में इंजीयरिंग के दौरान ही उत्तराखंड की पहाडिय़ों पर मोटरसाइकिल दौड़ाने का शौक रहा। लौटे तो व्यवसाय से जुड़ गए। 26 वर्षों तक बाइक से दूर रहे। 50 वर्ष की आयु में बाइकिंग में कीर्तिमान बनाने का लक्ष्य ठाना। अंतत: अंतरराष्ट्रीय स्तर के माउंटेन बाइक राइडर बन गए। उनके साहसिक अभियानों में 2280 किलोमीटर की भारत-नेपाल क्रास कंट्री हिमालयन बाइक राइड (लखनऊ-फैजाबाद-लुबिनी -पोखरा -काठमांडू -नारायणगढ़ -लखनऊ मार्ग), 1500 किलोमीटर की हिमालयन विंटर स्नो बाइक राइड यात्रा की, जिसमें जमी हुई बर्फ पर दिन और रात में रोमांचक और साहसिक बाइक राइड की । जून 2018 में 3600 किलोमीटर की नई दिल्ली-कश्मीर-कारगिल- लेह-लद्दा$ख राष्ट्रीय मोटर बाइक राइड की और खरदुंगला पास, चांगला पास और तंगलंगला पास, जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई क्रमश: 18 हजार 380, 17 हजार 688 व 17 हजार 588 फीट है, तक पहुंचने में कामयाबी प्राप्त की है। मार्च 2018 में उत्तराखंड की 1700 किलोमीटर की नई दिल्ली-चौपटा -औली-रियोल बगर -मलारी (चीन सीमा) लेंस डाउन -नई दिल्ली राइड की। जून 2017 में आयोजित 2100 किलोमीटर की नई दिल्ली- लाहौल-स्पीति-किन्नौर राइड जो विश्व के दुर्गमतम मार्ग नारकंडा -काल्पा -का•ाा -चंद्रताल -कुंजुम पास -रोहतांग पास -मनाली होते हुए पूरी की गई । युवाओं को बाइकिंग के प्रति आकर्षित करने के लिए 2019 में बाइकिंग एंड अड्वेंचर स्पोट्र्स फाउंडेशन  की स्थापना की। दिसंबर 2019 में तत्कालीन मंडलायुक्त ने योगेश को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

एक शौक बना गया नितिन का जुनून

नितिन कुमार घुट्टी प्रसिद्ध 112 साल की बुढिय़ा की घुट्टी ब्रांड के एमडी हैं। उद्योगपति होने के बाद रोमांचकारी माउंटेन बाइक राइडिंग के शौकीन हैं। बताते हैं-हम कार से रोहतांग और केलोग (लाहौल स्फीति मुख्यालय) तक जाते थे। 2015 में मनाली गए, वहां लोगों को किराए पर बाइक लेकर लद्दाख जाते देखा। ठान लिया कि अगली बार बाइक से इन दर्रों का सफर तय करेंगे। 40 वर्ष की आयु में राइडिंग की शुरूआत आसान नहीं थी। अध्ययन किया। कुछ माह बाद तीन दोस्तों के साथ चीन-नेपाल बार्डर पर स्थित उत्तराखंड के मुंशियारी तक गए। काफी समस्याएं आईं, लेकिन सफलता से जुनून बढ़ गया। जनवरी में बद्रीनाथ, लद्दाख, नुब्रा वैली तक गए। 2018 में लाहौल-स्फीति तक राइङिंग की। 2020 में बाइक से ही चार धाम -यमनोत्री, गंगोत्री (गोमुख तक पैदल), केदारनाथ व बद्रीनाथ की यात्रा पूरी की।नितिन के अनुसार जब आप कंफर्ट जोन से बाहर निकलते हैं, तब असल ङ्क्षजदगी से रू-ब-रू होते हैं। बाइक  से खुद की परीक्षा होती है कि आप जीवन की जटिलताओं से निपटने के लिए कितने तैयार हैं?

विशेष ने प्रथम कपल्स राइड कर रचा इतिहास

सुरेंद्र नगर के विशेष पचौरी जीवन बीमा निगम (एलआइसी) में विकास अधिकारी हैं। बचपन से बाइकों से लगाव रहा। पढ़ाई के बाद नौकरी और फिर शादी हो गई, लेकिन मन में माउंटेन बाइक राइडिंग के प्रति उत्सुकता थी, लेकिन अनुभव न होने से शुरुआत नहीं हो पाई। तीन साल पूर्व बाइङ्क्षकग एंड एडवेंचर स्पोट््र्स फाउंडेशन से जुड़े। यहां बाइक से जुड़ी बारीकियां सीखीं। वर्ष 2019 में हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ और फिर बनारस तक का सफर सफलतापूर्वक तय किया। इससे हौसला मिला। जून 2021 में पत्नी आस्था शर्मा के साथ 16 हजार किलोमीटर की लाहौल-स्फीति की यात्रा की। यह एक उपलब्धि थी। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने सम्मानित किया। अक्टूबर 2020 में 1650 घंटे में बद्रीनाथ से अलीगढ़ की सोलो (अकेले) राइड की। बाइक राइङ्क्षडग से सोच मजबूत हुई। इससे आजादी व सुकून महसूस होता है। अब मेरा सपना है कि ग्रुप में किसी लांग व एडवेंचर से भरपूर डेस्टिनेशन पर जाऊं।

रफ्तार भरने को तैयार कामिनी

खैर के मोहल्ला गौतमान की 23 वर्षीय कामिनी गौतम का बचपन से ही बाइक से लगाव रहा। घर में कोई स्कूटी नहीं थी, इसलिए एकमात्र बाइक ही आवागमन का साधन था। आठवीं कक्षा से ही बाइक चलानी शुरू कर दी। अलीगढ़ जाना हो या फिर टप्पल। कामिनी को ही भेजा जाता। वर्ष 2018 में अंतरमहाविद्यालय वेटलिङ्क्षफ्टग में आगरा में स्वर्ण पदक जीता, लेकिन उन्हें तो


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