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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली रहा इगलास विधानसभा क्षेत्र, इसलिए कहा जाता है मिनी छिपरौली

अलीगढ़ की विधानसभा सीट इगलास जाट लैंड होने के कारण मिनी छिपरौली के नाम से विख्यात है। देश की आजादी के बाद से ही यह सीट देश के दिग्गज नेताओं के लिए मुफीद रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व उनके परिवार की राजनीतिक कर्मस्थली रही है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 09:20 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 09:21 AM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली रहा इगलास विधानसभा क्षेत्र, इसलिए कहा जाता है मिनी छिपरौली
अलीगढ़ की विधानसभा सीट इगलास जाट लैंड होने के कारण मिनी छिपरौली के नाम से विख्यात है।

योगेश कौशिक, इगलास/अलीगढ़। अलीगढ़ की विधानसभा सीट इगलास जाट लैंड होने के कारण मिनी छिपरौली के नाम से विख्यात है। देश की आजादी के बाद से ही यह सीट देश के दिग्गज नेताओं के लिए मुफीद रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व उनके परिवार की राजनीतिक कर्मस्थली रही है। उनकी पत्नी गायत्री देवी व बेटी ज्ञानवेती ने यहां से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। चौधरी साहब के लिए यह सीट हमेसा प्रमुख रही। चार बार विधायक रहे राजेंद्र सिंह प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री बनकर क्षेत्र की पहचान बनाई थी। उस दौर की प्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री के बाद सबसे ज्यादा दिग्गज मंत्री चौ. राजेंद्र सिंह को माना जाता था।

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इगलास ने अब तक 19 विधायक दिए

आजादी के बाद इगलास से 19 विधायक दिए। विधानसभा पर नजर डाले तो जिला अलीगढ़ की ऐसी विधानसभा सीट है, जहां रालोद का दबदबा माना जाता है। जाट मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण तमाम जाट नेताओं के लिए यह सीट मुफीद रही है। लेकिन 2012 में हुए परिसीमन ने तमाम सियासी समीकरण बदल दिए और जमे-जमाए पुराने नेताओं को नए ठिकाने खोजने पड़ गए। सबसे पहले 1951 में स्वतंत्रता संग्राम सैनानी श्योदान सिंह विधायक बने। 1957 में किशोर रमन सिंह ने जीत दर्ज कराई। इसके बाद 1962 के चुनाव में पुन: श्योदान सिंह जीत दर्ज कराकर विधानसभा पहुंचे। 1967 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहनलाल गौतम बरौली सीट छोड़कर यहां आए और ब्राह्मण चेहरे के रुप में जीत दर्ज कराई। चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होने के बाद 1969 में अपनी पत्नी गायत्री देवी को यहां से चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की। 1974 में श्योदान सिंह के पुत्र और चौधरी चरण सिंह के बेहद करीबी राजेंद्र सिंह चुनावी मैदान में उतरे और दो बार लगातार विधायक बने। 1980 में पूरचंद विधानसभा पहुंचे। 1985 में पुन: राजेंद्र सिंह ने अपना दबदबा कायम रखा। 1991 में चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती सिंह विधायक बनी।

बाबरी मस्‍जिद विध्‍वंस के बाद आई रामलहर

बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब पूरे प्रदेश में रामलहर थी उस समय भी भाजपा यहां अपना खाता नहीं खोल पाई थी कांग्रेस के विजेंद्र सिंह ने भाजपा के विक्रम सिंह हिंडोल को मात दी। 1996 में पहलीवार मलखान सिंह ने भाजपा का कमल खिलाया। 2005 के उप चनुाव में पहली बार बसपा ने अपना खाता खोला था। पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय के अनुज मुकुल उपाध्याय ने यहां से जीत दर्ज की थी, अब मुकुल भाजपा में हैं। वैसे तो यहां से भाजपा, कांग्रेस व रालोद के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए है, सपा कभी अपना खाता नहीं खोल पाई। 2017 के विस चुनाव पर नजर डाली जाए तो यहां से भाजपा के राजवीर दिलेर ने बसपा प्रत्याशी राजेन्द्र कुमार को मात दी थी। रालोद प्रत्याशी सुलेखा सिंह तीसरे व सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी गुरबिंदर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 2019 में भाजपा ने राजवीर दिलेर को हाथररस लोकसभा से प्रत्याशी बनाया। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजवीर दिलेर ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। 2019 में उपचुनाव में भाजपा ने अपना वर्चस्व बनाए रखा और राजकुमार सहयोगी ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में ऐसा पहली बार हुआ था जब रालोद चुनावी मैदान से बाहर थी। आने वाले विधानसभा चुनाव में इगलास सीट पर शानदार मुकाबला होने की उम्मीद है।

इगलास विधानसभा क्षेत्र पर नजर

  • - सीट के गठन की तारीख के साथ उसके इतिहास 1951 ,
  • - विधानसभा सीट के प्रमुख ब्लाक : इगलास, गौंडा, लोधा
  • - सीट पर जातिगत समीकरण में करीब जाट 90 हजार, ब्राह्मण 80 हजार, ठाकुर 25 हजार, वैश्य 18 हजार, जाटव 35 हजार, बघेल 17 हजार, मुस्लिम 18 हजार, काछी 10 हजार, कुम्हार सात हजार, नाई छह हजार, कोरी आठ हजार, वाल्मीकि आठ हजार, खटीक पांच हजार, धोबी छह हजार मतदाता है। शेष अन्य जातियों के मतदाता है।
  • - विधानसभा क्षेत्र में विकास की स्थिति : निर्माणाधीन राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय गौंडा, दर्जनभर इंटर कालेज .. सरकारी शिक्षण केंद्र हैं, वहीं मंगलायतन विश्वविद्यालय निजी शिक्षण संस्था है। रोजगार के लिए एक पेंट, एक आयरन, एक गद्दा फैक्ट्री के साथ 50 से अधिक कोल्ड स्टोर हैं। पिछले चार सालों में रोडों के के गड्डे भर गए हैं।
  • - विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक बार के विजेता : राजेंद्र सिंह व विजेंद्र सिंह (तीन बार)
  • - विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक अंतर से जीत : 74,800 से वोट से राजवीर दिलेर (2017)
  • -विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक तथा सबसे कम अंतर से जीत : 64 वोट से बीजेंद्र सिंह (1989)
  • - विधानसभा क्षेत्र की सीट कब-कब आरक्षित रही : 2012 से आरक्षित है

2017

कुल प्रत्याशी : 06

कुल निर्वाचक : 359,639

कुल मतदान : 233,621

जीत - राजीव दिलेर, भाजपा, 128,000

दूसरे नंबर - राजेंद्र कुमार, बसपा, 53200

2019 उपचुनाव

कुल प्रत्याशी 07

कुल मतदानः 146192

जीत- राजकुमार सहयोगी, भाजपा, 75,673

दूसरे नंबर - अभय कुमार, बसपा 49,736


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