बेसिक शिक्षा में इस तरह तो मिल सकता है फर्जीवाड़े को बढ़ावा, क्या है मामला पढ़ें विस्तृत खबर
प्राथमिक विद्यालय सुजापुर में सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि उनकी तैनाती 16448 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत उक्त स्कूल में 2016 में हुई थी। अभी तक उनकी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की मार्कशीट का सत्यापन होकर नहीं आया है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। बेसिक शिक्षा विभाग में एक, दो नहीं बल्कि कई ऐसे शिक्षक हैं जो वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं लेकिन उनके दस्तावेज अभी तक सत्यापित नहीं कराए जा सके हैं। जिले में कस्तूरबा विद्यालय समेत कई फर्जी शिक्षकों के प्रकरण सामने आने के बाद शासन से आदेश भी जारी किए गए थे कि बिना दस्तावेज सत्यापन के किसी शिक्षक को तैनाती न दी जाए। मगर जमीनी हकीकत इसके उलट ही है। इससे शिक्षकों का वेतन तो जारी हो रहा है लेकिन उनका एरियर अटका हुआ है। इसलिए शिक्षक परेशान हैं।
यह है समस्या
प्राथमिक विद्यालय सुजापुर में सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि उनकी तैनाती 16,448 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत उक्त स्कूल में 2016 में हुई थी। अभी तक उनकी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की मार्कशीट का सत्यापन होकर नहीं आया है। आए दिन बीएसए कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, मगर शुरुआत में एक बार फाइल भेजी गई थी उसके बाद सत्यापन करने वाले संबंधित संस्थान को कोई रिमांडर नहीं भेजा गया है। उ'च प्राथमिक विद्यालय दीनापुर बिजौली में इंचार्ज प्रधानाध्यापक कमलकांत शर्मा ने बताया कि 11 मार्च 2016 में उनकी तैनाती उक्त स्कूल में सहायक अध्यापक के तौर पर 2016 में हुई थी। कुछ डिग्रियों के सत्यापन तो वे खुद कराकर लाए। जबकि वे गले में कैंसर की बीमारी से भी पीड़ित हैं। मगर इंटरमीडिएट की मार्कशीट का सत्यापन अभी तक नहीं हुआ है।
मुख्य समस्या आगरा यूनिवर्सिटी से सत्यापन की आती है। यूपी बोर्ड से तो अब तक सत्यापन हो जाना चाहिए था। इन प्रकरणों को एक बार फिर प्रमुखता से दिखवांगे कि, किस स्तर पर काम अटका है?
सतेंद्र कुमार ढाका, बीएसए