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अलीगढ़ की लापरवाह व्यवस्था में सड़कों पर ऐसे दौड़ती है 'मौत'

धुंध का नाम आते ही सबसे पहले मस्तिष्क में यह बात कौंधती है कि सड़क पर सुरक्षित कैसे रहें? उस समय सारी योजनाएं धरी रह जाती हैं, जब हादसा हो जाता है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 03:42 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 03:42 PM (IST)
अलीगढ़ की लापरवाह व्यवस्था में सड़कों पर ऐसे दौड़ती है 'मौत'
अलीगढ़ की लापरवाह व्यवस्था में सड़कों पर ऐसे दौड़ती है 'मौत'

अलीगढ़ (जेएनएन)। धुंध का नाम आते ही सबसे पहले मस्तिष्क में यह बात कौंधती है कि सड़क पर सुरक्षित कैसे रहें? उस समय सारी योजनाएं धरी रह जाती हैं, जब हादसा हो जाता है। हादसे तब तक नहीं रुक सकते, जब तक पुलिस, परिवहन विभाग और जिला प्रशासन सख्ती से यातायात नियमों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं करा पाएंगे।  विभागों की लापरवाही के चलते धुंध के मौसम में वाहन काल बन जाते हैं। खासतौर से वे वाहन जो ओवरलोड होते हैं। इनमें सरिया लदे वाहन ज्यादा घातक साबित होते हैं। खुले तौर पर सड़कों पर दौड़ती 'मौत' को रोकने के लिए कोई भी विभाग सजग नहीं दिखता है।

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विजीबिलिटी के कारण बढ़ जाती है दुर्घटनाओं की आशंका
सर्द मौसम में अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं रात के वक्त होती हैं। इसकी वजह तेज रफ्तार, नियमों की अनदेखी तो है ही, वाहन चालकों की लापरवाही प्रमुख है। अक्सर देखा गया है कि ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉला बाहर लटकते सरिया लादकर रात में सड़कों पर सफर करते हैं। उस समय रोशनी की कमी और लो विजीबिलिटी के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। पीछे से आ रहे वाहन चालकों को बाहर लटकती सरिया दिखती नहीं हैं और गाड़ी का शीशा तोड़कर आर-पार हो जाती हैैं। बहुत से चालक लटकती सरियों पर लाल रंग का कपड़ा टांगकर यह दर्शाने की कोशिश करते हैं कि आगे वाली गाड़ी से आपको खतरा है, इसलिए थोड़ा फासला बनाकर चलें। धुंध में कपड़ा कहां दिखाई देता है, रिफ्लेक्टर भी लटकती सरियों में छिप जाते हैं। हादसों की दूसरी वजह बनते है सड़क किनारे खड़े बड़े वाहन, जिनमें न रिफ्लेक्टर होते हैं, न इमरजेंसी लाइट। धुंध में रफ्तार से आ रहे वाहनों को ये दिखाई नहीं देते और भिड़ जाते हैैं।

डेंजर्स प्रोजेक्शन की श्रेणी में आते हैं ऐसे वाहन
ट्रक, ट्रॉलियों और टॉलर में बाहर लटकती सरिया लाद कर सड़कों पर नहीं चलाया जा सकता। द मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 सेक्शन 180 के अनुसार ऐसे वाहन डेंजर्स प्रोजेक्शन की श्रेणी में आते हैं। सड़कों पर चलने वाला कोई भी वाहन जो पहली नजर में ही देखने पर घातक नजर आता है, उसे इस श्रेणी में गिना जाता है। सरिया, लोहा, बड़े-बड़े लकड़ी के ब्लाक्स या फिर कोई अन्य सामान जो वाहन से बाहर लटकता है, दुर्घटना का कारण बन सकता है। ऐसे वाहनों के सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध है।

पकड़े जाने पर जुर्माना
ऐसे वाहन चलाने वाले व्यक्ति को पहली बार पकड़े जाने पर तीन हजार रुपये तक जुर्माना या एक साल की कैद या फिर जुर्माना व सजा दोनों हो सकते हैैं। दूसरी बार पकड़े जाने पर पांच हजार तक जुर्माना या तीन साल की कैद या फिर दोनों हो सकते हैैं।

इसका रखें ख्याल

- वाहन में तय वजन ढांचे के मुताबिक ही माल भरा जाए।

- सरिया लंबी हैैं तो उन्हें मोड़कर रखा जाए, रिफ्लेक्टर जरूरी है।

- ऐसे वाहन हाईवे व शहर के अंदर से दिन में न जाएं, रात में ही 11 से चार बजे के बीच गुजरें।

- पाइप या अन्य कंस्ट्रक्शन मैटिरियल वाहन के बाहर नहीं निकले होने चाहिए।

- अगर परिस्थितिवश ये वाहन की बॉडी से बाहर निकलते हैं तो उस वाहन में दिन में लाल कपड़ा और खतरे का सिंबल बना होना चाहिए।

- रात में वाहन के दोनों साइड व बीच में छोटा बल्ब जला होना चाहिए।

- खराबी के चलते सड़क किनारे खड़े वाहनों में रिफ्लेक्टर, लाल व पीली लाइट जली रहें।

ये होते हैं चालान
ऑन द स्पॉट चालान : ये चालान तब काटे जाते हैं, जब नियम तोडऩे वाले को पुलिस रंगेहाथ पकड़ती है। उसे चालान थमाकर वहीं जुर्माना वसूला जाता है। अगर कोई उस वक्त जुर्माना नहीं भरना चाहे तो पुलिस डीएल जमा कराकर चालान दे देती है, जिसे बाद में जमा कराया जा सकता है।

नोटिस चालान
अगर कोई नियम तोड़कर भाग गया तो पुलिस उसका नंबर नोट कर उसके घर चालान भेजती है। इस चालान का जुर्माना भरने के लिए आरोपित को एक माह का वक्त दिया जाता है। समय पर जुर्माना नहीं भरा गया तो चालान कोर्ट भेज दिया जाता है।

कोर्ट के चालान
कोर्ट के चालान आमतौर पर कानून तोडऩे की ऐसी गंभीर घटनाओं में दिए जाते हैं, जिनमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। शराब पीकर गाड़ी चलाना ऐसा ही मामला है। ये किए तो ऑन द स्पॉट ही जाते हैं, लेकिन जुर्माना पुलिसकर्मी नहीं वसूलते। इसके लिए कोर्ट जाना होता है।

जो लौट के घर न आए
टंडोली छर्रा की रूबीना बेगम बताती हैं कि प्राइवेट बस पर हेल्पर के रूप में तैनात मेरे शौहर फुरकान की 10 नवंबर को अतरौली से छर्रा जाते वक्त बिजली के पोल से टकराकर मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद मेरी दुनिया ही उजड़ गई। पहाड़-सी जिंदगी कैसे कटेगी?

टूट गए सपने

दौरऊ गभाना के अनुराज सिंह का कहना है कि छोटे भाई सौरभ की एक अगस्त को हाईवे पर दौरऊ मोड़ के पास सड़क हादसे में मौत हो गई थी। वह काफी होनहार था। असमय दुनिया को छोड़कर चले जाने से उसके सारे सपने ही टूट गए।

सर्दी में दिया जाता है विशेष ध्यान
एसपी ट्रैफिक अजीजुल हक का कहना है कि ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई होती है। ऐसे वाहन जिनमें सरिया, बिल्डिंग मैटिरियल या अन्य सामान बाहर लटक रहा है, वे कार्रवाई की जद में आते हैं। सर्द मौसम में हाईवे पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जगह-जगह रिफ्लेक्टर व संकेतक लगाए जाते हैं।


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