शिक्षक करें पढ़ाई तो विद्यार्थियों को कौन पढ़ाए, अलीगढ़ में दुविधा
माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को निष्ठा माड्यूल पर पूरा करना है प्रशिक्षण।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : अगर गुरुजी खुद प्रशिक्षण लेने में लगे रहेंगे, जागरूकता कार्यक्रम कराएंगे और वैक्सीनेशन कार्यक्रम में भी जुटेंगे तो विद्यार्थियों को कौन पढ़ाएगा? ये स्थिति कोरोना संक्रमण काल में माध्यमिक विद्यालयों में उत्पन्न हो गई है। शिक्षकों को निष्ठा माड्यूल का आनलाइन प्रशिक्षण पूरा करना है। ऐसे में वे विद्यार्थियों के लिए आनलाइन शिक्षण में समय कब देंगे? ये सवाल शिक्षाधिकारियों के सामने भी चुनौती से कम नहीं है। इसके समाधान की खोज में अधिकारी लगे हैं, मगर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। स्कूलों में पढ़ाई नहीं होगी तो बच्चे परीक्षा की तैयारी कैसे करेंगे।
माध्यमिक विद्यालयों को 16 जनवरी तक बंद रखने के आदेश पहले ही जारी किए गए थे। मगर 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को बुलाकर वैक्सीनेशन का काम कराया जाना था। साथ ही चुनाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम जैसे चुनावी पाठशाला, चुनावी परिचर्चा, नुक्कड़ नाटक आदि कार्यक्रम भी विद्यार्थियों व अभिभावकों की मौजूदगी में कराने हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में विद्यार्थियों व अभिभावकों को बुलाना भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में शिक्षकों के ऊपर निष्ठा माड्यूल का प्रशिक्षण पूरा करने की जिम्मेदारी भी आ गई। अब प्रधानाचार्य शासन व अधिकारियों के खिलाफ खुलकर तो नहीं बोल रहे हैं, लेकिन पीड़ा सभी की एक समान ही है। डीआइओएस डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षकों को घर से वीडियो तैयार कर वाट्सएप ग्रुप पर जुड़े विद्यार्थियों को प्रेषित करने हैं। अन्य गतिविधियां भी शासन की प्राथमिकता हैं। सभी के बीच समन्वय बनाते हुए आनलाइन शिक्षण व्यवस्था कायम की जाएगी। ऐसा हो सकता है कि कुछ शिक्षकों को शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए छोड़ दिया जाए, बाकी को प्रशिक्षण में बुला लिया जाए। इनका प्रशिक्षण पूरा होने पर बाकी को बुला लिया जाए। शिक्षण सामग्री की तैयार करने का जिम्मा उन शिक्षकों को दे दिया जाए, जो प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं।