अलीगढ़ में पुलिस की कभी जय-जयकार, तो कभी सब तार-तार
तमाम विडंबनाओं और दुख का पहाड़ों का बोझ सहते हुए हम समय के इस फेर को पार कर रहे हैं। कोरोना के इस दौर में अपराध जैसी कुचेष्टाओं के दंश को क्या ही देखें मगर कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसने शहर के अमन-चैन को धूमिल किया।
अलीगढ़, सुमित शर्मा। 2020 विदा ले चुका है। तमाम विडंबनाओं और दुख का पहाड़ों का बोझ सहते हुए हम समय के इस फेर को पार कर रहे हैं। कोरोना के इस दौर में अपराध जैसी कुचेष्टाओं के दंश को क्या ही देखें, मगर कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने शहर के अमन-चैन को धूमिल किया। साल के शुरुआती दिनों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सुलगी आग ने खाकी की नींद-ओ-चैन उड़ा दीं। फिर लॉकडाउन में ऐसी छवि बदली कि पुलिस की खूब जय-जयकार भी हुई। गौंडा थाने में विधायक-एसओ के बीच मारपीट से जहां संविधान की मर्यादा तार-तार हुई तो वहीं साढ़े 22 लाख की फर्जी लूट ने खाकी को बदनुमा कर दिया। समय अब आगे बढ़ रहा है। समय की यही रीत और मांग है कि बीती गलतियों से सबक लें।
वर्ष 2020 के प्रमुख हत्याकांड
छह जुलाई : पिसावा थाना क्षेत्र के गांव दमुआका में भाजपा नेता दिनेश कुमार एडवोकेट के भतीजे व एलएलबी के छात्र सचिन चौधरी की गोलियों से भूनकर हत्या।
29 नवंबर : सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शमशाद मार्केट में टायर विक्रेता अंसारी की गोली मारकर हत्या।
आठ अक्टूबर : सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एएमयू के एथलेटिक्स ग्राउंड में पूर्व छात्र सनू अब्बास की गोली मारकर हत्या।
19 सितंबर : सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शमशाद मार्केट में फोटोग्राफर शाहरुख की लेनदेन के विवाद में गोली मारकर हत्या।
एक दिसंबर : गांधीपार्क थाना क्षेत्र के शीशियापाड़ा निवासी नगर निगमकर्मी दीपू कांति की हत्या।
चार जुलाई : हरदुआगंज थाना क्षेत्र के तालानगरी से ड्यूटी करके लौट रहे कालीचरण यादव की गोली मारकर हत्या।
18 जुलाई : अतरौली के गांव ककेथल में वीरेश वाल्मीकि की हत्या।
तनाव के 56 दिन, खाकी की उड़ी रही नींद
29 जनवरी से 25 मार्च तक हर दिन तनाव से भरा रहा। 29 जनवरी को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहीं महिलाएं शाहजमाल ईदगाह के बाहर इक_ा हुईं तो पुलिस ने सोचा न था ये धरना गले की हड्डी बन जाएगा। दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज पर महिलाएं धरने पर बैठ गईं। दिन बीतते गए और उन्हें हटाने के तमाम प्रयास फेल होने के बाद पुलिस इनके पहरे में लगी रही। कोरोना काल में जनता कफ्र्यू का भी महिलाओं ने समर्थन नहीं किया। 56 दिन बाद कोरोना का काल हावी हुआ तो महिलाएं हटने को राजी हुईं।
ऊपरकोट बवाल से दहल गया था शहर
शाहजमाल धरने में टेंट की मांग को लेकर 21 फरवरी को महिलाओं ने ऊपरकोट पर भी धरना शुरू कर दिया। 23 फरवरी को ऊपरकोट एक अफवाह से सुलग उठा। कोतवाली से रिश्तेदारों को लेकर जा रहे इंस्पेक्टर की जीप में कुछ युवकों को गिरफ्तार करके ले जाने के शक में भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस को आंसू गैस के गोले छोडऩे पड़े। कुछ ही मिनट में बाबरी मंडी में पथराव और फायङ्क्षरग हुई। एक युवक को गोली लगी। एसएसपी मुनिराज ने एक दिन पहले ही कार्यभार संभाला था। बवाल की आग को शांत करने में पुलिस को कई महीने लग गए थे।
शरजील के भाषण से देश को चोट
16 जनवरी को एएमयू में आयोजित धरने में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के भाषण ने देश की भावना को ठेस पहुंचाई थी। शरजील ने असम को देश से अलग करने का बयान दिया था। वीडियो वायरल होने पर 26 जनवरी को सिविल लाइन थाने में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। दिल्ली पुलिस ने 28 जनवरी को शरजील इमाम को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। शरजील की जमानत याचिका सत्र न्यायालय में लंबित है।
लूट की घटनाओं ने कराई किरकिरी
वर्ष 2020 की शुरुआत ही लूट की घटनाओं से हुई। गांधीपार्क क्षेत्र में 20 दिन के अंदर चार बड़ी लूट हुईं। 20 जनवरी को पंप संचालक से साढ़े छह लाख लुटे। 21 को बौनेर के पास ही ट्रक चालक से लूट हुई। 26 को दाउद खां के पास पेट्रोल पंप संचालक से 2.69 लाख लूटे गए। 10 फरवरी को धनीपुर मंडी के पास फाइनेंस कर्मी से साढ़े नौ लाख की लूट हुई। इन लूटों ने प्रदेश भर में किरकिरी कराई। तब तत्कालीन एसएसपी ने गांधीपार्क इंस्पेक्टर को निलंबित किया था। लॉकडाउन में अपराध थम गए। अनलॉक का पहला दिन था। एक जून को शहर के पॉश इलाके में कैशवैन से साढ़े 22 लाख की लूट हुई। खाकी ने तीन दिन में ही इस फर्जी लूट का पर्दाफाश कर दिया प्रदेश स्तर से शाबाशी भी मिली। कुछ माह बीते कि 12 सितंबर को बन्नादेवी थाना क्षेत्र में खैर रोड पर एक ज्वेलर्स से 35 लाख की लूट हुई। इस घटना की वीडियो देशभर में वायरल हुईं तो अलीगढ़ पर बदनुमा दाग लग गया। लुटेरों को नोएडा पुलिस ने मुठभेड़ में दबोचा था।