Move to Jagran APP

अलीगढ़ में अफसरों की लापरवाही, 100 अरब की जमीन पर ऐसे हो गया अवैध कब्जा

एंटी भू माफिया के तहत योगी सरकार व जिला प्रशासन की कार्रवाई इन आंकड़ों के सामने एकदम बौनी साबित हो रही है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 11:11 AM (IST)
अलीगढ़ में अफसरों की लापरवाही, 100 अरब की जमीन पर ऐसे हो गया अवैध कब्जा
अलीगढ़ में अफसरों की लापरवाही, 100 अरब की जमीन पर ऐसे हो गया अवैध कब्जा

अलीगढ़ (जेएनएन)। एंटी भू माफिया के तहत योगी सरकार व जिला प्रशासन की कार्रवाई इन आंकड़ों के सामने एकदम बौनी साबित हो रही है। शहर में 100 अरब से अधिक की 110 हेक्टेअर जमीन पर अभी भी अवैध कब्जा है। शहरी सीलिंग के बाद जिला प्रशासन से एडीए को मिली 115 हेक्टेअर जमीन में से पांच हेक्टेअर पर ही एडीए का भौतिक कब्जा है। बाकी पर लोगों के आलीशान भवन, दुकानें, बाजार खड़े हैं।

loksabha election banner

18 मार्च 1999 को हुई सीलिंग

प्रदेश सरकार ने 1999 में अंतिम बार शहरी सीलिंग कराई थी। 18 मार्च 1999 को प्रक्रिया पूरी हो गई। इसमें सरकार से अधिकतम दो हजार वर्गमीटर प्रति परिवार के हिसाब से मानक तय किए। इससे अधिक जमीन सरकार के पास चली गई। शहर में 15 लाख वर्ग मीटर यानी 115 हेक्टेअर जमीन राज्य सरकार के हिस्से में आई। इस जमीन को खतौनी में जिला प्रशासन के नाम कर दिया गया।

18 साल में सिर्फ पांच हेक्टेअर जमीन पर कब्‍जा

एक साल तक तो जिला प्रशासन ने जमीन की देखभाल की, फिर इसे अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (एडीए) के नाम कर दिया। एडीए को इस जमीन पर अपनी योजनाएं संचालित करने, पार्क व देखभाल करने जिम्मा दिया गया था। एडीए ने भी बिना आपत्ति के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। 18 साल में एडीए मात्र पांच हेक्टेअर जमीन पर ही कब्जा ले पाया है। इन पर कांशीराम आवासीय समेत अन्य योजनाएं विकसित कर दी गईं। बाकी जमीन को कब्जे जमाए बैठे हैं।

अरबों की कीमत

बीते दिनों शासन से आए पत्र में एडीए के कब्जे में आई जमीन की कीमत तय करने के निर्देश दिए गए। एडीए ने कुल पांच हेक्टेअर जमीन की कीमत का प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को भेजा है। इसकी कीमत 55 करोड़ रुपये बताई। यानी एक हेक्टेअर जमीन की कीमत 11 करोड़ रुपये तय की। इसी हिसाब से लोगों के कब्जे में 110 हेक्टेअर जमीन की कीमत 100 अरब से अधिक बैठती है।

मुकदमे हार रहा जिला प्रशासन

पूरी जमीन की करीब 250 फाइलें हैं। इनमें 51 फाइलों पर सिविल कोर्ट, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं। जिला प्रशासन इनमें से 13 मामले हार चुका है। 38 अभी विचाराधीन हैं।

हार के कारण

प्रदेश सरकार ने अर्बन सीलिंग के बाद जिला प्रशासन को धारा 10 (5) के तहत जमीन पर कब्जा लेने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन अफसरों ने कागजों में तो इसे अपने कब्जे में दिखा दिया, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं कर पाए। इसी स्थिति में जमीन को एडीए को दे दिया। यही वजह जिला प्रशासन की हार का कारण बन रही है।

शासन ने दिखाई सख्ती

अब प्रदेश सरकार ने अर्बन सीलिंग की जमीन के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी है। जुलाई में जिला प्रशासन को पत्र जारी कर जमीन को कब्जा मुक्त करने के निर्देश दिए। इसी के बाद प्रशासन ने रामघाट रोड पर पड़ी जमीन को कब्जा मुक्त कराकर एडीए के हवाले किया था।

खाली पड़ी जमीन पर पहले होगा कब्जा

एडीएम सिटी एसबी सिंह का कहना है कि शहरी सीलिंग में जिला प्रशासन को मिली जमीन का चिह्नांकन किया जा रहा है। जल्द ही सभी जमीन को कब्जे में लिया जाएगा। इसका रिकॉर्ड भी बनाया जा रहा है। खाली पड़ी जमीन पर प्राथमिकता से कब्जा लिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.