रिहायशी इलाकों में चल रहीं अवैध फैक्ट्रियां, मुसीबत में हजारों जान Aligarh News
देहली गेट क्षेत्र में हुए विस्फोट के बाद रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों के संचालन को लेकर एक बार फिर व्यवस्था पर कठघरे में है। कोर्ट व सरकार के आदेशों के बाद भी तंत्र इन पर आखिर क्यों आंखें मूंदे रहता है?
अलीगढ़ जेएनएन : देहली गेट क्षेत्र में हुए विस्फोट के बाद रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों के संचालन को लेकर एक बार फिर व्यवस्था पर कठघरे में है। कोर्ट व सरकार के आदेशों के बाद भी तंत्र इन पर आखिर क्यों आंखें मूंदे रहता है? जिले में अब भी सैकड़ों फैक्ट्रियां घनी आबादी क्षेत्रों में चल रही हैं। इनसे हजारों लोगों की जान को खतरा है। यह पता होने के बाद भी विकास प्राधिकरण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई नहीं करता है। खटीकान मोहल्ले में चल रही फैक्ट्री का तकनीकि मुआयना ही हो जाता तो शायद ऐसी वीभत्स घटना से बचा जा सकता था।
ऐसे हैं शहर में हालात
शहर में सबसे प्रभावित इलाके पुराने शहर के हैं। नौरंगाबाद, सासनी गेट, देहलीगेट, हाथरस अड्डा, रेलवे रोड पर सबसे अधिक फैक्ट्रियां हैं। हालांकि, शहर के नए इलाके भी अब इससे अछूते नहीं है। रिहायशी इलाकों की संकरी गलियों में स्थित घरों में रबर, ताला, आतिशबाजी, रसायन, स्टील, पीतल और तेजाब की फैक्ट्रियां चल रहीं हैं। जानकारों का कहना है कि अवैध होने के कारण इनके मालिकों को न तो विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिल सकता है और न ही आग से बचाव के कोई उपाय किए गए हैं। लिहाजा आग विकराल रूप धारण कर लेती है। पिछले कई सालों में ही शहर में कई हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
वसूली का खेल
एडीए व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले तो इन फैक्ट्रियों की तरफ ध्यान ही नहीं देता है। अगर कोई शिकायत कर भी देता है तो नोटिस देकर ही खाना पूर्ति हो जाती है। अधिकांश शिकायतों पर अफसर वसूली का खेल करते हैं। पिछले कुछ सालों के ही रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो विभाग के पास कार्रवाई के आंकड़े तक नहीं है।
एडीए केवल अवैध निर्माण पर काम करता है। अगर बिना नक्शा पास कराए कहीं फैक्ट्री चलती है तो उस पर तत्काल सीलिंग की कार्रवाई होती है।
डीएस भदौरिया, अधिशासी अभियंता एडीए