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दैनिक जागरण के पाठक पैनल में बुद्धिजीवी बोले, देश से जल्द छंट जाएंगे आर्थिक मंदी के बादल Aligarh News

भारत में भी अघोषित मंदी की आहट सुनाई दे रही है। बाजार में मांग घटने से फैक्ट्रियों में उत्पादन गिर गया है। निर्यात ठहर सा गया है। बैंक व वित्तीय संस्थानों की हालत खराब है। रोजगार क

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 08:20 PM (IST)
दैनिक जागरण के पाठक पैनल में बुद्धिजीवी बोले, देश से जल्द छंट जाएंगे आर्थिक मंदी के बादल Aligarh News
दैनिक जागरण के पाठक पैनल में बुद्धिजीवी बोले, देश से जल्द छंट जाएंगे आर्थिक मंदी के बादल Aligarh News

अलीगढ़ (जेएनएन)। अमेरिका व चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाएं मंदी के संकेत दे रही हैं। भारत में भी अघोषित मंदी की आहट सुनाई दे रही है। बाजार में मांग घटने से फैक्ट्रियों में उत्पादन गिर गया है। निर्यात ठहर सा गया है। बैंक व वित्तीय संस्थानों की हालत खराब है। रोजगार के क्षेत्र में संकट पैदा हो रहा है। दैनिक जागरण कार्यालय में 'वैश्विक मंदी' पर आयोजित पाठक पैनल में कारोबारी, बैंकिंग, अर्थशास्त्र, शिक्षा के क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों ने विचार रखे। मंदी के कारण व समाधान गिनाए। कहा, आर्थिक मंदी पहले भी आती रही हैं, जिनसे आसानी से देश उबरा है। यह उतार-चढ़ाव की प्रक्रिया है। भारत पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा।

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आर्थिक असमानता दूर करने की जरूरत
संपादकीय प्रभारी अवधेश माहेश्वरी ने सभी को विषय से अवगत कराया। एसवी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह ने कहा कि हमें दूसरे देशों की तुलना नहीं करनी है, बल्कि देश के वर्तमान परिवेश को देखना है। आर्थिक असमानता को दूर करने की जरूरत है। 2008 में मनमोहन सरकार की पॉलिसी पर ही सरकार काम कर रही है, लेकिन खास कॉरपोरेट सेक्टर को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है।

टैक्स की दरें कम हों
कारोबारी अचल कुमार शर्मा ने कहा कि निजी सर्विस सेक्टर (सेवा क्षेत्र) सिकुड़ता जा रहा है। लोग बचत की ओर ध्यान नहीं दे रहे। बेरोजगारी 50 साल के सबसे निचले पायदान पर है। सरकार को बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना होगा। लोगों के पास पैसा आएगा, तो डिमांड बढ़ेगी। इसी से मैन्युफैक्चङ्क्षरग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि 2008 में भी मंदी आई थी। जिन तरीकों से हम उबरे थे, उनकी समीक्षा करके समाधान निकाला जा सकता है। टैक्स की दरें कम की जानी चाहिए। डॉ. विभव वाष्र्णेय ने कहा कि सरकार की पॉलिसी मजबूत होकर भी अच्छी है। इसके दीर्घावधि में परिणाम देखने को मिलेंगे। लोगों को चाहिए कि विदेशी माल की बजाय देसी पर ज्यादा भरोसा करें।

जीएसटी से व्यापारियों को मिली राहत
अर्थशास्त्री डॉ. अजय कुमार तोमर ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी जैसे सरकार के कदमों से व्यापारी वर्ग को राहत मिली है। इनके फायदे दीर्घावधि में दिखेंगे। उद्यमी गणेश चौधरी ने कहा कि छोटे उद्यमियों पर न तो सरकार ध्यान देती है, न बैंकिंग सेक्टर मदद करता है। लोन लेने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं। टैक्स के नाम पर डरा दिया जाता है। मूलभूत ढांचागत व्यवस्थाएं नहीं हैं। सेवानिवृत्त बैंक अफसर सीपी गुप्ता ने कहा कि जीएसटी क्रांति से इन्फॉर्मल सेक्टर जरूर शुरुआत के छह महीनों के लिए प्रभावित हुआ, लेकिन ये अच्छे से लागू हो गया। लोन के सरलीकरण के सवाल पर कहा कि एमएसएमई की ओर ध्यान देना होगा।

प्रोत्साहन पैकेज की कमी : डॉ. तनु
एसवी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तनु वाष्र्णेय ने कहा कि उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन पैकेज कम हैं, सामाजिक प्रदर्शन ज्यादा है। सरकार को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ज्यादा निवेश करना होगा। सरकार सचेत नहीं हुई तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

अधूरे कागजातों पर बैंक का असंतुष्ट होना लाजिमी
सेवानिवृत्त लीड बैंक मैनेजर विधु मोहन ने कहा कि लोन लेने से पहले बैंक की ओर से सवाल किए जाते हैं। अगर आप उन पर खरे उतरेंगे तो कोई दिक्कत नहीं हैं। शंका व अधूरे कागजात पर बैंक का असंतुष्ट होना लाजिमी है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डीके गौड़ ने कहा कि 2008 की मंदी में इससे कहीं ज्यादा दिक्कतें थीं। उस वक्त बचत का अनुपात ज्यादा था, अब कम है। सरकार को अनावश्यक योजनाओं को खत्म करके नई लानी चाहिए।

नोटबंदी के बाद रीयल स्टेट की कमर टूटी
सीए आदित्य माहेश्वरी ने कहा कि कृषि क्षेत्र का संकट बरकरार है। नोटबंदी के बाद रीयल एस्टेट की कमर टूट गई है। वहीं पहले कुटीर उद्योग पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगती थी। अब सभी पर लागू हो गई है। वित्तीय नीति में बदलाव हो रहे हैं, जिससे अगला कदम क्या होगा? इसे लेकर सभी डरे हुए हैं। इस मौके पर व्यापारी राजकुमार (राजू) उपाध्याय, गणेश चौधरी, सुरेश शर्मा, सुरेंद्र मोहन, डॉ. भरत कुमार वाष्र्णेय (पैथोलॉजिस्ट) आदि ने भी विचार रखे।

ऑनलाइन बाजार से पड़ा असर
व्यापारी नेता भूपेंद्र वाष्र्णेय ने ऑनलाइन ट्रेडिंग पर चिंता जताई। उजड़ते छोटे कारोबार के लिए सरकार से सख्त कदम उठाने व शर्तों का कड़ाई से पालन कराने का सुझाव दिया, ताकि फुटकर बाजार पर आए संकट से उबारा जा सके।

मजबूत है अर्थव्यवस्था 
केनरा बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सर्किल सचिव अतुल सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक का काम बुरे वक्त से निपटने का होता है। उसका अभी उपयोग कर लिया गया तो उत्पादकता नहीं बढ़ा पाएगी। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। उपभोक्ता जरूर कम हुए हैं, माल की कीमत कम नहीं घटी है।


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